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रक्सौल हवाई अड्डा से उड़ान का सपना अधूरा, था देश का दूसरा बड़ा एयरपोर्ट

अंतरराष्ट्रीय सीमा स्थित यह एयरपोर्ट भारत व नेपाल दोनों के लिए होगा लाभकारी। एयरपोर्ट का उपयोग खेती के लिए कर रहे हैं स्थानीय किसान।

By Ajit KumarEdited By: Updated: Thu, 11 Apr 2019 06:46 PM (IST)
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रक्सौल हवाई अड्डा से उड़ान का सपना अधूरा, था देश का दूसरा बड़ा एयरपोर्ट
पूर्वी चंपारण [विजय कुमार गिरि]। भारत-नेपाल सीमा के रक्सौल शहर के तीन किलोमीटर दूर पनटोका पंचायत स्थित हवाई अड्डा का विशाल क्षेत्र। यहां कुछ भाग खाली तो कुछ पर खेती व किसानी हो रही है। सपना था हवाई उड़ान का। 1960 में इस हवाई अड्डा की परिकल्पना की गई थी। 1968 में एयर र्सिवस की शुरूआत भी की गई। लेकिन 1970 में फिर इस सेवा को बंद कर दिया गया। उसके बाद से यह क्षेत्र वीरान पड़ा है। समय के साथ क्षेत्र की आबादी बढ़ी। आसपास के क्षेत्रों में लोग बसने लगे। बहुमंजिला इमारत बनने लगे। बीच के दिनों में इस हवाई अड्डा को चालू करने कवायद जरूर शुरू की गई थी। लेकिन यह सपना अभी भी पूरा नहीं हो सका।

 इंडो-नेपाल बॉर्डर पर स्थित ऐतिहासिक रक्सौल एयरपोर्ट की अपनी अलग पहचान है। इसका निर्माण सुरक्षा के दृष्टिकोण से तत्कालीन सेनाध्यक्ष और प्रधानमंत्री के सुझाव पर किया गया था। निर्माण के दौरान देश के दमदम एयरपोर्ट के बाद देश का यह दूसरा सबसे बड़ा एयरपोर्ट था। इसका निर्माण सुरक्षा के अलावा देशी-विदेशी पर्यटकों और यात्री सुविधा के लिए किया गया था।

 इन दिनों एयरपोर्ट का उपयोग खेत व खलिहान के रूप में स्थानीय किसान कर रहे हैं। इसके भवन पर एसएसबी का कब्जा है। इसे शुरू करने के लिए सरकार के स्तर से कवायद जरूर शुरू की गई, लेकिन उड़ान शुरू नहीं हो सकी। पिछले बीस वर्षो से हर सरकार उड़ान शुरू करने का वादा करती रही है, पर इसे पूरा नहीं किया जा सका है। इस एयरपोर्ट के शुरू होने से रक्सौल सड़क, रेल, हवाई मार्ग से सीधा जुड़ जाएगा। जिससे कार्गो के अलावा यात्री हवाई जहाज सीधा रक्सौल के रास्ते नेपाल के लिए उड़ान भर सकेंगे।

बिहार के चयनित दो एयरपोर्ट में रक्सौल को किया गया है शामिल

भारत सरकार ने देश के सौ एयरपोर्ट को शुरू करने के लिए योजना तैयार की है, जिसमें बिहार के दो एयरपोर्ट को चयनित किया है। इसमें रक्सौल व मुजफ्फरपुर का एयरपोर्ट शामिल है। सरकार ने दुर्गम क्षेत्रों को हवाई सेवा से जोडऩे के लिए योजना तैयार की है, जिसके लिए केंद्र व राज्य सरकार दोनों के मिलकर एयरपोर्ट को शुरू करने में सहयोग करने की बात कही गई है।

 हवाई यात्रा सस्ता व जहाज कंपनियों को बेहतर सुविधा देने का भी निर्णय लिया गया है। अनुदान की राशि रख-रखाव व सुरक्षा व्यवस्था के लिए भी नियम बनाए गए हैं। अंतरराष्ट्रीय महत्व वाले रक्सौल शहर को हवाई सेवा से जोडऩे के लिए पिछले एक दशक से प्रयास किया जा रहा है। सरकार द्वारा इस एयरपोर्ट को चयनित किए जाने से सीमा क्षेत्र के लोगों में उम्मीद जगी है।

एयरपोर्ट के बनने से बढ़ेंगी सुविधाएं

दुर्गम क्षेत्रों को जोडऩे के लिए शुरू की गई योजना में काफी सुविधा कंपनियों व चालकों को मिलेगी। तेल खर्च पर से टैक्स हटेगा। चालकों को रात्रि विश्राम, रनवे टैक्स, प्रोपर्टी टैक्स, लैंडि़ग व पाॢकंग टैक्स आदि में छूट मिलेगी। इसके लिए सरकार पांच से 10 वर्षो तक अनुदान देगी, जिससे सस्ते दर पर बेहतर सेवा दुर्गम क्षेत्र के लोगों को मिले। सरकार ने जो सौ एयरपोर्ट को शुरू करने की सूची तैयार की है। उसमें रक्सौल एयरपोर्ट 89 तथा मजुफ्फरपुर 69 नंबर पर है। हाल में चाहरदिवारी बनाकर इस एयरपोर्ट को सुरक्षित किया गया है।

एयरपोर्ट का क्या है क्षेत्रफल

रक्सौल प्रखंड के पनटोका पंचायत के सीमावर्ती हरैया गांव में स्थित सिविल एविएशन का एयरपोर्ट सुरक्षा की ²ष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। इस एयरपोर्ट का क्षेत्रफल करीब दो किलोमीटर लंबा व एक किलोमीटर चौड़ा है। वर्तमान में इस एयरपोर्ट परिसर में एसएसबी 13 वीं बटालियन का बीओपी संचालित है।

1962 में एयरपोर्ट का हुआ था निर्माण

चंपारण गजेटियर के अनुसार भारत-चीन के बीच उत्पन्न तनाव के मद्देनजर 1960 में इसका निर्माण किया गया। 1962 तक योजनाबद्ध तरीके से इसका आधुनिकीकरण व रख-रखाव चलता रहा। 1968 में रक्सौल, मुजफ्फरपुर व भागलपुर के लिए कङ्क्षलग एयर र्सिवस शुरू हुआ। इसके बाद से सरकार ने राजस्व व सुरक्षा की दृष्टि से अतिमहत्वपूर्ण एयरपोर्ट को नजरअंदाज कर दिया, जिससे 70 के दशक के बाद से उड़ाने बंद हो गई। इस बीच नेता-अभिनेता चुनावी सभा व आमसभा के लिए एयरपोर्ट पर आते रहे। अंतिम बार 5 अगस्त 2011 को एयर एंबुलेंस दिल्ली से रक्सौल एयरपोर्ट पर उतारा गया।

रक्सौल एयरपोर्ट देश का दूसरा बड़ा एयरपोर्ट था

भारत-चीन युद्ध के उपरांत जनरल केएम करियप्पा ने सीमा क्षेत्र का दौरा किया था, जिसमें युद्ध के दौरान सैन्य सामग्री व हवाई हमले के लिए सबसे बेहतर स्थल के रूप में चयन किया। सरकार ने 60 के दशक में दमदम एयरपोर्ट के बाद देश के दूसरे बड़े एयरपोर्ट का निर्माण रक्सौल में किया, परंतु सीमा क्षेत्र का विकास व एयरपोर्ट का आधुनिकीकरण नहीं किया गया।

 जबकि पड़ोसी देश नेपाल ने चीन के सहयोग से सीमावर्ती पर्सा, बारा, रौतहट, नवलपरासी आदि जिला में आधा दर्जन अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का निर्माण कर उड़ान शुरू कर दिया है। ऐसा मानना है कि रक्सौल से प्रतिदिन नेपाल के अलावा भारत के दिल्ली, कोलकाता, पटना, लखनऊ, चेन्नई आदि के लिए यात्री हवाई जहाज की उड़ानें हो सकती है। रक्सौल से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर नेपाल के बारा जिला सेमरा एयरपोर्ट से प्रतिदिन चार यात्री हवाई जहाज अप एंड डाउन काठमांडू के अलावा अन्य प्रमुख पर्यटन स्थलों के उड़ान भरते हैं।

देश व विदेश के यात्रियों को मिलेगा लाभ

बिमल रूंगटा ने कहा कि रक्सौल के विकास के लिए एयरपोर्ट शीघ्र शुरू करना आवश्यक है। इसके लिए जनप्रतिनिधियों ने लगातार आश्वासन दिया, परंतु इससे उड़ाने शुरू नहीं हुई। रमेश सर्राफ ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय महत्व के शहर रक्सौल विश्व के मानचित्र पर भारत-नेपाल सीमा के प्रमुख बॉर्डर के रूप में चिन्हित है। परंतु एयरपोर्ट का हाल गजब है।

 जनप्रतिनिधि चुनाव के समय एयरपोर्ट की बात करते हैं, लेकिन, चुनाव के बाद इसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है। एयरपोर्ट शुरू होने से यात्री सुविधा के अलावा राजस्व की प्राप्ति भी होगी। इसी प्रकार रामकृपाल प्रसाद, मनोज राव, जितेंद्र साह उर्फ जीतन व ओमप्रकाश मिश्रा ने कहा कि इस एयरपोर्ट के प्रारंभ होने से क्षेत्र का विकास होगा और लोगों को सुविधाएं मिल सकेगी।  

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