बिहार में बाहरी राज्यों के कई बीपीएससी शिक्षकों की नौकरी खतरे में है। शिक्षा विभाग सीटेट और एसटेट परीक्षाओं में कम अंक पाने वाले शिक्षकों के अंक पत्रों की जांच कर रहा है। 60% से कम अंक वाले शिक्षकों को सेवा से मुक्त किया जा सकता है। विभाग ने प्रखंड शिक्षा अधिकारियों को 48 घंटे में रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है।
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। दूसरे राज्य के बहाल कई बीपीएससी शिक्षकों की नौकरी पर खतरे की तलवार लटक रही है। सीटेट व एसटेट में कम अंक होने के बावजूद कई शिक्षक नौकरी पाने में सफल रहे।
शिक्षा विभाग के अधिकारी वैसे शिक्षकों के अंक पत्रों की जांच में जुटी है। प्रखंड शिक्षा अधिकारियों से 48 घंटे के अंदर वैसे शिक्षकों के कागजात सौंपने का आदेश दिया है।बताया गया कि 60 प्रतिशत से कम अंक प्राप्त करने वाल चयनित शिक्षकों के प्रमाणपत्र की जांच की जाएगी। अंक पत्र की जांच शिक्षा भवन में होगी।
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना इंद्र कुमार कर्ण ने प्रखंड शिक्षा अधिकारियों से सीटीईटी के अंक पत्र व प्रमाणपत्र, जाति, अवासीय, आधार व पेन कार्ड की अभिप्रमाणित छाया प्रति के साथ उपस्थित होने के लिए के लिए कहा गया है।बताया जा रहा कि बीपीएससी से बहाल हुए शिक्षकों में बिहार से बाहर के चयनित हुए शिक्षकों का 60 प्रतिशत मार्क्स सीटीईटी में होना अनिवार्य है। 60 प्रतिशत से कम मार्क्स होने के बावजूद बहाली हो चुकी है। ऐसे शिक्षकों को सेवा समाप्त करने की कवायद चल रही है।
बहाली में अनियमितता का आरोप
बीपीएसी शिक्षक बहाली के प्रथम चरण व दूसरे चरण में सीटीईटी में 60 से कम अंक रहने के बाद भी बहाल हुए हैं। बिहार से बाहर वाले बीपीएससी शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरु हो चुकी है।नियम के विरुद्ध बिहार में नियुक्ति हासिल करने वाले इन शिक्षकों की जांच का आदेश जारी कर दिया गया है। डीपीओ स्थापना ने सभी बीईओ से रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
इन शिक्षकों का होगा सेवा समाप्त
बिहार से बाहर के वैसे शिक्षक वर्ग एक से आठ तक के लिए नियुक्त हुए हैं, उनके सीटीईटी प्रमाणपत्रों की जांच करें, अगर उनका अंक 90 से कम है तो उन्हें सेवा से मुक्त किया जाएगा।इसी प्रकार वर्ग नवम से 12वीं तक में नियुक्त बीपीएससी शिक्षक जिन्हें एसटीईटी में 50 प्रतिशत से कम अथवा 75 अंक से कम अंक आए हैं, उन्हें भी सेवा से मुक्त किया जाना है। प्रखंड शिक्षा अधिकारियों से पूर्व में भी रिपोर्ट मांगी गई थी। लेकिन अधूरा रिपोर्ट होने की वजह से फिर से मांगा गया है।
स्कूलों के निरीक्षण में लापरवाही पर होंगे बर्खास्त
उधर, स्कूलों के निरीक्षण के नाम पर खानापूरी करने वाले अधिकारियों पर शिक्षा विभाग ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। विभाग के अपर मुख्य सचिव ने स्कूलों के निरीक्षण में लापरवाही बरतने वाले आउटसोर्सिंग अफसर को बर्खास्त करने का आदेश दिया है।
स्कूलों में पठन-पाठन के साथ वहां की स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो जिला शिक्षा पदाधिकारी पर कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र के माध्यम से निर्देश दिया है।शिक्षा विभाग ने स्कूलों के निरीक्षण में लापरवाही बरतने वाले आउटसोर्सिग के तहत नियुक्त अधिकारी-कर्मचारी को बर्खास्त करने करने एवं बर्खास्तगी के बाद रिक्त पद पर गठित कमेटी द्वारा विधिवत स्रोत से चयन प्रक्रिया पूरा करने का निर्देश दिया है।
विद्यालयों के शैक्षणिक परिवेश, आधारभूत संरचना एवं स्कूल प्रबंधन के सुदृढ़ीकरण के लिए प्रभावी अनुश्रवण व समस्याओं के निराकरण का निर्देश दिया है। शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में आनलाइन उपस्थिति दर्ज नहीं करने वाले शिक्षकों पर भी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।स्कूलों के निरीक्षण के क्रम में कहीं वर्ग कक्ष में बाइक तो कहीं बोड़ा मिला है। कई स्कूल में कपड़ा सुखाया जा रहा था। स्कूल परिसर में अवैध कब्जा भी देखा गया है। इससे स्पष्ट होता है निरीक्षण करने वाले पदाधिकारी, पर्यवेक्षक, कर्मी मात्र औपचारिकता का निर्वहन एवं इसकी खानापूर्ति निरीक्षण के नाम पर किया जा रहा है।
लंबे समय से निरीक्षण के बाद भी राज्य मुख्यालय स्तर के पदाधिकारियों के निरीक्षण करने पर कमी पाई जाती है। इसे दूर क्यों नहीं किया जा रहा है। कहा गया कि आउटसोर्सिग के माध्यम से कार्य कर रहे कर्मी के स्तर से लापरवाही पाए जाने पर तत्काल सेवा से बर्खास्त करने का आदेश दिया है।
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