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Ram Mandir: ...जब अयोध्या से लाई गई ईंट प्रसाद के रूप में बंटी, कारसेवक ने बताई आंदोलन की पूरी कहानी

देखते ही देखते कारसेवक की टोली विवादित ढांचा के उपरी तल पर पहुंच गई। उसके बाद वहां पर पहले भगवा झंड़ा फहराया गया। उसके बाद अचानक किसी ने दीवार से एक ईंट निकाल दी। उसके बाद कुछ देर में विवादित ढांचे का अता-पता नहीं चला। उक्‍त यादें साझा करते हुए कार सेवा समन्वय समिति के सदस्य रहे भोला चौधरी के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ पड़ी।

By Amrendra Tiwari Edited By: Prateek Jain Updated: Tue, 09 Jan 2024 08:38 PM (IST)
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कार सेवा समन्वय समिति के सदस्य रहे धर्मशाला चौक के भोला चौधरी।
अमरेन्द्र तिवारी, मुजफ्फरपुर। देखते ही देखते कारसेवक की टोली विवादित ढांचा के उपरी तल पर पहुंच गई। उसके बाद वहां पर पहले भगवा झंड़ा फहराया गया। उसके बाद अचानक किसी ने दीवार से एक ईंट निकाल दी। उसके बाद कुछ देर में विवादित ढांचे का अता-पता नहीं चला। उक्‍त अयोध्या की याद साझा करते हुए कार सेवा समन्वय समिति के सदस्य रहे धर्मशाला चौक के भोला चौधरी के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ पड़ी।

भोला चौधरी  ने बताया कि एक-एक ईंट व उसका टुकड़ा लेकर सब निकल लिए। जब ढांचा टूटा तो पूरा अयोध्या जय श्री राम के नारा से गुंजयमान हो गया। कारसेवा के लिए जगह-जगह साधु संत आते थे।

चौधरी ने बताया कि धर्मशाला चौक पर उनकी चाय दुकान पर कारसेवा को भेजने की रणनीति बनाने के लिए आरएसएस, विश्व हि्न्दु परिषद, भाजपा व बजरंग दल के प्रमुख लोग जुटते थे। कारेसवा में जाने वाले संत संतोषी माता मंदिर में ठहरते थे। यहां से उनको रात में रेलवे जंक्शन पर पहुंचाया जाता।

वहां से झोला में छिपाकर लाए थे एक ईंट, स्वास्तिक का था निशान

अयोध्या से विवादित ढांचा से एक ईंट लेकर आए थे, उसपर स्वास्तिक का निशान बना था। बैग में किसी तरह से छिपाकर लाए। यहां पर आने के बाद उसको प्रसाद के रूप में टुकड़े-टुकड़े में वितरण हो गया। लोग पूजा घर में रखने के लिए ले गए। उनके पास एक भी टुकड़ा नहीं बचा।

कहा, मेरे ही नहीं जो कारसेवक जिंदा है और जो नहीं रहे उनके परिवार के साथ समस्त भारतवंशियों के 22 जनवरी का दिन ऐतिहासिक होगा। एक-एक बच्चा जय श्री राम बोल रहा है।

दोनों बार कार सेवा में रहे शामिल

बताया कि वह दो कारसेवा में शामिल रहे। पहली बार फैजाबाद में गिरफ्तारी हो गई। दूसरी बार छह दिसम्बर 1992 को अयोध्या पहुंच गए थे। उसके बाद किसी तरह से वहां तक पहुंचे। उनके साथ कारसेवा में शामिल रहे संजय सिंह मौत हो गई।

उसके साथ पूर्व विधायक चन्देश्वर वर्मा उजियारपुर, पूर्व एमएलसी शिवेन्द्र सिंह, रामशब्द सिंह, गोविंद सिंह, पाण्डेय सुशील, बजरंग पासवान, सचिदा सिंह, भुवनेश्वर शुल्क, ब्रजकिशोर शर्मा अब इस दुनिया में नहीं हैं। उनकी तरह कई कारसेवक के संकल्प का परिणम रहा कि ढांचा टूटा अब मंदिर बनकर तैयार हो रही है।

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