Lok Sabha Elections: बिहार का वह कद्दावर नेता, जिसने जेल में रहकर हिला दी थी इंदिरा गांधी के कांग्रेस की नींव
Bihar Politics जॉर्ज फर्नांडीज बिहार के उन कद्दावर नेताओं में से एक हैं जिन्होंने देश की सियासत को एक नया आयाम दिया। जॉर्ज के सियासी सफर की शुरुआत जेल से होती है। जॉर्ज ने 1977 में जेल में रहते हुए ही मुजफ्फरपुर संसदीय सीट से अपना पहला चुनाव लड़ा था। उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज प्रत्याशी नीतीश्वर प्रसाद सिंह को तीन लाख से अधिक वोटों से पराजित किया था।
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। जॉर्ज फर्नांडीज 1977 में जेल में रहते हुए ही मुजफ्फरपुर संसदीय सीट से अपना पहला चुनाव लड़ा और जीते। उनके चुनाव प्रचार की पूरी कमान कार्यकर्ता संभालते रहे थे। जनता से प्रत्याशी का परिचय कराने के लिए एक पोस्टर बनाया गया था, जिसमें जॉर्ज फर्नांडीज के हाथों में हथकड़ी थी।
पोस्टर पर एक अपील लिखी थी, "ये जंजीर मेरे हाथ को नहीं, भारत के लोकतंत्र को जकड़ी है, मुजफ्फरपुर की जनता इसे अवश्य तोड़ेगी।" जॉर्ज का चुनाव जनांदोलन बन गया और उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज प्रत्याशी नीतीश्वर प्रसाद सिंह को तीन लाख 34,217 मतों की पराजित किया।
जॉर्ज फर्नांडीज जेल से रिहा हुए और उन्हें मोरारजी देसाई की सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया। इसके बाद जॉर्ज फर्नांडीज चार बार और मुजफ्फरपुर से सांसद रहे। उनके प्रचार के लिए पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुषमा स्वराज ने भी यहां पर कैम्प किया था और नुक्कड सभा की थी।
उनके चुनाव में सहयोगी के रूप में काम करने वाले समाजवादी नेता डा.हरेन्द्र कुमार ने कहा कि जॉर्ज साहेब पहली बार जब चुूनाव लड़े तो यहां पर उनका चेहरा तक कोई नहीं देखा था। एक पोस्टर के सहारे जनता ने भरोसा जताया। वह जब चुनाव लड़ते तो यहां पर बहुत कम समय देते।
इस बीच कार्यकर्ता नुक्कड़ सभा के जरिए पूरे जिले में टोली बनाकर प्रचार करते थे। पहले सोशल मीडिया या प्रचार तंत्र इतना नहीं था। बावजूद इसके जनता के बीच प्रत्याशी व उसके मुददे के बारे में जानकारी हो जाती थी।
बताया कि वह यहां पर कभी भी चुनाव जीतने के बाद अभिनंदन कराने नहीं आए। वह कहते थे कि जिसने वोट दिया और जिसने नहीं दिया हमारे तरफ से सबका अभिनंदन। जनता मेरा हैं। बताते हैं कि एक दो बार तो वह जीत का प्रमाण पत्र भी लेने नहीं आए। उनका प्रतिनिधि जीत का प्रमाण पत्र लिया।
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