Kurhani By-Election 2022: कुढ़नी उपचुनाव क्यों हार गई JDU? CM नीतीश कुमार ने भरी सभा में तोड़ी चुप्पी
Kurhani By-Election 2022 रविवार को पटना के एसके मेमोरियल हाल में पार्टी के खुला अधिवेशन में नीतीश कुमार ने पहली बार कुढ़नी उपचुनाव में मिली हार पर अपनी चुप्पी तोड़ी। साथ ही उन्होंने 2024 में देश को भाजपा से मुक्ति दिलाने का आवाह्न किया।
मुजफ्फरपुर, जागरण डिजिटल डेस्क। कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव में महागठबंधन की हार के बाद राज्य में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व और जनता के बीच उनकी छवि को लेकर सवाल उठ रहे हैं। उन्हें सीधे तौर पर इस हार के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। इस बीच पहली बार नीतीश कुमार ने कुढ़नी में हार पर अपनी चुप्पी तोड़ी है। रविवार को पटना के एसके मेमोरियल हाल में पार्टी के खुला अधिवेशन में अपने संबोधन के दौरान सीएम ने हार के लिए अपने प्रत्याशी मनोज कुमार सिंह को ही जिम्मेदार ठहराया है। नीतीश कुमार ने कहा कि हमारे जो प्रत्याशी थे, उन्होंने पंचायत चुनाव में किसी का विरोध किया था। उन लोगों ने इसी वजह से हमारे प्रत्याशी का विरोध किया, जिसके कारण महागठबंधन को कुढ़नी की सीट गंवानी पड़ी।
बता दें कि कुढ़नी विधानसभा सीट पर उपचुनाव में महागठबंधन ने भाजपा के केदार प्रसाद गुप्ता के खिलाफ जदयू के मनोज कुमार सिंह उर्फ मनोज कुशवाहा को मैदान में उतारा था। 2020 के चुनाव में कुढ़नी सीट पर राजद के अनिल सहनी ने केदार गुप्ता को परास्त किया था। मगर भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते उन्हें विधायकी पद से बर्खास्त कर दिया गया, जिसके कारण यहां उपचुनाव कराया गया। राजद ने अपनी सीट जदयू प्रत्याशी मनोज कुशवाहा को दे दी, लेकिन भाजपा के केदार गुप्ता ने उन्हें तीन हजार से अधिक वोटों के अंतर से हरा दिया।
सीएम नीतीश ने देश को भाजपा मुक्त करने का किया आह्वान
नीतीश कुमार ने इससे पहले अपनी पार्टी और देश के सभी विपक्षी दलों की एकजुटता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सभी एकजुट हो जाएंगे तो 2024 के चुनाव में भारी मतों से जीतेंगे। हम थर्ड फ्रंट नहीं बल्कि मेन फ्रंट की बात कर रहे। हमलोगों ने बड़ी ईमानदारी से सभी के विकास के लिए एक-एक काम किया है। कुछ लोग उल्टा-पुल्टा बोलते रहते हैं, पर हम सभी के हित में दिन-रात काम करते रहते हैं। कुछ लोग झंझट कराना चाहते हैं। मेरी इच्छा है कि सब मिलकर मैदान में आएं। भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन लोगों को आजादी की लड़ाई से कोई मतलब नहीं रहा, वे लोग इसे नया-नया नाम दे रहे। वहीं जो आजादी की लड़ाई में लड़े, वह खराब और जो नहीं लड़े, उन्हें बढ़िया बताया जा रहा।