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पंचतत्व में विलीन हुए ब‍िहार के पूर्व मंत्री रमई राम, मुजफ्फरपुर में क‍िया गया अंत‍िम संस्कार

पूर्व मंत्री रमई राम की निकली शव यात्रा में श्रद्धांजलि देने के लिए उमड़ी भीड़। पटना के मेदांता अस्पताल में इलाज हो गया था न‍िधन। गुरुवार दोपहर उन्होंने अंतिम सांस ली। वर्ष 1944 में जन्मे रमई राम लंबे समय तक राज्य के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रहे।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Updated: Fri, 15 Jul 2022 12:46 PM (IST)
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पूर्व मंत्री रमई राम के पार्थिव शरीर श्रद्धांजलि देने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।‌ फोटो-जागरण
मुजफ्फरपुर, {अमरेंद्र त‍िवारी}। ब‍िहार के पूर्व मंत्री रमई राम पंचतत्व में विलीन हुए। इससे पहले शव यात्रा निकली गई। शव यात्रा उनके आवास से निकलकर दाह संस्कार स्थल पर पहुंची। श्रद्धांजलि देने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।‌ महिलाएं व बच्चों ने भी उनके पार्थिव शरीर पर श्रद्धांजलि दी। दाह संस्कार मालीघाट स्थित उनके आवास के सामने किया गया। उनकी पुत्री पूर्व व‍िधान पार्षद गीता देवी ने मुखाग्‍नि‍ दी। बताते चलें क‍ि पूर्व मंत्री का पटना के मेदांता अस्पताल में इलाज चल रहा था। गुरुवार दोपहर उन्होंने अंतिम सांस ली। वर्ष 1944 में जन्मे रमई राम लंबे समय तक राज्य के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रहे। पिछले पांच दशक से रमई राम बोचहां विधानसभा की राजनीति के केंद्र में रहे। वर्ष 1972 से 12 आम चुनाव और एक उपचुनाव में वे यहां से उम्मीदवार रहे। नौ बार विधायक बने।

जिला प्रशासन की ओर से दी गई सलामी

दाह संस्कार स्थल पर जिला प्रशासन की ओर से राजकीय सम्मान के साथ सलामी दी गई। श्रद्धांजलि देने वालों में मुख्य रूप से सांसद वीणा देवी, भूमि सुधार व राजस्व मंत्री रामसूरत राय, विधायक विजेंद्र चौधरी, विधायक इसराइल मंसूरी, विधायक निरंजन राय, एमएलसी कारी सोहेब, पूर्व मंत्री सीताराम यादव, रेड क्रॉस के सचिव उदय शंकर प्रसाद सिंह, राजद के प्रदेश प्रवक्ता डा एकबाल मोहम्मद शमी, सामाजिक कार्यकर्ता भूपाल भारती, धीरज कुमार चौधरी, जदयू के वरीय नेता सुहेल सिद्दीकी, अशरफ वारसी, नौशाद हासमी,राजद के जिला अध्यक्ष रमेश गुप्ता, रमेश कुमार दीपू आदि शामिल हैं। जिलाधिकारी प्रणव कुमार, एसएसपी जयंतकांत के नेतृत्व में प्रशासनिक अधिकारियों ने उनके शव पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी।

तब कहा था...'हू इज कांशी राम, दलित का नेता इज रमई राम'

पूर्व मंत्री रमई राम की अपने समाज में अच्छी पहचान रही। राजनीति दलों पर पकड़ के लिए आंबेडकर सेना बनाई थी। दूसरी ओर बसपा के संस्थापक कांशी राम अनुसूचित जाति में अपनी पहचान रखते थे। बताते हैं कि 1995 में चुनावी माहौल के बीच तत्कालीन रमई राम से जब मीडियाकर्मियों ने कांशी राम के बारे में सवाल किया तो उन्होंने जवाब दिया, Óहू इज कांशी राम, दलित का नेता इज रमई राम..। यह बयान काफी चर्चा में रहा। उनके निकटतम रहे शशिरंजन शर्मा ने बताया कि वह दबे-कुचले समाज के लोकप्रिय नेता रहे। आंबेडकर सेना का निर्माण कर समाज को गोलबंद करते रहे। बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने उनको शंकराचार्य की उपाधि दी। वह पहले राजनेता रहे जो अपने परिसर में सरस्वती मां का मंदिर बनाए। सरस्वती पूजा में उनसे जुडे राज्य व राज्य से बाहर के लोग आते थे। उनके निधन से जिले की राजनीति में एक कदावर नेता की कमी खलेगी।

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