सरस्वती पूजा आज, इस मुहूर्त में पूजा करने से प्राप्त होगी असीम कृपा
Happy Saraswati Puja 2022आज के दिन ही मां सरस्वती का अवतरण हुआ था। सुबह 655 से दोपहर 1235 तक पूजन का उत्तम समय है। वहीं इसके बाद दोपहर 135 से लेकर के संध्या तक पूजन का मुहूर्त है। मां सरस्वती की आराधना से बुद्धि और विद्या प्राप्त होती है।
By Ajit KumarEdited By: Updated: Sat, 05 Feb 2022 06:43 AM (IST)
मुजफ्फरपुर, जासं। माघ महीने के शुल्क पक्ष की पंचमी तिथि पर शनिवार को जिले में मां शारदे की पूजा की जाएगी। सरस्वती पूजा से एक दिन पूर्व शुक्रवार की देर शाम तक मूर्तिकारों के यहां प्रतिमा लाने को ग्राहक पहुंचते रहे। कोरोना संक्रमण के कारण इसबार स्कूल, कालेज, छात्रावास के साथ ही कोचिंग संस्थान बंद हैं। वहीं बड़े स्तर पर शहर में पूजन की अनुमति नहीं होने के कारण इसबार शहर में इक्का-दुक्का स्थलों पर ही पंडाल में मां शारदे की प्रतिमा रखी गई है। कन्हौली के मूर्तिकार रमेश पंडित ने बताया कि इसबार छोटी प्रतिमाओं की ही बिक्री हुई। अन्य वर्ष आर्डर पर 20 से 25 बड़ी प्रतिमाएं तैयार करते थे। स्कूल, कालेज और कोचिंग संस्थान बंद होने के कारण ग्राहक कम पहुंचे। साइकिल व ठेला पर मां शारदे की जयकारा लगाते हुए युवा कई जगह प्रतिमाएं ले जाते दिखे। पूर्व मंत्री रमई राम के आवास पर स्थित सरस्वती मंदिर की भव्य सजावट की गई है। मंदिर के बाहर झालर और फूलों से साजो-सज्जा की गई है। पूर्व विधायक बेबी कुमारी के यहां भी विशेष पूजा की गई। वहीं अधिकतर लोगों ने घर में ही पूजा के लिए छोटी प्रतिमाओं की खरीदारी की।
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सुबह 6:55 से दोपहर 12:35 मिनट तक पूजन का उत्तम मुहुर्त
आध्यात्मिक गुरु पं. कमलापति त्रिपाठी बताते हैं कि माघ महीने के शुल्क पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन मां सरस्वती की आराधना करने से अपार बुद्धि और अच्छी विद्या प्राप्त होती है। बताया कि बसंत पंचमी पर पूजनोत्सव के दो योग बन रहे हैं। सुबह 6:55 से दोपहर 12:35 तक पूजन का उत्तम समय है। वहीं इसके बाद दोपहर 1:35 से लेकर के संध्या तक पूजन का मुहूर्त है।
बसंत पंचमी के दिन हुआ था अवतरण
पं.त्रिपाठी बताते हैं कि मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही मां सरस्वती का अवतरण हुआ था। नवरात्रा में दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी के रूप में सरस्वती स्वरूप की उपासना की भी परंपरा है। मां सरस्वती की चार भुजाएं हैं। इसमें एक हाथ में माला, दूसरे में पुस्तक और दो अन्य हाथों में वीणा बजाती नजर आती हैं। सुरों की अधिष्ठात्री होने के कारण इनका नाम सरस्वती पड़ा। इस दिन मां सरस्वती के साथ-साथ भगवान गणेश, लक्ष्मी, कापी, कलम और संगीत यंत्रों की पूजा अति फलदायी माना जाता है। पूजा के बाद श्रद्धालुओं में एक दूसरे को अबीर-गुलाल लगाने की भी परंपरा रही है।
रविवार को हर हाल में करना होगा विसर्जन सरस्वती पूजा को लेकर जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन की ओर से संयुक्त आदेश जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि शनिवार को शांतिपूर्ण माहौल में मां शारदे की पूजा की जाएगी। इसके बाद रविवार को प्रतिमा का विसर्जन किया जाना है। विसर्जन जुलूस निकालने के लिए लाइसेंस लेना होगा। विवादित मार्गों से जुलूस की अनुमति नहीं दी जाएगी। जुलूस में किसी प्रकार के हथियार पर प्रतिबंध रहेगा। पूजा पंडाल से लेकर विसर्जन के दौरान डीजे पर पूरी तरह रोक रहेगी। इंटरनेट मीडिया पर भी प्रशासन की ओर से निगरानी की जाएगी। विसर्जन को लेकर घाटों पर प्रशासन की ओर से चौकसी बरती जाएगी। इस संबंध में डीएम प्रणव कुमार एवं एसएसपी जयंत कांत ने संयुक्त आदेश जारी किया है। विधि व्यवस्था बनाए रखने के लिए मजिस्ट्रेट एवं पुलिस पदाधिकारियों की तैनाती की गई है।
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