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Bihar News: सरकारी नौकरी छोड़ मत्स्य पालक बने अभिषेक, लाखों की कमाई कर लोगों को दे रहे रोजगार

वैशाली महुआ के कन्हौली निवासी अभिषेक बताते हैं कि नॉटिकल साइंस की पढ़ाई करने के बाद शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया में नौकरी की। वहां से घर आने के बाद उन्हें मोतीपुर में अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र के बारे में जानकारी मिली। यहां से प्रशिक्षण लेकर वे मत्स्य पालन में जुट गए। आज 80 हजार से एक लाख रुपये की कमाई प्रति माह कर रहे हैं।

By Jagran NewsEdited By: Mohit TripathiUpdated: Mon, 10 Jul 2023 07:48 PM (IST)
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राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस पर जागरण विशेष। प्रतीकात्मक फोटो

अमरेन्द्र तिवारी, मुजफ्फरपुर: अभिषेक कुमार कुछ साल पहले तक शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया में नेवीगेटिंग अफसर के रूप में सरकारी नौकरी कर रहे थे। हालांकि, नौकरी करने मन में नहीं लग रहा था, लिहाजा दो साल में ही नौकरी छोड़ दी।

नौकरी छोड़ गांव आए अभिषेक कुमार कुछ ऐसा काम काम करना चाहते थे, जिससे न सिर्फ आर्थिक जरूरतों को पूरा किया जा सके, बल्कि गांव के अन्य परिवारों को भी रोजगार मुहैया कराया जा सके। अपनी इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन्होंने मत्स्यपालन का काम शुरू कर दिया। क्षेत्रीय अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र मोतीपुर से जुड़कर आज वे न सिर्फ खुद का बल्कि, साथ 10 परिवारों का प्रतिपालन  अभिषेक कुमार कर रहे हैं।

वैशाली महुआ के कन्हौली निवासी अभिषेक बताते हैं कि नॉटिकल साइंस की पढ़ाई करने के बाद शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया में नौकरी की। वहां से घर आने के बाद उन्हें मोतीपुर में अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र के बारे में जानकारी मिली। यहां से प्रशिक्षण लेकर वे मत्स्य पालन में जुट गए।

हर महीने कर रहे करीब एक लाख की कमाई

आज 80 हजार से एक लाख रुपये की कमाई प्रति माह कर रहे हैं। वे आधुनिक और पारंपरिक दोनों प्रकार से मछली पालन कर रहे हैं। 50-50 हजार क्षमता के सीमेंट के चार टैंक से मत्स्य पालन की शुरुआत की। अब यह कारोबार बढ़कर साढ़े पांच लाख लीटर पानी तक पहुंच गया है।

दूर-दूर से उनके काम को देखने पहुंचे हैं लोग

उनके इस काम को देखने के लिए अलग-अलग जिलों से लोग पहुंचते हैं। टैंक के साथ तालाब में पारंपरिक विधि से मछली पालन कर रहे हैं। अभी एक एकड़ तालाब में मछली है। यहां पर रोहू, कतला की खास डिमांड रहती है। अभी सिंही मछली का पालन शुरू किया है।

मछली के साथ अब मुर्गी व कर रहे बतख पालन

अनुसंधान केंद्र से जुड़े कांटी निवासी उमेश कुमार साह ने बताया कि पहली बार चिमनी वाले क्षेत्र में दस कट्ठा से मछली पालन शुरू किया। केंद्र के विज्ञानी के सहयोग से उनकी रुचि बढ़ी। तकनीकी रूप से दक्ष हुए। उस समय दस कट्ठा में साल में एक लाख की आमदनी हुई। अब जसैली एग्रो प्रोजेक्ट बनाकर अपने तीन साथी प्रणव कुमार व राजीव शर्मा ने इसका विस्तार किया है।

उन्होंने बताया कि इस व्यवसाय को सौ एकड़ तक ले जाने का लक्ष्य है। अभी वे 60 एकड़ में मत्स्यपालन कर रहे हैं। इसके साथ मुर्गी व बत्तख पालन भी शुरू है। अभी दस हजार मुर्गी व तीन हजार बत्तख हैं। प्रेरित होकर दस किसान भी मछली पालन को आगे आए हैं।

यही नहीं, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय विश्चविद्यालय से मत्स्यपालन की पढ़ाई करने वाले 65 छात्रों की टीम ने यहां आकर प्रैक्टिकल की जानकारी ली। मुख्यमंत्री भ्रमण दर्शन योजना के तहत उत्तर बिहार के अलग-अलग क्षेत्र से आकर यहां पर नियमित भ्रमण करते हैं।

अनुसंधान केन्द्र से बिहार-झारखंड व उत्तर प्रदेश से किसान आकर तकनीकी प्रशिक्षण ले रहे हैं। हर साल 200 से 300 किसान यहां आते हैं। सफल किसानों को हर साल सम्मानित किया जाता है।

डॉ. मो. अखलाकुर, प्रभारी, केन्द्रीय मत्सयकी शिक्षा संस्थान, मोतीपुर

क्यों मनाया जाता है मत्स्य किसान दिवस

भारतीय मत्स्य पालन क्षेत्र में प्रोफेसर डॉ. हीरालाल चौधरी और उनके सहयोगी डॉ के.एच. अलीकुन्ही के योगदान को सम्मान और स्मरण करने के लिए राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस मनाया जाता है। उन्होंने 1957 में आज के ही दिन हाइपोफिज़ेशन तकनीक द्वारा भारतीय मेजर कार्प्स में प्रेरित प्रजनन और प्रजनन का मार्गदर्शन किया था।

उसके बाद एक स्थायी और संपन्न मत्स्य पालन क्षेत्र सुनिश्चित करने की दिशा में मत्स्य किसानों, जलीय कृषि उद्योग के पेशेवरों और अन्य हितधारकों के अमूल्य योगदान को पहचानने और सराहना करने के लिए हर साल 10 जुलाई को राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस मनाया जाता है।