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Bihar Land Registry Rule: बिहार के इस जिले में जमीन की बिक्री धड़ाम, नई व्यवस्था लागू होते ही रजिस्ट्री बंद

पुरानी व्यवस्था से जमीन की रजिस्ट्री बंद हो गई है। उन्हीं दस्तावेज को स्वीकृत किया गया जिस जमीन की जमाबंदी विक्रेता के नाम से थी। जिला अवर निबंधन कार्यालय एवं चार अवर निबंधन कार्यालयों में कुल 78 दस्तावेज का निबंधन हुआ। सामान्य दिनों में यह संख्या औसतन 250 से 300 के बीच थी। जिला अवर निबंधन कार्यालय में 40 दस्तावेज का निबंधन हुआ।

By Prem Shankar Mishra Edited By: Rajat Mourya Updated: Fri, 23 Feb 2024 04:48 PM (IST)
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बिहार के इस जिले में जमीन की बिक्री धड़ाम, नई व्यवस्था लागू होते ही रजिस्ट्री बंद

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। Bihar Jamin Jamabandi News बिहार में दस्तावेज निबंधन की नई व्यवस्था लागू होते ही जमीन की खरीद-बिक्री अचानक से कम हो गई। गुरुवार को मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के उप निबंधन महानिरीक्षक मनोज कुमार संजय का पत्र जारी होते ही पुरानी व्यवस्था से जमीन की रजिस्ट्री बंद हो गई। उन्हीं दस्तावेज को स्वीकृत किया गया जिस जमीन की जमाबंदी विक्रेता के नाम से थी।

जिला अवर निबंधन कार्यालय एवं चार अवर निबंधन कार्यालयों में कुल 78 दस्तावेज का निबंधन हुआ। सामान्य दिनों में यह संख्या औसतन 250 से 300 के बीच थी। जिला अवर निबंधन कार्यालय में 40 दस्तावेज का निबंधन हुआ। पिछले एक सप्ताह से यह संख्या औसतन 175 थी। वहीं सामान्य दिनों में भी औसतन डेढ़ सौ दस्तावेज निबंधित होते थे।

इस तरह जमीन बिक्री की संख्या करीब 75 प्रतिशत कम हो गई। सबसे कम कटरा में एक दस्तावेज निबंधित हुआ। यहां 20 से 25 दस्तावेज निबंधित होते थे। इसी प्रकार पारू अवर निबंधन कार्यालय में 20, सकरा में 13 एवं मोतीपुर में चार दस्तावेज निबंधित हुए। पारू को छोड़ दें तो सकरा और मोतीपुर का आंकड़ा भी औसत से तीन चौथाई कम रहा।

मृत जमाबंदीधारी के नाम की एवं टोपोलैंड जमीन की बिक्री पर संकट

नई व्यवस्था के बाद मृत लोगों के नाम जमाबंदी वाली जमीन की बिक्री के अलावा टोपोलैंड, बिना बंटवारे वाली आदि जमीन की बिक्री पर संकट होगा। राज्य में पीढ़ियों से बंटवारे के बाद जमीन की जमाबंदी एक ही नाम से चली आ रही है। जबकि इसके रैयत कई हैं। ऐसी स्थिति में इन जमीन की जमाबंदी पर संकट रहेगा। इस स्थिति में विवाद बढ़ सकता है।

इसके अलावा सकरा, मुरौल आदि प्रखंडों में टोपोलैंड है। इसका सर्वे नहीं होने से जमाबंदी हुई ही नहीं। ऐसे में इन जमीन का निबंधन नहीं हो सकेगा। वहीं नई व्यवस्था से जमीन के दाखिल-खारिज में अधिक परेशानी नहीं होगी। ये मामले कम लंबित रहेंगे।

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