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Bihar News : इस महिला अफसर ने बदल दी लाखों महिलाओं की जिंदगी, अब हर तरफ से मिल रही तारीफ

Bihar News बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में कम शिक्षित महिलाएं भी सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर अच्छी कमाई कर रही हैं। ये महिलाएं घर के कामकाज के साथ अपने बच्चों का लालन-पालन भी इत्मिनान के साथ कर रही हैं। इसमें उनकी मदद यहां की एक महिला अफसर ने की है। यही वजह है कि लाखों स्थानीय महिलाएं उनकी तारीफ भी कर रही हैं।

By Prem Shankar Mishra Edited By: Yogesh Sahu Updated: Tue, 19 Mar 2024 07:54 PM (IST)
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Bakri Palan Yojana : बकरी पालन जैसी योजनाओं से लाखों गृहिणियों की हो रही अच्छी कमाई
प्रेम शंकर मिश्रा, मुजफ्फरपुर। Bihar News : कम पढ़ी-लिखी होने के कारण घर के काम और बच्चों के लालन-पालन तक सिमटीं महिलाओं को बस दिशा और प्रोत्साहन की जरूरत थी। इसे देने का काम किया बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के जीविका की जिला कार्यक्रम प्रबंधक (डीपीएम) अनिशा गांगुली (Anisha Ganguly) ने।

आज उनके प्रयास से जिले में 52 हजार समूहों से जुड़कर छह लाख से अधिक जीविका दीदियां रोजगार कर रही हैं। इनमें वे दीदियों भी हैं जो परंपरा से हटकर रोजगार के नए क्षेत्र से जुड़ीं। इनमें कई दीदियां उद्यमी बन गई हैं।

इस महिला अधिकारी ने महिलाओं के रोजगार के लिए कई ऐसे काम किए, जो मिसाल बन गए हैं। इसी बेहतर कार्य के लिए अनिशा को वर्ष 2023 में राज्य सरकार की ओर से 'नायिका पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।

तीन वर्ष पूर्व जिले में डीपीएम का कार्यभार संभालने के बाद अनिशा ने पहले घर तक पहुंच महिलाओं में इच्छाशक्ति जगाई कि वह कुछ कर सकती हैं। इसके बाद घर के आसपास ही छोटे-छोटे काम की शुरुआत कराई। कुछ ही समय में दायरा बढ़ा।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की महत्वाकांक्षी योजना लेदर क्लस्टर (Leather Cluster) से दीदियों को जोड़ने का काम किया। चार दिसंबर, 2022 को शुरू इस क्लस्टर से लगभग आठ सौ दीदियां जुड़ी हैं। बैग निर्माण से जुड़े इस क्लस्टर की 42 यूनिटें काम कर रही हैं। यूनिट हेड दीदियां अब उद्यमी बन गई हैं। एक वर्ष में एक लाख से अधिक बैग का उत्पादन हुआ तो एक दीदी को मेहनत के हिसाब से 15 से 20 हजार प्रतिमाह पारिश्रमिक मिला।

इसी कड़ी में मशरूम क्लस्टर (Mushroom Cluster) से दीदियों को जोड़ा जा रहा है। पिछले साल नवंबर से इसकी शुरुआत हुई। एक क्लस्टर में 30 झोपड़ियों में मशरूम उत्पादन हो रहा। डीपीएम कहती हैं, अनुमान था कि 720 वर्गफीट वाली सीसी कैमरा, एसी आदि लगी एक झोपड़ी से प्रत्येक दूसरे दिन 29 किलो मशरूम का उत्पादन होगा, लेकिन दीदियों की मेहनत से 53 किलोग्राम तक हो रहा है।

खबड़ा से शुरू हुआ यह सफर जिले में 11 जगहों तक पहुंच रहा है। इस प्रोजेक्ट की रूपरेखा डीपीएम ने ही तैयार की है। जय संतोषी समूह की मीना देवी कहती हैं, पिछले साल जब शुरुआत की तो 20 दिनों के बाद ही 9800 रुपये का मशरूम बिका। फरवरी में 39 हजार का बेच चुकी हूं। इसे 90 हजार रुपये प्रतिमाह ले जाने का लक्ष्य है।

मशरूम क्लस्टर में काम करती जीविका दीदी। सौ. जीविका

घर-घर बैंकिंग सेवा

घर में कभी एक-दो रुपये का हिसाब रखने वाली दीदियों को प्रोत्साहित कर डीपीएम ने बैंकिंग सेवा (Banking Services) से जोड़ा। जिले की प्रत्येक पंचायत में 'एक बैंक सखी' की उनकी परिकल्पना मूर्तरूप ले रही है। 373 पंचायतों में से अभी दो सौ में घर-घर बैंक की सेवा बैंक सखी के माध्यम से पहुंचाई जा रही है। शेष पंचायतों में भी सेवा शुरू हो जाएगी।

नाश्ते से बड़े आयोजन तक दीदी की रसोई

जिले के सदर अस्पताल में चाय-नाश्ते से शुरू दीदी की रसोई (Didi Ki Rasoi) आज बड़ा रूप ले चुकी है। सदर अस्पताल, श्रीकृष्ण मेडिकल कालेज व अस्पताल व चार एससी-एसटी विद्यालयों में दीदी की रसोई से ही खाना पहुंच रहा है। इसमें भी दो सौ से अधिक दीदियां रोजगार से जुड़ी हैं। इसके अलावा बड़े सरकारी आयोजन में भी दीदी की रसोई से खाना जाता है। बीते पंचायत चुनाव में इसका सफल प्रयोग हुआ है।

मशरूम क्लस्टर में उत्पादन के लिए बनाई गई झोपड़ियां। सौ. जीविका

ड्रोन दीदी की बढ़ेगी संख्या

जिले में करीब एक लाख दीदियों को बकरी पालन (Bakri Palan Yojana) से जोड़ा गया है। बेहतर आमदनी के लिए इस माह से इन्हें मेशा बकरी पालक महिला उत्पादक कंपनी से जोड़ा जा रहा है। उन्नत किस्म की बकरियों के पालन के साथ बाजार की उपलब्धता से महिलाओं को घर में ही 20 से 25 हजार प्रतिमाह की आमदनी का विकल्प मिलेगा।

डीपीएम कहती हैं, अब ड्रोन दीदियों (Drone Didi) को तैयार करना है। प्रधानमंत्री की प्रेरणा से तीन दीदियों से इसकी शुरुआत हुई है। इसका दायरा इस साल तक पांच सौ तक पहुंचाना है। इसके अलावा टायलेट क्लीनिक की भी शुरुआत की गई है। दीदियों को प्रशिक्षण के साथ शौचालय निर्माण, उसकी मरम्मत और सफाई कार्य से जोड़ा जा रहा है।

जीविका दीदी आज हर क्षेत्र में योगदान दे रही हैं। इसमें डीपीएम की भूमिका महत्वपूर्ण है। इसे और आगे बढ़ाते हुए सिक्योरिटी गार्ड, निर्माण कार्य के टेंडर में भी भाग लेना चाहिए। - गोपाल मीणा, प्रमंडलीय आयुक्त, तिरहुत

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