Bihar Assembly Elections 2020 : मुजफ्फरपुर समेत 11 जिलों में पानी की तरह बहाए गए पैसे
Bihar Assembly Elections 2020 अप्रत्याशित खर्च वाले जिले को बिलों की गहन जांच के बाद ही भुगतान के निर्देश। समीक्षा में निर्वाचन आयोग ने पाया 11 जिलों में खर्च में हुई है अप्रत्याशित वृद्धि। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में करीब 15 करोड़ रुपये ही खर्च हुए थे।
By Ajit kumarEdited By: Updated: Wed, 17 Feb 2021 01:17 PM (IST)
मुजफ्फरपुर, जासं। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में कई जिलों के खर्च में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। कई जिलों में पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में ढाई से तीन गुना अधिक खर्च हुआ है। समीक्षा में मामला सामना आने के बाद निर्वाचन आयोग ने खर्च के बिल की गंभीरता से जांच के बाद ही भुगतान का निर्देश दिया है। साथ ही यह भी कहा है कि भुगतान के पूर्व दावे एवं किए गए कार्य की जांच के आधार पर वास्तविक राशि का ही भुगतान हो। गड़बड़ी मिलने पर जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिला पदाधिकारी और जिला उप निर्वाचन पदाधिकारी जिम्मेदार माने जाएंगे।
बूथों की संख्या 25 फीसद बढ़ानी पड़ी थी मालूम हो कि कोरोना के कारण पिछले वर्ष हुए चुनाव में बूथों की संख्या 25 फीसद बढ़ानी पड़ी थी। साथ ही कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए मतदान कराया गया था। इस कारण विधानसभा चुनाव 2015 की तुलना में खर्च अधिक होना तय था। मगर समीक्षा में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने पाया कि 11 जिलों मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, मधुबनी, शिवहर, सीतामढ़ी, अरवल, कैमूर, गया, सहरसा, नवादा और जमुई में चुनाव खर्च में अप्रत्याशित वृद्धि हुई।
प्रमुख जिलों से दिए गए खर्च की जो जानकारी दी गई उसके अनुसार मुजफ्फरपुर में 57 करोड़ 44 लाख व्यय हुआ। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने खर्च को अधिक बताया। जिले में वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में करीब 15 करोड़ रुपये ही खर्च हुए थे। सहरसा जिले से 10 करोड़ रुपये का आवंटन मांगे गए। समीक्षा में यहां भी खर्च अत्यधिक पाया गया। अरवल में महज दो विधानसभा के लिए छह करोड़ से अधिक के आवंटन में लगभग साढ़े चार करोड़ के व्यय को भी अत्यधिक खर्च माना गया। गया में लगभग 47 करोड़ के आवंटन की मांग की गई। यहां मॉडल बूथ के कारण अधिक खर्च की बात कही गई। मगर आयोग ने इसे अधिक खर्च बताते हुए बिलों की जांच के बाद ही भुगतान करने को कहा है।
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