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ट्रांसफर रोके जाने पर भड़के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री, अपने पद और जनता दरबार को लेकर कह दी बड़ी बात

Bihar Politics राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय ने कहा कि ट्रांसफर पर रोक लगाए जाने से भावना आहत हुई है। इसके बाद स्वतंत्र रूप से काम करने का क्या मतलब रह जाएगा? जनता दरबार और पद को लेकर भी बड़ी बात कही।

By Ajit KumarEdited By: Updated: Sun, 10 Jul 2022 12:18 PM (IST)
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विपक्ष के लगाए आरोपों को उन्होंने खारिज कर दिया। फाटो: सोशल मीडिया
मुजफ्फरपुर, आनलाइन डेस्क। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में 30 जून को किए गए तबादलों को रोकने का आदेश सीएमओ की ओर से जारी होने के बाद मंत्री रामसूरत राय आहत हैं। मुजफ्फरपुर के आवास पर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने खुले तौर पर स्वीकार किया कि इस फैसले से उनकी भावना को ठेस पहुंची है। हालांकि उन्होंने साफ किया कि समीक्षा करना सीएम का विशेषाधिकार होता है। उन्होंने कहा कि इस तरह की स्थिति में अब जनता के बीच जाने का कोई फायदा नहीं रह जाएगा। लोग अपना काम किस तरह से कराएंगे वे खुद समझें। सख्त लहजे में उन्होंने कहा कि राजनीति में पद किसी की बपौती नहीं होती है। यह आज किसी के पास है और कल किसी और के पास भी हो सकता है। 

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जनता दरबार लगाना छोड़ दूंगा

अंचलाधिकारी, बंदोबस्त पदाधिकारी, चकबंदी पदाधिकारी के तबादले को लेकर विपक्ष की ओर से लगाए जा रहे आरोपों के बारे में रामसूरत राय ने कहा कि उनका काम ही है आरोप लगाना। मैं उनके बारे में कुछ भी नहीं कहूंगा। सरकार का अंग होने के नाते मैं केवल काम पर ध्यान देता हूं। उन्होंने कहा कि मैं जनता के बीच रहकर काम करता हूं। चैंबर वाला नेता नहीं हूं। इस घटना के बाद से मेरे मन को ठेस पहुंची है। अब मैं जनता दरबार लगाना छोड़ दूंगा। पद को लेकर बड़े ही सख्त लहजे में उन्होंने कहा कि यह किसी की बपौती नहीं है। राजनीति में वंशावली के आधार पर काम नहीं होता है। यहां कोई भी और जा सकता है। मैं शुभकामना देता हूं कि कोई भी यहां आए और विभाग को बेहतर ढंग से चलाए।

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बिहार की राजनीति में उबाल आने की संभावना

देखा जाए तो वे इस घटना से पूरी तरह से आहत नजर आए और पद छोड़ने तक की बात कह दी है। माना जा रहा है कि इस प्रकरण के बाद बिहार की राजनीति एक बार फिर से गरमा जाएगी। अभी कुछ दिनों से भाजपा और जदयू के नेताओं ने बयानबाजी बंद कर रखी थी, किंतु अब इसके फिर से शुरू हो जाने की आशंका है। राजनीति के जानकारों का कहना है कि इसका फायदा विपक्ष को मिलेगा और सरकार की स्थिरता को लेकर फिर से सवाल उठाए जाने लगेंगे।  

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