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Bihar Politics: ओवैसी की री-एंट्री से क‍िसे लगने जा रहा जोर का झटका और कौन...

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में एआइएमआइएम ने सीमांचल में शानदार प्रदर्शन किया था । विगत चुनाव में उनका देवेंद्र प्रसाद यादव से गठबंधन था । माना जा रहा है कि ओवैसी का अगला टारगेट उत्तर बिहार होगा ।

By Ajit KumarEdited By: Updated: Thu, 16 Sep 2021 11:51 AM (IST)
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ओवैसी को लेकर बयानबाजी भी शुरू हो गई है। फाइल फोटो
मुजफ्फरपुर, आनलाइन डेस्क। आल इंडिया मजलिस-ए- इत्तेहादुल मुस्लिमिन यानी एआइएमआइएम ने बिहार विधानसभा चुनाव 2021 के दौरान सीमांचल में जो प्रदर्शन किया था उससे राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्​दीन ओवैसी काफी उत्साहित हुए थे। यही वजह है कि अब उन्होंने बिहार में सीमांचल से आगे की जमीन तलाशनी शुरू कर दी है। यह स्वाभाविक भी है। अपने हाल के बिहार दौरे के दौरान उन्होंने इस आशय के संकेत भी दिए हैं। इसके बाद सूबे के कुछ नेताओं के मन में लड्डू फूट रहे हैं तो कुछ परेशान भी हो रहे हैं। विगत चुनाव में ओवैसी ने देवेंद्र प्रसाद यादव की समाजवादी जनता पार्टी के साथ गठबंधन किया था। यहां के समीकरण पर भी उन्होंने काम किया था। माना जा रहा है कि सीमांचल के बाद ओवैसी का अगला टारगेट उत्तर बिहार होगा। इस वजह से जहां अपनी पहचान कायम करने के लिए संघर्ष कर रहे नेता इसे अवसर के रूप में देख रहे हैं वहीं दूसरी ओर ओवैसी की राजनीतिक शैली को कुछ उनके विरोधी अपने हक में मानते हैं। उनका मानना है कि इससे ध्रुवीकरण होगा। अधिक वोट मिलेगा और उनकी राह सुगम हो जाएगी। 

अभी बिहार में पंचायत चुनाव चल रहे हैं। उसके लिए नामांकन किए जा रहे हैं, लेकिन सीमांचल के जनसांख्यिकी के अनुसार शानदार प्रर्शन करने वाली एआइएमआइएम अपने विस्तार की रणनीति पर काम कर रही है। हाल में बिहार आए ओवैसी ने इस तरह के संकेत भी दिए हैं। वे एक खास तरह की राजनीति करते हैं। उस लिहाज से देखा जाए तो उत्तर बिहार की राजनीतिक उनके अनुकूल हो सकती है। खासकर दरभंगा, सीतामढ़ी और समस्तीपुर की कुछ सीटाें पर तो समुदाय विशेष की आबादी बहुसंख्यक समुदाय से अधिक है। यहां पर इस एडवांटेज को देखते हुए वे इस ओर मूव कर सकते हैं। इसकी वजह से अपनी पहचान बनाने के लिए एक सही मौके के इंतजार में बैठे नेताओं को एक और विकल्प नजर आने लगा है। यहां की राजनीति के जानकारों का कहना है कि यूं तो अभी लोकसभा और विधानसभा चुनाव बहुत दूर है, लेकिन यदि ओवैसी उत्तर बिहार की राजनीति करते हैं और एनडीए तथा यूपीए वर्तमान स्वरूप में ही रहता है तो एनडीए को फायदा हो सकता है। ध्रुवीकरण की राजनीति हो सकती है। वर्तमान में एआइएमआइएम की वजह से ही सीमांचल में राजद को नुकसान हुआ और वह सत्ता से दूर रह गया। तेजस्वी यादव सीएम नहीं हो सके।

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