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Gandhi Jayanti 2020: दरभंगा महाराज के यूरोपियन गेस्ट हाउस में ठहरे थे गांधीजी, अब गांधी सदन के नाम से जाना जाता

Gandhi Jayanti 2020 1919 से 1934 के बीच चार बार दरभंगा आए थे महात्मा गांधी। यूरोपियन गेस्ट हाउस अब गांधी सदन के नाम से जाना जाता। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय परिसर स्थित तत्काली यूरोपियन गेस्ट हाउस का कमरा जिसमें ठहरे थे बापू।

By Murari KumarEdited By: Updated: Fri, 02 Oct 2020 12:02 PM (IST)
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय परिसर स्थित तत्काली यूरोपियन गेस्ट हाउस का कमरा जिसमें ठहरे थे बापू
दरभंगा [संजय कुमार उपाध्याय]।  चंपारण सत्याग्रह के बाद गांधीजी ने दरभंगा की कई यात्राएं की थीं। इस क्रम में वे 30 और 31 मार्च 1934 को दरभंगा महाराज कामेश्वर सिंह के यूरोपियन गेस्ट हाउस में ठहरे थे। तब महाराज ने उनका भव्य स्वागत किया था। स्वतंत्रता आंदोलन के बारे में बातें हुई थीं। अब यह यूरोपियन गेस्ट हाउस गांधी सदन के नाम से जाना जाता है। यह ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के अधीन है। 

 यूरोपियन गेस्ट हाउस के जिस कमरे में गांधीजी ठहरे थे, उसे 26 जनवरी 1988 को तत्कालीन कुलपति शकीलुर रहमान ने गांधी संग्रहालय के तौर संरक्षित और सुरक्षित करने से संबंधित बोर्ड लगवा दिया था। समाजसेवी दीपक बताते हैं कि 1919 में गांधीजी पहली बार दरभंगा पहुंचे थे। इसके बाद 1922 और 1927 में भी आए थे। अंतिम बार 1934 में आए। तत्कालीन महाराजा डॉ. कामेश्वर सिंह ने गांधीजी द्वाराप्रयोग की गईं वस्तुएं जैसे पलंग, चरखा, कुर्सी-टेबल, गिलास व जग आदि को सहेजकर रखवा दिया था। 1972 में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ ही यूरोपियन गेस्ट हाउस विवि के अधिकार क्षेत्र में आ गया। 

 गांधीजी की दरभंगा यात्रा व महाराज के परिवार से जुड़ीं तस्वीरों पर शोध कर चुके ई-समाज फाउंडेशन के न्यासी संतोष कुमार बताते हैं कि यूरोपियन गेस्ट हाउस का निर्माण महाराज रामेश्वर सिंह ने कराया था। तब इसका रंग श्वेत था। 1934 के भूकंप में जब यह क्षतिग्रस्त हो गया तो महाराज कामेश्वर सिंह ने इसका पुनर्निर्माण कराया था। तब से इसका रंग लाल हो गया। बापू जब यहां आए तो राज मैदान में भूकंप पीडि़तों के लिए लगे कैंप का निरीक्षण किया था। पीडि़त जनता से बात की थी।

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