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Bihar Politics: चुनावी जंग में प्रोफेसर भी पीछे नहीं, रघुवंश प्रसाद से लेकर इन दिग्गजों ने आजमाई थी किस्मत

Bihar News 1989 में जनता दल से सांसद बने प्रो. रमेंद्र यादव रवि भी बीएन मंडल विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति थे। मुजफ्फरपुर सेंट्रल से 1952 में चुनाव जीतने वाले प्रो. श्याम नंदन सहाय बाबा साहेब डा. भीमराव आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर के संस्थापक कुलपति थे। 1957 में वह दोबारा मुजफ्फरपुर से जीते। महात्मा गांधी के सहयोगी रहे जेबी कृपलानी मुजफ्फरपुर के एलएस कालेज में अंग्रेजी और इतिहास के प्राध्यापक थे।

By Sanjeev Kumar Edited By: Sanjeev Kumar Updated: Sun, 14 Apr 2024 12:16 PM (IST)
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चुनावी जंग में प्रोफेसर भी कम नहीं (जागरण)

 अजय पांडेय, मुजफ्फरपुर। Bihar Political News Today: विद्यार्थी, पुस्तक, शोध आदि में व्यस्त रहने वालों को भी संसदीय चुनाव आकर्षित करता रहा है। दरभंगा लोकसभा चुनाव में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (एलएनएमयू) के 1987-88 में कुलपति रहे प्रो. शकीलुर रहमान 1989 में जनता दल से लोकसभा चुनाव लड़े और उन्हें सफलता भी मिली। उसी साल पटना विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष रहे प्रो. शैलेंद्र नाथ श्रीवास्तव भी पटना से लोकसभा में पहुंचे थे।

1989 में जनता दल से सांसद बने प्रो. रमेंद्र यादव रवि भी बीएन मंडल विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति थे। मुजफ्फरपुर सेंट्रल से 1952 में चुनाव जीतने वाले प्रो. श्याम नंदन सहाय बाबा साहेब डा. भीमराव आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के संस्थापक कुलपति थे। 1957 में वह दोबारा मुजफ्फरपुर से जीते। स्वतंत्रता सेनानी और चंपारण सत्याग्रह में महात्मा गांधी के सहयोगी रहे जेबी कृपलानी मुजफ्फरपुर के एलएस कालेज में अंग्रेजी और इतिहास के प्राध्यापक थे।

वह 1952 के उपचुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर भागलपुर से सांसद बने थे। इसके बाद 1957 में वह सीतामढ़ी से निर्वाचित हुए थे। शिवहर के चमनपुर गांव निवासी पूर्व विदेश राज्यमंत्री हरिकिशोर सिंह बीएचयू में राजनीतिक शास्त्र के शिक्षक थे।

वह शिवहर से तीन बार जीते। वे सीरिया में भारत के राजदूत और विदेश राज्यमंत्री भी रहे। मधुबनी से 1971 में सांसद रहे कांग्रेस के पंडित जगन्नाथ मिश्र सुदैडीह स्कूल के हेडमास्टर थे। l  

रघुवंश बाबू पांच तो चार बार प्रो. अजीत रहे सांसद

पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह चुनावी मैदान में आने से पहले छात्रों को गणित का पाठ पढ़ाते थे। वह 1969 से 1974 तक सीतामढ़ी के गोयनका कालेज में शिक्षक रहे। जेपी आंदोलन में सक्रियता के कारण उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था। 1996 से 2009 तक जनता दल और राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर पांच बार वैशाली से सांसद रहे। समस्तीपुर से चार बार सांसद रहे प्रो. अजीत कुमार मेहता बीआइटी मेसरा में प्राध्यापक थे। कर्पूरी ठाकुर के संपर्क में आने के बाद राजनीति में सक्रिय हुए। 1978 में पहली बार सांसद निर्वाचित हुए। 1980, 1996 और 1998 के लोकसभा चुनाव में भी निर्वाचित हुए थे।

1977 में टीएमबीयू, भागलपुर के रामजी सिंह पहुंचे थे लोकसभा

तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) के दर्शन शास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष डा. रामजी सिंह 1977 में भागलपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीते थे। भारतीय लोक दल के टिकट पर वे कांग्रेस के दिग्गज भागवत झा आजाद को पराजित किया था। 1984 में टीपी कालेज मधेपुरा में लेक्चरर व प्राचार्य रहे महावीर प्रसाद यादव जीते थे। वह भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय में कुलपति भी रहे।

पीयू के पांच से अधिक प्राध्यापकों ने किया प्रतिनिधित्व

पटना साइंस कालेज के पूर्व प्राचार्य प्रो. राधाकांत प्रसाद बताते हैं कि पटना विश्वविद्यालय के पांच से अधिक प्राध्यापक लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। पटना कालेज के अंग्रेजी विभाग के प्रो. केके तिवारी बक्सर से, हिंदी विभाग के प्रो. शैलेंद्र नाथ श्रीवास्तव पटना से, मगध महिला की प्रो. गिरिजा देवी गोपालगंज से, प्रो. संजय पासवान नवादा से तथा प्रो. रंजन प्रसाद यादव पाटलिपुत्रा सीट से जीत दर्ज किए थे।

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