Ayodhya Ram Mandir: भटनी में पुलिस बल ने ट्रेन से उतार दिया, किसी तरह बचते-बचाते पहुंचे थे अयोध्या
कारसेवा के दौरान गुबंद से फिसलकर गिरने के बाद सातपुरा निवासी नंदकिशोर गुप्ता उर्फ नागो घायल हो गए थे। उसके बाद भी जोश कम नहीं हुआ। उन दिनों को याद करते हुए नंदकिशोर गुप्ता कहते हैं कि छह दिसंबरर 1992 का नजारा गजब का था। राम दरबार में लगाए गए नारे अब पूरे हो रहे हैं। परिवार के साथ दीवाली मनाएंगे।
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। कारसेवा के दौरान गुबंद से फिसलकर गिरने के बाद सातपुरा निवासी नंदकिशोर गुप्ता उर्फ नागो घायल हो गए थे। उसके बाद भी जोश कम नहीं हुआ। उन दिनों को याद करते हुए नंदकिशोर गुप्ता कहते हैं कि छह दिसंबरर 1992 का नजारा गजब का था।
राम दरबार में लगाए गए नारे अब पूरे हो रहे हैं। परिवार के साथ दीवाली मनाएंगे। 22 जनवरी को हर घर दीवाली मने, इसके लिए अयोध्या से आए पूजित अक्षत का वितरण हर घर जाकर कर रहे हैं। कहा, चार दिसंबर 1992 को घर से निकले थे। पहले भटनी पहुंचे।
वहां से पुलिस के जवान ने ट्रेन से नीचे उतार दिया। इसके बाद भटकते हुए मऊ पहुंचे। कहीं चार पहिया तो कहीं पैदल चलना पड़ा। पांच दिसम्बर को रात के आठ बजे अयोध्या पहुंचे। वहां शिविर में रहे। 12 कारसेवकों की टोली बनी। सुबह निकले और विवादित ढांचा तक पहुंचे।
फिसलने से हुए चोटिल
वहां कंधा से कंधा मिलाकर एक दूसरे के ऊपर चढ़कर गुंबद तक पहुंचे। ढांचा को ध्वस्त करने के दौरान नीचे फिसल गए। इसमें चोटिल हो गए। नीचे आने पर एक खंती हाथ आ गई। उसके बाद ढांचा के अंदर प्रवेश किया और ईंट तोड़ी। बाहर जय श्रीराम के नारे लगने लगे।
बाहर निकला तो पूरा ढांचा ही गिर गया। उसमें से भी ईंट का टुकड़ा छिटक कर पीठ पर लगा। उनका साथी राजकुमार भी साथ था। वह भी घायल हुआ था।
आज भी बांह पर निशान है। ढांचा गिरा तो भगदड़ मच गई। भीड़ से बचकर निकले तो फैजाबाद अस्पताल में भर्ती हुए।
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