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लीची उत्पादन में मुजफ्फरपुर को भी पीछे छोड़ देंगे ये 11 जिले, देखें लिस्ट और ICAR की विस्तृत रिपोर्ट

Litchi Production in Bihar राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के सर्वे में एक ऐसी खबर सामने आई है जिससे 13 जिलों के किसान मालामाल हो जाएंगे। दरअसल इस सर्वे में बिहार के 13 जिलों की मिट्टी लीची के लिए उपयुक्त पाई गई है। इनमें से 11 जिले ऐसे हैं जो लीची उत्पादन में मुजफ्फरपुर जिले को भी पीछे छोड़ सकते हैं।

By Amrendra Tiwari Edited By: Mohit Tripathi Updated: Mon, 16 Sep 2024 05:11 PM (IST)
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राष्टीय लीची अनुसंधान केंद्र ने कराया सर्वे, मुजफ्फरपुर के बाद दूसरे जिले भी उपयुक्त।
अमरेन्द्र तिवारी, जागरण मुजफ्फरपुर। मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण व समस्तीपुर के बाद अब राज्य के कई जिलों में लीची के बड़े-बड़े बगान होंगे।

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के सर्वे में राज्य के 13 जिलों की मिट्टी लीची के लिए उपयुक्त पाई गई है। इससे इस रसभरे फल की खेती का रकबा बढ़ेगा।

जानकारी के अनुसार, बिहार में लगभग 50,05,441 हेक्टेयर भूमि लीची की खेती करने योग्य हैं। सर्वे के मुताबिक, 37 जिलों में 50,05,441 हेक्टेयर भूमि पर लीची की खेती हो सकती है। वहीं, 29,80, 047 हेक्टेयर भूमि अन्य फसलों के लिए उपयुक्त है।

इन जिलों में मुजफ्फरपुर से भी अधिक होगी पैदावार 

एक लाख 53 हजार 418 हेक्टेयर भूमि लीची की खेती के लिए सबसे अधिक उपयुक्त है। सर्वे के अनुसार बांका, औरंगाबाद, जमुई, पूर्णिया, पूर्वी चंपारण, मधेपुरा, सीतामढ़ी, पश्चिम चंपारण, मधुबनी, कटिहार और अररिया में मुजफ्फरपुर से भी अधिक लीची का पैदावार हो सकता है।

अभी मुजफरपुर का रकबा सबसे ज्यादा

बिहार में भी सबसे अधिक मुजफ्फरपुर में लीची की खेती होती है। लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष किसान बच्चा प्रसाद सिंह ने बताया कि यहां पर 12 हजार हेक्टेयर में लीची की खेती की जा रही है। लीची अनुसंधान केंद्र की ओर से सर्वे कराया गया।

उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में लीची किसानों की संख्या बढ़ेगी। उनके आमदनी का भी जरिया बनेगा। उनकी कमाई में बढ़ोतरी भी हो सकती है।

उन्होंने कहा कि मुजफ्फरपुर पूरे देश में शाही लीची की खेती के लिए प्रसिद्ध है। लोगों को लगता है कि सिर्फ मुजफ्फरपुर की मिट्टी ही लीची के खेती के लिए उपयुक्त है।

सर्वे के मुताबिक, बिहार के 37 जिलों के अंदर 5005441 हेक्टेयर भूमि लीची के लिए बहुत ही उपयुक्त है। वहीं, 2980047 हेक्टेयर भूमि अन्य फसलों के लिए फायदेमंद है। 1,53,418 हेक्टेयर भूमि लीची की खेती के लिए सबसे अधिक उपयुक्त है।

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के अनुसार, राष्ट्रीय स्तर पर बिहार में सबसे अधिक लीची की खेती होती है। यहां किसान देश में कुल लीची उत्पादन का 65 प्रतिशत प्रोडक्शन करते हैं।

बिहार में भी सबसे अधिक मुजफ्फरपुर में शाही लीची की खेती होती है। यहां पर 12 हजार हेक्टेयर में लीची की खेती की जा रही है।

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र, मुजफ्फरपुर की ओर से जारी की गई सर्वे के बाद बिहार में लीची का रकबा और बढ़ जाएगा। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के अनुसार, राज्य में 1,53,418 हेक्टेयर भूमि लीची की खेती के लिए सबसे अधिक उपयुक्त है।

इन जिलों में मुजफ्फरपुर से भी अधिक होगी लीची की पैदावार

सर्वे के अनुसार, बांका, औरंगाबाद, जमुई, पूर्णिया, पूर्वी चंपारण, मधेपुरा, सीतामढ़ी, पश्चिम चंपारण, मधुबनी, कटिहार और अररिया में मुजफ्फरपुर से भी अधिक लीची के पैदावार हो सकती है।

इन जिलों की मिट्टी मुजफ्फरपुर से भी अधिक लीची की खेती के लिए उपयुक्त है। यदि इन सभी जिलों में लीची की खेती शुरू की जाए तो भारत, चीन से अधिक लीची का उत्पादन करने लगेगा।

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डा विकास दास की माने तो किसान ज्यादातर पारंंपरिक धान- गेहूं जैसे फसलों की खेती करते हैं। इससे प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये की आमदनी होती है।

इसकी खेती में मेहनत के साथ- साथ पूंजी निवेश की भी अधिक आवश्यकता होती है। लेकिन किसान धान- गेहूं की जगह लीची की खेती करें तो, कम लागत में उन्हें ज्यादा फायदा होगा। उन्हें मेहनत भी कम करनी पड़ेगी।

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र में लीची के पौधाशाला भी है। पौधशाला से अलग-अलग वैरायटी के पौधा लेकर लगा सकते हैं।

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