Earth Hour Day 2021: उत्तर बिहार में मनाया गया अर्थ आवर, लोगों ने एक घंटे तक किया बत्ती बंद
हर वर्ष मार्च के अंतिम शनिवार को अर्थ ऑवर डे मनाया जाता है। इस दिन रात के 830 बजे और 930 बजे के बीच दुनियाभर में लाखों लोग बत्ती बंद कर देते हैं। हांलाकि मुजफ्फरपुर समेत उत्तर बिहार के जिलों में इसका खासा असर देखने को नहीं मिला।
By Murari KumarEdited By: Updated: Sat, 27 Mar 2021 09:08 PM (IST)
मुजफ्फरपुर, ऑनलाइन डेस्क। हर वर्ष, मार्च के अंतिम शनिवार को अर्थ ऑवर डे मनाया जाता है। इस दिन रात के 8:30 बजे और 9:30 बजे के बीच दुनियाभर में लाखों लोग बत्ती बंद कर देते हैं। इस गतिविधि का लक्ष्य जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूकता फैलाना है। इस वर्ष अर्थ ऑवर 27 मार्च, 2021 को आयोजित किया गया। हांलाकि मुजफ्फरपुर समेत उत्तर बिहार के जिलों में इसका खासा असर देखने को नहीं मिला। लेकिन कुछ जगहों पर लोगों ने बत्ती बंंद किया। वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर द्वारा एक घंटे के लिए इलेक्ट्रिक लाइट बंद करने की वार्षिक परंपरा शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य व्यक्तियों, समुदायों और व्यवसायों को पूरे एक घंटे के लिए सभी गैर-आवश्यक रोशनी बंद करने के लिए प्रोत्साहित करना है। साल 2007 में की थी। साल 2007 में 31 मार्च को पहली बार अर्थ आवर डे मनाया गया था। पहली बार इसका आयोजन ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में हुआ था। इसमें लोगों से 60 मिनट के लिए सभी लाइटें स्विच ऑफ करने की गुजारिश की गई थी। धीरे-धीरे इसे दुनियाभर में मनाया जाने लगा।
केबीसी विजेता सुशील कुमार ने एक घंटे बंद किया लाइटइधर पूर्वी चंपारण जिले में भी अर्थ ऑवर डे मनाने को लेकर लोग उत्सुक हैं। केबीसी विजेता सुशील कुमार बताते हैं कि जिस तरह से पूरी दुनिया मे बिजली की खपत लगातार बढ़ी है। उससे धरती के पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंच रहा है। वैश्विक तापमान में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। ऐसे में वर्ल्ड अर्थ आवर डे का महत्व काफी बढ़ जाता है। वो खुद भी आज अपने घर के सभी लाइट रात्रि 8.30 बजे से 9.30 बजे तक बंद रखें। वहीं आलोक दत्ता बताते हैं कि वर्ल्ड अर्थ डे जैसे कार्यक्रम ग्लोबल वर्मिंग के खिलाफ कारगर हथियार हैं। जरूरी है कि सभी लोग ऐसे कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर अपनी सहभागिता निभाएं। पिछले कुछ वर्षों में पूर्वी चंपारण जिले के मौसम में भी अप्रत्याशित बदलाव महसूस किया जा रहा है। यहां के औसत तापमान में भी बढ़ोतरी हुई है।इस वैश्विक अभियान की मदद से जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वर्मिंग जैसी समस्या से लड़ने में मदद मिलेगी। ऐसे में इसे एक दिन नहीं वरन हर दिन मनाना चाहिए।
सीतामढ़ी में भी मनाया जा रहा अर्थ आवरशहर के एक चंदननगर मोहल्ले में अर्थ आवर के दौरान एक घर की लाइट्स बूझने के बाद मोमबती से रोशनी का सहारा लिया गया। जानकी स्थान उर्दू विद्यालय, सीतामढ़ी के शिक्षक उदय नारायण सिंह ने कहा कि उन्होंने अपने घर में भी सभी लाइट्स बंद रखी। शहर के प्रतापनगर मोहल्ले के रहने वाले उदय नारायण सिंह ने कहा कि अर्थ आवर के लिए उनकी पत्नी नीलम सिंह समेत उनके बच्चे मौसम भारती, शालू भारती, अनुराग गौतम में भी जबरदस्त उत्सुकता रहा। अर्थ आवर का उद्देश्य लोगों को पर्यावरण के मुद्दों पर जागरूक करना और उसकी सुरक्षा में योगदान देने के लिए आगे लाना है। कोरोना महामारी के चलते इस साल इस आयोजन का महत्व और बढ़ गया है। 31 मार्च 2007 को ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में पहली बार इसका आयोजन हुआ था। धीरे धीरे दुनिया भर में इस दिन को मनाया जाने लगा।
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