Bihar Bhumi Survey: किसी भ्रम में नहीं रहें, जिनकी जमीन है उनकी ही रहेगी; पढ़ें भूमि सर्वे पर सबसे खास इंटरव्यू
बिहार में विशेष भूमि सर्वे को लेकर लोगों के मन में कई तरह के भ्रम हैं। जमीन के कागजात और सर्वे की प्रक्रिया को लेकर रैयत परेशान हैं। जिला पदाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने दैनिक जागरण से बातचीत में चीजों को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि जिनकी वैध जमीन है सर्वे के बाद भी उनकी ही रहेगी। सर्वे के बाद यह और स्पष्ट हो जाएगा।
प्रेम शंकर मिश्रा, मुजफ्फरपुर। बिहार में विशेष भूमि सर्वेक्षण को लेकर लोगों में कई तरह के भ्रम हैं। जमीन के कागजात और सर्वे की प्रक्रिया को लेकर रैयत परेशान हैं। वे कई तरह के बहकावे में भी आ जा रहे हैं। सर्वे की प्रक्रिया और उसे लेकर आ रही परेशानी पर जिला पदाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने दैनिक जागरण से साक्षात्कार में चीजों को स्पष्ट किया। उनसे जागरण संवाददाता प्रेम शंकर मिश्रा ने की बात।
सवाल: विशेष भूमि सर्वे को लेकर कई तरह की परेशानी आ रही है। लोगों को आसानी से दस्तावेज नहीं मिल रहे।
जवाब: लोगों में कई तरह के संशय हैं। इसे दूर किए जाने की जरूरत है। रैयत के पास जमीन से जुड़ी एक भी वैध दस्तावेज है तो परेशानी नहीं होगी। अंचल या अभिलेखागार में खतियान से लेकर अन्य सभी दस्तावेज हैं।सभी जमीन के सर्वे से पहले उन दस्तावेज से मिलान सर्वे में लगे अधिकारी और कर्मचारी करेंगे ही।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अभी रैयतों के स्वघोषणा पर सर्वे शुरू होगा। दस्तावेज की सर्टिफाइड कॉपी, वंशावली आदि देने की जो बातें कहीं जा रही वह सही नहीं है, इसलिए किसी तरह के बहकावे में रैयत नहीं आएं। जिनकी वैध जमीन है, सर्वे के बाद भी उनकी ही रहेगी। सर्वे के बाद यह और स्पष्ट हो जाएगा।
सवाल: जमीन के दस्तावेज को ऑनलाइन करने के दौरान गड़बड़ी की शिकायतें हैं। रकबा में अंतर के साथ नाम, चौहद्दी और अन्य गड़बड़ियां हैं। इससे भी रैयत परेशान हैं।
जवाब: दस्तावेज में किसी तरह की गड़बड़ी को दूर करने के लिए परिमार्जन और परिमार्जन प्लस का प्रविधान है। गड़बड़ी दूर भी किए जा रहे हैं। अब अंचल स्तर से भी गड़बड़ी दूर हो रही है। मेरा प्रयास होगा कि नवंबर तक परिमार्जन के सभी लंबित मामले का निष्पादन करवा दिया जाए। वहीं जहां तक परेशानी की बात है वह नहीं होनी चाहिए। पहले की भी रसीद अगर रैयत के पास है तो वह मान्य होगा। यह इसलिए भी कि अंचल के रजिस्टर टू में जमीन की पूरी जानकारी उपलब्ध है। सर्वे के दौरान अमीन से लेकर अंचल के कर्मचारी सभी चीजों का मिलान करेंगे।
सवाल: कैथी लिपि की दस्तोवज को लेकर भी रैयतों की परेशानी है। इस लिपि के अधिक जानकार नहीं हैं।
जवाब: मुजफ्फरपुर जिले के लिए राहत की बात यह है कि यहां कैडस्ट्रल के साथ रिविजनल सर्वे भी हुआ है। रिविजनल सर्वे के बाद दस्तावेज हिंदी और अंग्रेजी में उपलब्ध हो गए। कैथी लिपि की दस्तावेज मुश्किल से एक-दो प्रतिशत होंगी। इनमें भी अधिकतर सरकारी। ऐसे में रैयतों को परेशानी नहीं होगी।
सवाल: अंचलों में दाखिल-खारिज के मामले बड़ी संख्या में लंबित हैं। इससे रैयतों को सर्वे के आवेदन करने में परेशानी हो रही है। यह कैसे दूर होगी?
जवाब: दाखिल-खारिज के मामलों के निष्पादन में तेजी आई है। लंबित मामले काफी कम हुए हैं। चुनाव और सावन मेला के बावजूद नए आवेदन का निष्पादन हुआ ही। तीस हजार से अधिक पहले से लंबित दाखिल-खारिज के मामलों का निष्पादन किया गया। अब अधिकतर ऐसे मामले निर्धारित समय सीमा के बाद लंबित हैं जिनपर आपत्ति है। इन मामलों को भी नवंबर तक कम से कम कर दिया जाएगा। इसके बाद रैयतों की यह परेशानी भी दूर हो जाएगी। फिलहाव सर्वे में इसलिए परेशानी नहीं हो सकती कि पूर्व के जमाबंदीधारी रैयत से जमीन खरीद का केवाला का जिक्र किया जा सकता है।
सवाल: अंचल कार्यालयों और अभिलेखागार में नकल के लिए रैयतों से राशि मांगे जाने की शिकायतें आ रहीं हैं।
जवाब: मैं फिर अपनी बातों को दोहरा रहा हूं। अगर रैयत के पास जमीन की कोई भी वैध दस्तावेज है तो फिलहाल अन्य की जरूरत नहीं भी पड़ेगी। अगर पूर्वज का खतियान, वंशावली, बंटवारानामा कुछ भी है तो आपको सर्वे के लिए स्वघोषणा से आनलाइन आवेदन करना है। जहां तक कागजात के लिए अवैध रूप से राशि मांगे जाने की शिकायत है, उसके लिए फोन नंबर पहले से जारी कर दिया गया है। एक कर्मचारी को अलग से प्रतिनियुक्त किया गया है। वहीं अभिलेखागार को सीसी कैमरे की निगरानी में रखा गया है। नकल के लिए जो आवेदन आ रहे हैं उसकी जानकारी नोटिस के साथ दी जा रही है। इसके बाद भी किसी तरह की राशि मांगी जाती है तो उसकी शिकायत करें। जांच के साथ कार्रवाई होगी। इस नंबर पर शिकायत करें। 8986376135
सवाल: घर से दूर शहर या विदेश में रहने वाले रैयत में सर्वे को लेकर कई तरह के संशय हैं। उनकी अनुपस्थिति में गड़बड़ी की आशंका है।
जवाब: पूर्व में जो सर्वे हुए वह सभी मैनुअल थे। यह विशेष भूमि सर्वे पूरी तरह से डिजिटाइज्ड है। यह ऑनलाइन है। जहां मशीन की भूमिका होती है वहां काम में अधिक पारदर्शिता होती है। देश-विदेश के किसी भी हिस्से से रैयत अपनी जमीन के सर्वे की प्रक्रिया को देख सकेंगे। सबसे अहम यह है कि तीन-तीन बार दावा और आपत्ति दाखिल की जा सकती है।
इसके निदान के बाद ही सर्वे पर मुहर लगेगी। यही नहीं कर्मचारी या सर्वे पदाधिकारी के स्तर से किसी तरह की गड़बड़ी होगी तो उसे दूर करने के लिए जिला और प्रमंडल स्तर तक पदाधिकारी हैं, इसलिए रैयत निश्चिंत रहें।
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