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अफगानिस्तान से मुजफ्फरपुर लौटे डाॅ. आबिद को काबुल के विवि से आने लगा बुलावा

अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता संभालने के बाद बाख्तर विवि में ही लगभग एक सप्ताह तक फंसे रहे विदेश मंत्रालय की मदद से पहुंचे थे नई दिल्ली लखनऊ में बच्चों के साथ रहने के बाद सकुशल पहुंचे घर।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Updated: Tue, 14 Sep 2021 08:54 AM (IST)
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पत्नी, पुत्र और पुत्री के साथ डा. सैयद आबिद हुसैन। जागरण
मुजफ्फरपुर, जासं। अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन के बाद काबुल में फंसे पूर्व डिप्टी मेयर के बड़े भाई डा. सैयद आबिद हुसैन सोमवार को आजाद रोड स्थित घर पहुंच गए। उनके यहां पहुंचने के साथ ही काबुल स्थित बाख्तर विश्वविद्यालय से बुलावा भी आने लगा। विवि में मैनेजमेंट के प्राध्यापक डा. हुसैन से आनलाइन क्लास और परीक्षा लेने का भी आग्रह किया जा रहा है। ऐसा अफगानिस्तान की नई सरकार द्वारा पठन-पाठन की नई व्यवस्था लागू करने के बाद हुआ है। वहां शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाई शुरू होने वाली है।

भारत के अफगानिस्तान से बेहतर संबंध स्थापित होने के बाद ही जाने की सोच सकता

घर पहुंचे डा. हुसैन ने कहा, अफगानिस्तान के साथ भारत के संबंध पर ही उनका वहां जाना निर्भर करता है। जब उनके मुल्क का अफगान की तालिबान सरकार से बेहतर संबंध होंगे तभी निर्णय लेंगे। क्योंकि वहां अभी अनिश्चितता है। अफगानिस्तान फिर नया मुल्क बन रहा है। वहां जाने से बेहतर है भारत में ही विकल्प की तलाश की जाए। उन्होंने कहा, वहां शिक्षा की व्यवस्था बदल गई है। किसी वर्ग में 15 छात्रा होने पर उनके लिए अलग कक्षाएं लगेंगी। इससे कम संख्या होने पर छात्रा और छात्र एक कक्षा में पढ़ेंगे जरूर, मगर बीच में पर्दा डालना होगा।

बाख्तर विवि परिसर में रहने के कारण रहे सुरक्षित

मालूम हो कि डा. आबिद हुसैन के काबुल में फंसे होने की खबर सबसे पहले दैनिक जागरण में प्रकाशित हुई थी। इसके बाद सरकारी तंत्र भी हरकत में आया था। डा. हुसैन ने कहा कि 15 अगस्त को ही अफगानिस्तान में एक तरह से सत्ता परिवर्तन हो गया था। इसके बाद देश तालिबान के नियंत्रण में चला गया। इससे कुछ लोगों में डर जरूर था, मगर वे लोग बाख्तर विवि परिसर में सुरक्षित थे। साथ ही यह बात भी सामने आने लगी की सत्ता पाने के बाद तालिबान आमलोगों के साथ अधिक खून-खराबा नहीं करेगा। इससे राहत मिली। स्वजनों से भी लगातार बात हो रही थी। परेशानी एयरबेस बंद होने से थी।

टिकट रहने के बाद भी वे देश नहीं लौट पा रहे थे। करीब एक सप्ताह की जद्दोजहद के बीच वे विदेश मंत्रालय के पदाधिकारियों की मदद से 24 अगस्त को नई दिल्ली पहुंच गए थे। यहां क्वारंटाइन रहने के बाद सात सितंबर को लखनऊ पहुंचे। पत्नी और दोनों बच्चे वहीं थे। कुछ दिन उनके साथ रहने के बाद आज घर पहुंचा। परिवार के सभी सदस्यों ने भी राहत की सांस ली। पूर्व डिप्टी मेयर सैयद माजिद हुसैन ने कहा, मोबाइल से बात हो ही जाती थी। काबुल से सकुशल लौटने के बाद बड़े भाई को देखना सुखद अनुभूति है।

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