Bihar News : राम नगरी अयोध्या के किसानों को मिथिला के विज्ञानी देंगे 'ज्ञान', मखाने की खेती से चमक उठेगी किस्मत
Bihar News बिहार के मिथिला क्षेत्र के विज्ञानी राम की नगरी अयोध्या और उसके आसपास के जिलों के किसानों को मखाने की खेती का प्रशिक्षण देंगे। इसके माध्यम से उत्तर प्रदेश के किसानों की किस्मत चमक सकती है। बता दें कि बिहार के मखाने की देश ही नहीं विदेशों में भी काफी डिमांड है। ऐसे में यह पहल किसानों की आर्थिकी बढ़ाने में मददगार हो सकती है।
यूपी के कृषि मंत्री को पसंद आई थी मखाना की खेती
मखाना तोड़ने में कांटों की समस्या आई थी सामने
मखाने की वेराइटी
दरअसल, जल की उपलब्धता मखाने के प्रभेद के हिसाब से होनी चाहिए। चूंकि मखाने में कांटा होता है, ऐसे में उसकी खेती के तरीके को भी जानना जरूरी है। मिथिला में सामान्य (परंपरागत) मखाना के अलावा इसकी वेराइटी 'स्वर्ण वैदेही' व 'सुपर सेलेक्शन वन' को भी देखा जा रहा है।किस समय होती है मखाने की खेती
कारण यह कि वर्तमान में सुपर सेलेक्शन वन में प्रति हेक्टेयर में 30 से 35 क्विंटल गुड़ी का उत्पादन संभव है। जबकि सामान्य व परंपरागत मखाने का उत्पादन 15 से 20 क्विंटल है।इसकी खेती नवंबर से फरवरी के बीच की जाती है। तीन से चार फीट वाले जलीय क्षेत्र में भी इसकी खेती हो सकती है। अधिक तापमान में भी इसका उत्पादन हो जाता है।दरभंगा मखाना अनुसंधान केंद्र के विज्ञानियों से सीखेंगे खेती के गुर
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्राैद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह ने बताया कि दरभंगा स्थित मखाना अनुसंधान केंद्र से बीज मंगाकर इसका प्रत्यक्षण विश्वविद्यालय परिसर में कराया गया था।इस बार इसे विस्तार देकर दो एकड़ में लगाया जा रहा है। इसकी खेती में तकनीकी ज्ञान की जरूरत है। अब मखाना अनुसंधान केंद्र, दरभंगा के विज्ञानियों से किसानों को मखाना की खेती का प्रशिक्षण दिलाने की तैयारी है। इसे लेकर शीघ्र विश्वविद्यालय में प्रशिक्षण शिविर आयोजित होगा। इसके बाद मखाने की खेती को अन्य जिलों में विस्तार दिया जाएगा। इसके लिए कार्ययोजना बनाई जा रही है।यह भी पढ़ेंBihar News: बिहार का मखाना दुनिया में हो रहा मशहूर, किसान भी हो रहे हैं मालामाल; खेती में इतने का आ रहा खर्चखेती का तरीका बदल मालामाल हो रहे मुजफ्फरपुर के किसान, मखाना व मशरूम की आधुनिक फार्मिंग कर लाखों कमा रहीं महिलाएंमखाना की खेती अयोध्या में शुरू होना गर्व का विषय है। पिछले साल आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में स्वर्ण वैदेही मखाना का बीज भेजा गया था। इससे पहले हरिद्वार, मऊ व देवरिया में मखाना की खेती के लिए बीज गया है। विश्वविद्यालय के स्तर पर यदि प्रशिक्षण की दिशा में प्रयास किया जा रहा है, तो मखाना अनुसंधान केंद्र के स्तर पर आवश्यक सहयोग रहेगा। - इंदुशेखर सिंह, प्रभारी सह प्रधान विज्ञानी, राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र, दरभंगा