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Kisan Chachi: जानिए गांव की पगडंडियों से महानगरों तक पहुंचने की कहानी, बड़ी हस्तियां भी मानते प्रेरणास्रोत

राजकुमारी से किसान चाची बनने तक का आसान नहीं रहा सफर। बंदिशें तोड़ने से लेकर पद्मश्री मिलने तक का ऐसा था इनका सफर। पढ़ें पूरी खबर..

By Murari KumarEdited By: Updated: Sat, 12 Sep 2020 08:57 AM (IST)
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Kisan Chachi: जानिए गांव की पगडंडियों से महानगरों तक पहुंचने की कहानी, बड़ी हस्तियां भी मानते प्रेरणास्रोत
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। कहते हैं सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। इसके लिए तपना पड़ता है। संघर्ष करना पड़ता है। सरैया प्रखंड के आनंदपुर की राजकुमारी देवी उर्फ किसान चाची इसी संघर्ष का नाम है। सामाजिक व पारिवारिक बेड़ियों को तोड़कर गांव की पगडंडियों से शुरू किया उनका सफर आज महानगरों तक पहुंच गया है। स्वावलंबन की खींची गई उनकी लकीर पर आज पूरा समाज चल रहा है। स्वावलंबन की इसी महक से आनंदपुर गुलजार होगा।

 इलाके की रोल मॉडल बन चुकीं किसान चाची से मिलने के लिए शनिवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा आएंगे। इसके अलावा वे इलाके की महिला किसानों से भी मिलेंगे। साथ ही क्षेत्र के 50 प्रगतिशील किसानों से भी रूबरू होंगे। भाजपा अध्यक्ष की यह यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत की मुहिम का हिस्सा माना जा सकता है। क्योंकि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के शुभारंभ पर गुरुवार को पीएम ने बिहार के गांवों की महिलाओं द्वारा किए जा रहे कार्यों की तारीफ की थी। अब जबकि बिहार विधानसभा की डुगडुगी बजने वाली है। जेपी नड्डा की इस यात्रा से किसानों की नब्ज टटोलने के साथ चुनावी रणनीति तैयार करने में एनडीए को सहायता मिलेगी।

राजकुमारी से किसान चाची बनने तक का आसान नहीं रहा सफर

महिला सशक्तीकरण की मिसाल राजकुमारी देवी (62) जिला नहीं बड़ी हस्तियों की भी प्रेरणास्रोत हैं। इसमें पीएम मोदी, अमिताभ बच्चन, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल हैं। इसके पीछे पिता के घर से विदा होने के बाद से शुरू हुए कठिन सफर की उनकी कहानी है। राजकुमारी देवी कहती हैं, शादी के कई वर्ष तक संतान नहीं होने के कारण पहले से तिरस्कार झेल ही रही थी। उस पर से खेती शुरू की। परिवार के साथ अब समाज ने बहिष्कृत कर दिया। मगर, यह सफर शुरू हुआ तो पारिवारिक कारवां भी आगे बढ़ा। दो बेटियां व एक बेटे के रूप में तीन संतानों का जन्म भी हुआ।

 राजकुमारी ने खेती के साथ छोटे-मोटे कृषि उत्पाद बनाने शुरू किए। साथ ही साइकिल उठाई और मेला-ठेला व घर-घर जाकर इसकी बिक्री शुरू की। तब पति अवधेश कुमार चौधरी भी नाराज हो गए। वे अब भी कहते हैं, साइकिल से सामान बेचना अच्छा नहीं लगा। राजकुमारी देवी के संघर्ष की कहानी सत्ता के गलियारों तक पहुंची। बिहार सरकार ने वर्ष 2007 में किसानश्री सम्मान दिया। बस फिर क्या था राजकुमारी बन गईं किसान चाची। इसके बाद गांव की पगडंडियों से ऊपर महानगर का रुख किया। दिल्ली, गुजरात समेत कई जगहों पर किसान मेले में अपना उत्पादों का स्टॉल लगाया। केंद्र सरकार ने भी उनके संकल्प को पद्मश्री सम्मान देकर नवाजा। अब जबकि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उनके यहां आ रहे। उन्होंने उनके स्वागत की तैयारी की है। फूल माला से स्वागत करने के बाद उन्हें आचार उपहार देंगी। अपने प्रोडक्ट से ही उन्हें सम्मानित करेंगी।

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