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Bihar News : राम नगरी अयोध्या के किसानों को मिथिला के विज्ञानी देंगे 'ज्ञान', मखाने की खेती से चमक उठेगी किस्मत

Bihar News बिहार के मिथिला क्षेत्र के विज्ञानी राम की नगरी अयोध्या और उसके आसपास के जिलों के किसानों को मखाने की खेती का प्रशिक्षण देंगे। इसके माध्यम से उत्तर प्रदेश के किसानों की किस्मत चमक सकती है। बता दें कि बिहार के मखाने की देश ही नहीं विदेशों में भी काफी डिमांड है। ऐसे में यह पहल किसानों की आर्थिकी बढ़ाने में मददगार हो सकती है।

By Dilip Kumar Edited By: Yogesh Sahu Updated: Thu, 22 Feb 2024 05:02 PM (IST)
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Bihar News : राम नगरी अयोध्या के किसानों को मिथिला के विज्ञानी देंगे 'ज्ञान', मखाने की खेती से चमकेगी किस्मत

संजय कुमार उपाध्याय, मोतिहारी। Bihar News : मिथिला और अयोध्या के जुड़ाव में मखाना भी एक कड़ी होगा। मखाने की खेती उत्तर प्रदेश के अयोध्या के अलावा अन्य जिलों में भी होगी।

पिछले वर्ष दरभंगा के राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र से बीज मंगाकर अयोध्या स्थित आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में प्रत्यक्षण किया गया। परिणाम अच्छा रहा है।

अब पूर्वी उत्तर प्रदेश के जलीय क्षेत्र में इसकी खेती करने की तैयारी है। उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने भी मखाने की खेती उत्तर प्रदेश में कराने पर जोर दिया है। उन्होंने कुलपति से इस संबंध में कार्ययोजना बनाने को भी कहा है।

यूपी के कृषि मंत्री को पसंद आई थी मखाना की खेती

पूर्वी चंपारण के पीपराकोठी में इसी वर्ष 12 फरवरी को आत्मनिर्भर कृषि सह बागवानी विस्तार एवं पशुधन के तहत किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया था।

इसमें पहुंचे उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री ने मखाना की खेती के संबंध में जानकारी ली थी। इसमें उन्होंने बताया था कि प्रारंभिक तौर पर अयोध्या के अलावा महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर व श्रावस्ती जिले में भी मिथिला के मखाने की खेती होगी। इसके लिए सर्वेक्षण का कार्य चल रहा है।

मखाना तोड़ने में कांटों की समस्या आई थी सामने

पिछले साल प्रत्यक्षण के लिए आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में मिथिला का सामान्य मखाना लगाया गया था। मखाना तोड़ने में कांटों की समस्या सामने आई थी।

इस बार बीजों की प्रकृति व सिंचाई के साधन पर शोध किया जा रहा है, ताकि किसान जब मखाना लगाएं तब ज्यादा से ज्यादा उत्पादन पाएं।

मखाने की वेराइटी

दरअसल, जल की उपलब्धता मखाने के प्रभेद के हिसाब से होनी चाहिए। चूंकि मखाने में कांटा होता है, ऐसे में उसकी खेती के तरीके को भी जानना जरूरी है।

मिथिला में सामान्य (परंपरागत) मखाना के अलावा इसकी वेराइटी 'स्वर्ण वैदेही' व 'सुपर सेलेक्शन वन' को भी देखा जा रहा है।

किस समय होती है मखाने की खेती

कारण यह कि वर्तमान में सुपर सेलेक्शन वन में प्रति हेक्टेयर में 30 से 35 क्विंटल गुड़ी का उत्पादन संभव है। जबकि सामान्य व परंपरागत मखाने का उत्पादन 15 से 20 क्विंटल है।

इसकी खेती नवंबर से फरवरी के बीच की जाती है। तीन से चार फीट वाले जलीय क्षेत्र में भी इसकी खेती हो सकती है। अधिक तापमान में भी इसका उत्पादन हो जाता है।

दरभंगा मखाना अनुसंधान केंद्र के विज्ञानियों से सीखेंगे खेती के गुर

आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्राैद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह ने बताया कि दरभंगा स्थित मखाना अनुसंधान केंद्र से बीज मंगाकर इसका प्रत्यक्षण विश्वविद्यालय परिसर में कराया गया था।

इस बार इसे विस्तार देकर दो एकड़ में लगाया जा रहा है। इसकी खेती में तकनीकी ज्ञान की जरूरत है। अब मखाना अनुसंधान केंद्र, दरभंगा के विज्ञानियों से किसानों को मखाना की खेती का प्रशिक्षण दिलाने की तैयारी है।

इसे लेकर शीघ्र विश्वविद्यालय में प्रशिक्षण शिविर आयोजित होगा। इसके बाद मखाने की खेती को अन्य जिलों में विस्तार दिया जाएगा। इसके लिए कार्ययोजना बनाई जा रही है।

मखाना की खेती अयोध्या में शुरू होना गर्व का विषय है। पिछले साल आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में स्वर्ण वैदेही मखाना का बीज भेजा गया था। इससे पहले हरिद्वार, मऊ व देवरिया में मखाना की खेती के लिए बीज गया है। विश्वविद्यालय के स्तर पर यदि प्रशिक्षण की दिशा में प्रयास किया जा रहा है, तो मखाना अनुसंधान केंद्र के स्तर पर आवश्यक सहयोग रहेगा। - इंदुशेखर सिंह, प्रभारी सह प्रधान विज्ञानी, राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र, दरभंगा

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