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दरभंगा : डीएमसीएच स्थित नशामुक्ति केंद्र किया गया बंद, भर्ती मरीजों को भगाया गया

Darbhanga News बिहार में शराबबंदी के बाद जिस उद्देश्य से नशामुक्ति केंद्र खोला गया था। उसे डीएमसीएच प्रशासन की ओर से बंद कर दिया है। डीएमसीएच मेडिसिन विभाग स्थित नशामुक्ति केंद्र को जबरन बंद करवाने का आरोप लगाया जा रहा है।

By Murari KumarEdited By: Updated: Thu, 20 May 2021 04:08 PM (IST)
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डीएमसीएच स्थित नशामुक्ति केंद्र किया गया बंद।
दरभंगा, जागरण संवाददाता। बिहार में शराबबंदी के बाद जिस उद्देश्य से नशामुक्ति केंद्र खोला गया था। उसे डीएमसीएच प्रशासन की ओर से बंद कर दिया  है।  डीएमसीएच मेडिसिन विभाग स्थित नशामुक्ति केंद्र को जबरन बंद करवाने का आरोप लगाया जा रहा है। केंद्र के कर्मचारियों ने बताया कि शराबबंदी के बाद डीएमसीएच में नशामुक्ति केंद्र खोला गया था। स्थापित नशामुक्ति केंद्र पर मरीजों को मुफ्त में दवाई, इलाज, खाना, नाश्ता और रहने की सुविधा दी जाती है। लेकिन 17 मई से नशामुक्ति केंद्र बंद है । केंद्र में भर्ती एक मरीज ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वह  पिछले सप्ताहभर से डीएमसीएच स्थित नशामुक्ति केंद्र में भर्ती था। 17 मई को डीएमसीएच के मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष ने जबरन केंद्र बाहर निकाल दिया। अब वह इलाज से वंचित हो गया है। दवा और समुचित इलाज के अभाव में उसकी परेशानी बढ़ गई है। मरीज ने बताया कि डीएमसीएच और केंद्र की ओर से पूर्व में केंद्र को बंद या खाली करने को लेकर किसी भी तरह की कोई भी सूचना नहीं दी गई थी। डीएमसीएच प्रशासन की ओर से जबरन केंद्र से बाहर निकाल दिया गया। 

केंद्र को खोला करने को लेकर नहीं जारी किया गया लेटर

नशामुक्ति केंद्र को खाली करने को लेकर संबंधित केंद्र को किसी भी तरह का कोई लेटर जारी नहीं किया गया है। विभिन्न तरह के नशा करने वाले चार मरीज 17 मई तक केंद्र में भर्ती थे। जिसमें कई की स्थिति काफी गंभीर थी। अस्पताल प्रशासन के द्वारा मरीज के तीमारदार तक को भी केंद्र खाली करने की सूचना पूर्व में नहीं दी गई थी। जिन मरीजों को सुरक्षा घेरे में रखकर इलाज किया जाता है, उसे जबरन नशामुक्ति केंद्र से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। 

उत्तर बिहार के कई जिलों से आते थे मरीज 

डीएमसीएच स्थित नशामुक्ति केंद्र में दरभंगा समेत मधुबनी, समस्तीपुर, सीतामढ़ी आदि जिलों के मरीज उपचार को पहुंचते थे। सभी को केंंद्र में भर्ती रखा जाता था। मुफ्त में खाना,नाश्ता, दवाइयां आदि दी जाती थी। लेकिन जब से केंद्र केंद्र बंद हुआ है, तब से विभिन्न तरह के नशा के आदि लोगों के सामने मरीज के उपचार को लेकर  ङ्क्षचता की स्थिति बनी हुई है। 

दो-तिहाई युवा होते थे भर्ती 

नशामुक्ति केंद्र में इलाज को पहुंचने वाले मरीज में युवाओं की संख्या दो -तिहाई है। 95 फीसद नशा लेने वाले लोगों को नशामुक्ति केंद्र में भर्ती रहते हैं।10 बेड का केंद्र हमेशा भरा रहता था। मरीजों को नशामुक्ति केंद्र में भर्ती करवाने के लिए लंबा इंतजार तक करना पड़ता था। 

विक्षिप्त होने से बचाता है इलाज 

आदतन नशेबाज को अगर अचानक शराब मिलना बंद हो जाए तो इसका असर सीधे दिमाग पर पड़ता है। ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति को शराब से दूर रखने के लिए नशामुक्ति केंद्र की मदद काफी कारगर ही होती है। मनोचिकित्सा विशेष डॉ. अंजुम आरा बताते हैं कि अचानक शराब नहीं मिलने पर व्यक्ति मानसिक रूप से विक्षिप्त हो सकता है। ऐसे में केंद्र पर ऐसे लोगों को दवा के साथ परामर्श देकर इस स्थिति से निकाला जाता है।

इस संबंध में दरभंगा के सिविल सर्जन डॉ. संजीव कुमार सिन्हा ने कहा कि कोरोना मरीजों के इलाज को लेकर नशामुक्ति केंद्र को खाली करवाया गया है। बाद में दूसरे जगह केंद्र को स्थापित किया जाएगा। इसको लेकर विचार किया जा रहा है। 

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