गोवा की पूर्व राज्यपाल डॉ.म़ृदुला सिन्हा का स्वच्छता से रहा गहरा लगाव, साहित्य की साधना भी की
राज्यपाल बनने के पहले व उसके बाद जब भी जिले में आईं तो अपनों के यहां जाना नहीं भूलती थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनको स्वच्छता अभियान का नवरत्न बनाया तो मुजफ्फरपुर में आने के बाद उन्होंने अपनी नवरत्न की टीम बनाई।
By Ajit kumarEdited By: Updated: Tue, 26 Jan 2021 09:42 AM (IST)
मुजफ्फरपुर, [अमरेंद्र तिवारी]। पद्मश्री सम्मान के लिए चयनित मुजफ्फरपुर की बेटी व गोवा की पूर्व राज्यपाल डॉ.म़ृदुला सिन्हा का स्वच्छता से गहरा लगाव रहा। उनकी पहचान लेखिका व प्रखर राजनेता के रूप में रही। राज्यपाल बनने के पहले व उसके बाद जब भी जिले में आईं तो अपनों के यहां जाना नहीं भूलती थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनको स्वच्छता अभियान का नवरत्न बनाया तो मुजफ्फरपुर में आने के बाद उन्होंने अपनी नवरत्न की टीम बनाई। सबको लेकर शहर में अलग-अलग जगहों पर जागरूकता, स्वच्छता अभियान चलाया। बीआएए बिहार विश्वविद्यालय परिसर में उनकी पहल पर जहां कूड़ा फेंका जाता था। वहीं बच्चों के लिए नगर निगम ने पार्क बनाया। उनके साथ लगातार राजनीतिक व सामाजिक जीवन में सहयोग करने वाली वरीय भाजपा नेत्री डॉ.तारण राय ने बताया कि उनको अपनी माटी से गहरा लगाव था। वे एसके महिला महाविद्यालय मोतिहारी में प्रोफेसर रहीं। इसके बाद सरस्वती शिशु मंदिर नया टोला की प्राचार्य रहीं। हर मंच पर उनकी ओर से अपना किशोरी जी के टहल बनैबई, हे मिथिले में रहबई। हमरा नई चाही सुख आराम, हे मिथिले में रहबई। गीत अब भी लोग याद करते हैं।
स्वच्छता को लेकर रहती थीं सजग
डॉ. सिन्हा के नवरत्न में शामिल रहे बाबा गरीबनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी पंडित विनय पाठक कहते हैं कि स्वच्छता को लेकर वह काफी सजग रहती थीं। जब भी यहां आईं नवरत्नों से मिलकर शहर की सफाई पर चर्चा कर उनको प्रेरित करती रहती थीं। कलमबाग से खबड़ा रोड में विश्वविद्यालय परिसर में एक जगह पर पार्क के लिए चिह्नित जगह पर कचरे का अंबार लगा रहता था। उन्होंने व्यक्तिगत पहल की और पानी टंकी परिसर के पास सफाई अभियान चलाकर उसे सुंदर पार्क का रूप दिया। महामहिम के पद पर रहते हुए एक आम आदमी की तरह व्यवहार रखना समाज के लिए मिसाल रहा। अब कहां ऐसे लोग मिलते।
जीवन परिचय
डॉ.मृदुला सिन्हा का जन्म अनुपा देवी व बाबू छबीले के यहां 27 नवंबर 1942 को जिले के छपरा गांव में हुआ था। मनोविज्ञान में एमए करने के बाद उन्होंने बीएड किया। साहित्य के साथ-साथ राजनीति की सेवा शुरू कर दी। उनकी शादी औराई के मटियानी में डॉ.रामकृपाल सिन्हा के साथ हुई थी। शहर में भी उनका गन्नीपुर में आवास है। वह गोवा की राज्यपाल रहीं। इससे पहले प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष रहीं।
साहित्यिक योगदानराजपथ से लोकपथ पर (जीवनी), नई देवयानी (उपन्यास), ज्यों मेंहदी को रंग (उपन्यास), घरवास (उपन्यास), यायावरी आंखों से (लेखों का संग्रह), देखन में छोटे लगें (कहानी संग्रह). सीता पुनि बोलीं (उपन्यास), बिहार की लोककथाएं -एक (कहानी संग्रह), बिहार की लोककथाएं-दो (कहानी संग्रह), ढाई बीघा जमीन (कहानी संग्रह), मात्र देह नहीं है औरत (स्त्री-विमर्श), विकास का विश्वास (लेखों का संग्रह), साक्षात्कार (कहानी संग्रह) अहिल्या उपन्यास प्रमुख हैं। वह पांचवां स्तंभ की संपादिका भी रहीं।
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