मुजफ्फरपुर में घर-घर कुंभ का गंगाजल स्थापित करेगा गायत्री शक्तिपीठ
कुंभ में गंगा स्नान का विशेष महत्व है। ऐसे में जो लोग हरिद्वार नहीं जा पाएंगे उनके लिए घर में ही गंगाजल की स्थापना की जाएगी। साथ ही पूर्णिमा के दिन उस गंगाजल को जल में मिलाकर स्नान करने से पुण्यफल की प्राप्ति होगी।
मुजफ्फरपुर, जासं। अखाड़ाघाट स्थित गायत्री शक्तिपीठ के क्षेत्रीय कार्यालय में गुरुवार को उप जोन स्तर पर कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया गया। शांतिकुंज हरिद्वार से पहुंचे ब्रजकिशोर त्रिभुवन, संतोष पांडेय और डॉ.अजय कुमार ने कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया। कोरोना काल में हरिद्वार में आयोजित कुंभ मेले में श्रद्धालुओं के आने जाने और वहां की कठिनाइयों के बारे में बताया गया। कहा कि कुंभ में गंगा स्नान का विशेष महत्व है। ऐसे में जो लोग हरिद्वार नहीं जा पाएंगे उनके लिए घर में ही गंगाजल की स्थापना की जाएगी। साथ ही पूर्णिमा के दिन उस गंगाजल को जल में मिलाकर स्नान करने से पुण्यफल की प्राप्ति होगी। मुजफ्फरपुर जोन में छह चरणों में यह कार्यक्रम आयोजित होगा। मुजफ्फरपुर, वैशाली, शिवहर, सीतामढ़ी, पूर्वी और पश्चिम चंपारण जिले में यह कार्यक्रम आयोजित होगा। कार्यक्रम में ललितेश्वर प्र.ङ्क्षसह, ओम प्रकाश गुप्ता, शशिभूषण ठाकुर, शंभू प्र.ङ्क्षसह, अमिताभ कुमार, उपेंद्र कुमार, अमरेश कुमार, उमेश कुमार, रामयाद त्रिवेदी, धीरेंद्र नाथ, जगदीश प्रसाद, शत्रुध्न ङ्क्षसह, अशेश्वर शर्मा आदि मौजूद थे।
पाश्चात्य संस्कृति के चक्कर में धर्म से हो रहे विमुख
औराई : संसार में तीन प्रकार के ताप से लोग परेशान हैं, क्योंकि हम-आप भौतिक दुनिया की चकाचौंध में पाश्चात्य संस्कृति के चक्कर में पड़कर अपने धर्म से विमुख होते जा रहे हैं। यह भारत की भूमि है। यह ऋषि महॢष की पावन भूमि है जिसमें मैया जगत जननी जानकी स्वयं प्रकट हुईं। उक्त बातें कथावाचक स्वामी राघवेंद्राचार्ज जी महाराज ने रामजानकी मंदिर सरहंचिया के प्रांगण में गुरुवार से शुरू सात दिवसीय श्रीमदभागवत सप्ताह ज्ञान महायज्ञ के दौरान श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने आगे कहा कि इस भूमि पर आने के लिए मानव को कौन कहे देवता भी तरसते हैं ,क्योंकि यह जो सुविधा यहां है वहां नहीं है। देवताओं को कौन कहे साक्षात त्रिलोकीनाथ यहां आने के लिए तरसते हैं। कोई मैया यशोदा कोई मैया कौशल्या मुझे बुलाए। उसमें मिथिला की भूमि का क्या कहना। यहां की सखियां, मिथिलानियां हास्य विनोद को प्रसंग में कहती हैं। यहां भगवान बिना बुलाए आते हैं। उन्होंने कहा कि आज हम सब आनंद के लिए पागल बनकर भटक रहे हैं। न आनंद, न सुख न शांति। आनंद है तो भगवान राम-कृष्ण की चरणों में हैं। ये भागवत कोई पोथी नहीं है। यह भागवत साक्षात भगवान है। उन्होंने कहा कि यह कथा सुनने से पूर्व मानों जब हमारे अंतकरण में विचार उत्पन्न हुआ आज कथा सुनेंगे। चाहे जहां हो विचार उत्पन्न होते ही पुण्य का उदय और पाप का छय होना शुरू हो जाता है। क्योंकि, सदेह भगवान श्रीहरि हमारे हृदय में विराजित हो जाते हैं।