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बिहार का एक अनूठा शिवालय जहां एक साथ विराजमान हैं 11 शिवलिंग, विदेश से भी आते भक्‍त

Sawan 2022 प्रसिद्ध तांत्रिक द्वारा की गई थी एकादशरुद्र की स्थापना। एक योनीपीठ पर प्रतिष्ठित हैं कुल 11 शिवलिंग। देश के साथ पड़ोसी देश नेपाल से भी दर्शन करने को आते भक्‍त। सोमवार संध्याकालीन श्रृंगार की है विशेषता।

By Ajit KumarEdited By: Updated: Sun, 24 Jul 2022 02:34 PM (IST)
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सावन में सोमवार को रहती है भक्‍तों की भीड़। फोटो- जागरण

मधुबनी, जासं। राजनगर प्रखंड के मंगरौनी गांव स्थित एकादशरुद्र शिवालय श्रद्धालुओं के असीम आस्था का केंद्र रहा है। एकादशरुद्र शिवलिंग की चमक भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। देश-दुनिया में प्रसिद्ध एकादशरुद्र शिवालय में महाश्रृंगार अनुष्ठान में बड़ी संख्या में भक्त हिस्सा लेते हैं।

मंदिर का इतिहास

वर्ष 1953 में मंगरौनी के प्रसिद्ध तांत्रिक पं. मुनीश्वर झा द्वारा एकादशरुद्र की स्थापना की गई। एकादशरुद्र शिवालय पर कांचीपीठ के शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती, जगन्नाथ पीठाधीश्वर शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती भी पहुंच चुके हैं। इस परिसर में माता भुवनेश्वरी का मंदिर स्थापित है। मंदिर परिसर में वर्ष 2021 में पं. मुनीश्वर झा की प्रतिमा स्थापित की गई।

जलाभिषेक के लिए पहुंचते हजारों कांवरिया

सावन माह की हर सोमवारी पर पिपराघाट स्थित संगम तट से हजारों कांवरिया जल लेकर एकादशरुद्र शिवालय पहुंचते हैं। सोमवारी पर जिलेभर से श्रद्धालु शिवालय पहुंचते हैं। रुद्राभिषेक अनुष्ठान में श्रद्धालु शामिल होते हैं। भंडारा का आयोजन भी किया जाता है।

ऐसे पहुंचा जा सकता शिवालय

जिला मुख्यालय से करीब तीन किमी की दूरी पर एकादशरुद्र शिवालय जिले के विभिन्न हिस्सों से सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है। रेलमार्ग से मधुबनी रेलवे स्टेशन उतरना होगा। रेलवे स्टेशन से रिक्शा, ऑटो, ई-रिक्शा से शिवालय पहुंचा जा सकता है। आसपास के लोग यहां पैदल चलकर ही पहुंचते हैं।

पुजारी बाबा आत्माराम बताते हैं कि, एकादश रुद्र शिवभक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। शिवालय के सामने पवित्र सरोवर का मनोरम दृश्य भक्तों को आनंदित करता है। यहां सालभर दूर-दूर से भक्त पहुंचते हैं।

शिवभक्त ऋषिनाथ झा ने कहा कि, एकादशरूद्र के दर्शन मात्र से भक्तों का शारीरिक, मानसिक पीड़ा दूर होने लगता है। प्रत्येक सोमवार संध्याकाल में श्रृंगार अनुष्ठान की अद्भुत छटा देखने को मिलता है। श्रद्धालुओं को शिव आराधना में लगे रहना चाहिए।

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