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Bihar News: किसानों की आमदनी होगी दोगुनी... उत्तर और दक्षिण भारत के बाद अब यूरोप पहुंचेगी बिहार की शाही लीची

शाही लीची का विस्तार मुजफ्फरपुर से उत्तर भारत के बाद दक्षिण भारत में भी हो रहा है। अब इस फल का यूरोपीय देश के लोग भी स्वाद चख पाएंगे। यूरोप के विभिन्न देशों के लिए दक्षिण भारत की लीची सबसे उपयुक्त है। यूरोप में क्रिसमस के समय इसकी बेहतर मांग रहती है। इसके साथ इस समय देश के बाजार में दूसरा कोई मौसमी फल बाजार में नहीं रहता।

By Amrendra TiwariEdited By: Mukul KumarUpdated: Wed, 13 Dec 2023 03:28 PM (IST)
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यूरोपीय देश के लोग भी चखेंगे शाही लीची का स्वाद
अमरेन्द्र तिवारी, मुजफ्फरपुर। जीआइ टैग मिलने के बाद मानो शाही लीची को पंख लग गया है। इस फल का विस्तार मुजफ्फरपुर से उत्तर भारत के बाद दक्षिण भारत में भी हो रहा है। इसका लाभ यह होगा कि शाही लीची का यूरोपीय देश के लोग भी स्वाद उठा पाएंगे।

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र के अध्ययन में यह बात सामने आई है कि दक्षिण भारत में तैयार होने वाली शाही लीची निर्यात के लिए सबसे उपयुक्त है। यह इसलिए कि वहां दिसंबर यानी जाड़े में शाही लीची फल रही है। मुजफ्फरपुर में गर्मी के दिनों में लीची का फलन होता है।

तापमान के कारण उसको निर्यात करने में बहुत परेशानी होती है। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र तमिलनाडृ, केरल व कर्नाटक में आने वाले दिन में लीची का विस्तार करेगा। इससे किसानों की आमदनी दोगुनी होगी। इसके साथ लीची का फल साल में दो बार आमलोगों के लिए बाजार में उपलब्ध होगा।

निर्यात को लेकर तलाशी जा रही संभावना

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. बिकास दास ने कहा कि यूरोप के विभिन्न देशों के लिए दक्षिण भारत की लीची सबसे उपयुक्त है। यूरोप में क्रिसमस के समय इसकी बेहतर मांग रहती है। इसके साथ इस समय देश के बाजार में दूसरा कोई मौसमी फल बाजार में नहीं रहता। जबकि गर्मी के दिन में आम उपलब्ध रहता है।

इसके कारण लीची के बाजार में कुछ प्रभाव पड़ता है। डा. दास ने कहा कि कर्नाटक के लीची बाग का भ्रमण किया। खूब लीची भी खाई। इसके साथ वहां पर लगी प्रदर्शनी में शामिल हुए। कहा, वहां जलवायु ऐसी है कि ठंड में लीची हो रही है। अब तमिलनाडु और केरल जाएंगे।

खास तापमान की जरूरत

मुजफ्फरपुर में गर्मी में शाही लीची होती है। बाहर भेजने के लिए इसे एक खास तापमान की जरूरत होती है। यह तापमान नहीं मिलने पर बाजार तक पहुंचने से पूर्व ही फल खराब हो जाता है। दिसंबर में बागों में शाही लीची को बाहर भेजने के लिए तापमान सहायक होता है।

यहां से दिल्ली व अन्य महानगर में ले जाने के लिए कोल्डचेन वैन की जरूरत होती है। अगर समय से तुड़ाई व बाजार तक नहीं गई तो सारी लीची खराब हो जाती है। बिहार व उतर प्रदेश के बाजार में शाही लीची जाड़े में मिले, इसके लिए भी स्थानीय लीची उत्पादक किसान व व्यापारियों के साथ समन्वय बनाया जाएगा।

बहुत जल्द वह एक बैठक करेंगे। दक्षिण भारत में लीची विस्तार में सरकार का सहयोग लिया जाएगा। इसमें भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान व भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का सहयोग मिलेगा। दक्षिण भारत के किसानों की टोली को यहां पर लाकर लीची बाग विस्तार के बारे में तकनीकि जानकारी दी जाएगी।

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