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BRA University: अतिरिक्त शुल्क लेने के बाद भी डाक से डिग्री नहीं भेज रहा बीआरए विवि, पेमेंट करने पर फंस जा रहा पैसा

BRA University बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में अतिरिक्त शुल्क लेने के बाद भी छात्रों को डाक से डिग्री नहीं भेजी जा रही है। 600 रुपये शुल्क के बावजूद डिग्री घर नहीं पहुंच रही है। छात्रों को विश्वविद्यालय के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। विश्वविद्यालय की ओर से पिछले दिनों 600 रुपये में डाक से डिग्री भेजने का दावा किया गया था।

By Prashant Kumar Edited By: Mohit Tripathi Updated: Wed, 28 Aug 2024 04:07 PM (IST)
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200 रुपये अतिरिक्त शुल्क ले रहा विश्वविद्यालय, डाक से नहीं भेजी जा रही डिग्री।
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में अतिरिक्त शुल्क लेने के बाद भी छात्र-छात्राओं को डाक से डिग्री उनके पते पर नहीं भेजी जा रही है। डाक से डिग्री भेजने के लिए विश्वविद्यालय की ओर से 600 रुपये शुल्क लिया जा रहा है।

चौंकाने वाली बात यह है कि सामान्य प्रक्रिया के तहत डिग्री हासिल करने के लिए आवेदन प्रक्रिया से 200 रुपये अतिरिक्त शुल्क का भुगतान छात्र-छात्राएं कर रहे हैं। बावजूद उन्हें घर बैठे डिग्री नहीं मिल पा रही है।

विश्वविद्यालय की ओर से पिछले दिनों 600 रुपये में डाक से डिग्री भेजने का दावा किया गया था। अभी सर्टिफिकेट के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया में सामान्य तरीके से डिग्री हासिल करने के लिए आवेदक को 400 रुपये का भुगतान करना होता है।

सर्टिफिकेट बनने के बाद इसे कॉलेज में भेज दिया जाता है या छात्र-छात्राएं विश्वविद्यालय में पहुंचकर इसे प्राप्त करते हैं। ऑनलाइन आवेदन के क्रम में छात्रों को दो तरह का विकल्प दिखता है।

पहले में सेल्फ कलेक्ट यानी खुद से प्राप्ति का विकल्प मिलता है। इसके लिए उन्हें 400 रुपये का ऑनलाइन भुगतान करना पड़ता है। वहीं, दूसरे विकल्प के रूप में पोस्ट का विकल्प है। इसके एवज में आवेदक को 600 रुपये देना पड़ता है।

काफी संख्या में विद्यार्थी इसका विकल्प चुनते हैं और इंतजार करते रहते हैं कि डिग्री घर पर पहुंच जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं होता है। अगर कोई आवेदक पोस्ट का विकल्प चुनता है तो भी इसमें तीन विकल्प पूछे जाते हैं। राज्य के भीतर, राज्य के बाहर और विदेशों में।

मामले को लेकर प्रॉक्टर डॉ. बीएस राय ने बताया कि पूरी प्रक्रिया की जानकारी लेकर बेहतर तरीके से मॉनीटरिंग की व्यवस्था कराई जाएगी ताकि छात्र-छात्राओं को परेशानी न हो। गेटवे कंपनी की भूमिका पर भी सवाल है।

चार से पांच महीने पहले आवेदन कर भटक रहे विद्यार्थी

डाक से डिग्री हासिल करने का विकल्प अपनाने के बाद भी जब छात्र-छात्राओं के पते पर डिग्री नहीं पहुंची तो वैसे छात्र विश्वविद्यालय का चक्कर लगा रहे हैं।

सीतामढ़ी के डिग्री कॉलेज की छात्रा मेनका ने बताया कि 11 अप्रैल को 600 रुपये का भुगतान कर डिग्री के लिए ऑनलाइन आवेदन करते समय डाक का विकल्प चुना था।

करीब चार महीने बाद भी डिग्री पते पर नहीं आई है। इसकी शिकायत जब परीक्षा विभाग में की गई तो वहां से कोई जानकारी नहीं दी गई।

वहीं, मंगलवार को डिग्री की तलाश में पहुंचे छात्र रवि कुमार ने बताया कि दो महीने पहले उसके बड़े भाई ने डाक से डिग्री के लिए आवेदन किया था। अब तक कुछ भी नहीं हुआ है।

ऑनलाइन भुगतान में फंस जाता है बच्चों का पेमेंट

डिग्री, प्रोविजनल, माइग्रेशन समेत अन्य दस्तावेजों के लिए ऑनलाइन भुगतान के क्रम में पेमेंट फंस जाता है। आवेदक के खाते से पैसा तो कट जाता है और स्टेटस में सक्सेसफुल दिखाया जाता है। दूसरी ओर ट्रांजेक्शन आइडी और स्टेटस का कालम खाली दिखने लगता है।

जब वे पावती रसीद लेकर विश्वविद्यालय जाते हैं तो पेमेंट नहीं होने क कारण उन्हें लौटा दिया जाता है। हर रोज ऐसे मामले आ रहे हैं। अधिकारियों का सीधा तर्क होता है कि वित्तीय मामले की उन्हें जानकारी नहीं होती है।

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