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हैदराबाद में बेची जा रही बिहार विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्रियां, तेलंगाना पुलिस ने जालसाजी के बड़े गोरखधंधे का किया पर्दाफाश

Bihar University Fake degree तेलंगाना पुलिस ने हैदराबाद में चल रहे फर्जी डिग्रियों के बड़े गोरखधंधे का पर्दाफाश किया है। हैदराबाद में बिहार विश्वविद्यालय और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी की फर्जी डिग्रियां छाप कर बेची जा रही हैं। यह धंधा पिछले दो वर्षों से यहां खूब फल-फूल रहा है। जालसाज फर्जी डिग्री बेचकर हर महीने लाखों रुपये की वसूली कर रहे हैं।

By Jagran NewsEdited By: Mohit Tripathi Updated: Sun, 28 Jul 2024 02:58 PM (IST)
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हैदराबाद में बेची और छापी जा रही बिहार विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्रियां। (सांकेतिक फोटो)

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के नाम पर हैदराबाद में स्नातक की फर्जी डिग्रियां छापकर बेची जा रही हैं।

कंसल्टेंसी सेंटर खोलकर बीआरए बिहार विश्वविद्यालय से लेकर अन्य विश्वविद्यालयों के नाम से फर्जी दस्तावेज, अंकपत्र से लेकर सर्टिफिकेट तक बनाए और बेचे जा रहे हैं।

पिछले दो वर्षों से यह धंधा खूब फल-फूल रहा है। एडोब फोटो शॉप साफ्टवेयर से बनाई फर्जी डिग्री से हर माह लाखों की वसूली की जा रही है।  जरूरतमंद को 30 से 40 हजार में अंकपत्र समेत अन्य फर्जी दस्तावेज बेची जा रही हैं।

बिहार विश्वविद्यालय के साथ-साथ वहां महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी के भी नकली प्रमाणपत्र बनाए और बेचे जा रहे हैं।

दो सदिग्धों को हिरासत में लिया

तेलंगाना पुलिस ने गुप्त जानकारी के आधार पर हैदराबाद के लावर्न कांप्लेक्स, चैतन्यपुरी में छापेमारी कर दो संदिग्ध व्यक्तियों को हिरासत में लिया।

पूछताछ में उनके पास से विश्वविद्यालयों की फर्जी डिग्रियां, अंकपत्र और प्रमाण पत्र मिले। तेलंगाना पुलिस ने इन दस्तावेजों के वेरीफिकेशन के लिए बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार को भेजा।

विश्वविद्यालय से जुड़ी कुल छह प्रकार की दस्तावेज थी। इसमें टीडीसी पार्ट वन, पार्ट टू और पार्ट थर्ड का अंकपत्र, ट्रांसक्रिप्ट और सर्टिफिकेट समेत अन्य प्रमाणपत्र शामिल थे।  सभी दस्तावेज राहुल सूद नामक व्यक्ति के नाम से जारी की गई थी।

परीक्षा नियंत्रक के नेतृत्व में जांच के बाद सभी प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए हैं। इसकी रिपोर्ट भी विश्वविद्यालय की ओर से तेलंगाना पुलिस को भेज दी गई है।

वीजा के जरूरतमंदों को बेचने लगा फर्जी प्रमाणपत्र

आरोपित मो. अबरार हुसैन ने पुलिस के समक्ष यह कबूल किया है कि आसानी से पैसा कमाने के इरादे से उसने वीजा उम्मीदवारों के लिए फर्जी प्रमाणपत्र तैयार कर उसे बेचना शुरू कर दिया।

दूसरे शैक्षणिक कंसल्टेंसी केंद्रों को भी वह एडोब फोटो शाप साफ्टवेयर की मदद से फर्जी दस्तावेज बेचने लगा।

अगर इन फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर किसी आवेदक को वीजा मिलता था, तो कंसल्टेंसी एजेंसी उससे 30 से 40 हजार रुपये वसूलती थी।

पिछले दो वर्षों से वह कंसल्टेंसी एजेंसियों को फर्जी शैक्षणिक प्रमाण पत्र उपलब्ध करा रहा है। इसके बदले में उसे प्रति डिग्री दो से तीन हजार रुपये मिलते हैं।

कभी-कभी मो. अबरार हुसैन सीधे जरूरतमंद व्यक्तियों को ही फर्जी दस्तावेज सौंप देता था। बदले में उसे ऐसे जरूरतमंदों की जानकारी उपलब्ध कराते थे, जिसे फर्जी प्रमाणपत्रों की आवश्यकता होती थी।

आरोपित मो.अबरार अपने नाम से एक कंसल्टेंसी कार्यालय चलाता है। इसमें फर्जी दस्तावेज बनाई जाती है।

पुलिस को उसके पास से महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के 20 नकली प्रमाण पत्र, बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय के छह जाली प्रमाण पत्र, दो मोबाइल फोन और लैपटाप मिले हैं।

पुलिस ने कहा है कि मो. अबरार हैदराबाद के मेहंदीपटनम के नानल नगर का रहने वाला है। इसमें कर्मचारी के रूप में सैय्यद इसनैन मोहम्मद हैदराबाद के गोलकंडा के खादर बाग लंगर हाउस का रहने वाला है।

परीक्षा विभाग ने रिकार्ड खंगाले तो फर्जी मिली डिग्री

तेलंगाना पुलिस की ओर से भेजे गए प्रमाणपत्र की जांच विश्वविद्यालय की ओर से कराई गई। यह प्रथमदृष्टया ही फर्जी प्रतीत हो रही थी।

परीक्षा विभाग ने अपने रिकार्ड से इसका मिलान किया तो ऐसे किसी भी व्यक्ति का कोई भी प्रमाण विभाग में उपलब्ध नहीं था।

मामले को लेकर परीक्षा नियंत्रक डा. टीके डे ने बताया कि प्रमाणपत्रों की जांच की गई। वह फर्जी पाए गए हैं।

पीजी से लेकर आयुर्वेद और होम्योपैथी तक की मिल चुकीं फर्जी डिग्रियां

बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के नाम पर फर्जी डिग्री बेचने का मामला कोई नया नहीं है। पिछले कई वर्षों से लगातार यह गोरखधंधा चल रहा है। इससे पहले पीजी से लेकर आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी के नाम पर डिग्रियां बेची गई थीं।

कुछ दिन पहले गांधीनगर में होम्योपैथी की फर्जी डिग्री मिली थी। जांच के इसे फर्जी करार दिया गया था। इससे पहले पंजाब के गुरदासपुर, राजस्थान, छत्तीसगढ़ समेत अन्य स्थानों पर फर्जी डिग्रियां मिल चुकी हैं।

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