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'I.N.D.I.A वाले किस खेत की मूली', शिक्षा मंत्री के सनातन वाले बयान पर उखड़े हरि सहनी; बोले- अधजल गगरी छलकत जाए

बिहार विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष ने रविवार को I.N.D.I.A पर जमकर निशाना साधा। साथ ही उन्होंने सनातन धर्म और रामचरित्र मानस पर लगातार हो रही टिप्पणी पर आक्रोश जताया। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म और रामचरित्र मानस भारत कि पहचान है। सहनी ने सनातन धर्म पर टिप्पणी को लेकर कहा कि इस पहचान को रावण कंस नहीं मिटा पाए तो आईएनडीआईए वाले किस खेत की मूली है।

By Amrendra TiwariEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Sun, 17 Sep 2023 10:23 PM (IST)
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निषाद भोई समन्वय समिति का राष्ट्रीय अधिवेशन के समापन पर पहुंचे हरि सहनी।

अमरेंद्र तिवारी, मुजफ्फरपुर : राज्य के विधान परिषद नेता प्रतिपक्ष (Hari sahni) ने बिहार शिक्षा मंत्री और I.N.D.I.A पर हमला बोला है। रविवार को निषाद भोई समन्वय समिति के समापन कार्यक्रम में पहुंचे सहनी ने सनातन धर्म हो रही टिप्पणी पर आक्रोश जताया। 

सहनी ने सनातन धर्म पर टिप्पणी को लेकर कहा कि इस पहचान को रावण, कंस नहीं मिटा पाए तो आईएनडीआईए वाले किस खेत की मूली है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म और रामचरित्र मानस भारत कि पहचान है।

रामायण को पढ़ें शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर

हालात यह हुई कि रहा न कुल कोई रोवन हारा। अभी आईएनडीआईए यानी घमंडिया गठबंधन के नेता सनातन धर्म के खिलाफ अनाप-शनाप बक रहे हैं। इनका भी सर्वनाश हो जाएगा।

हरि सहनी ने शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर को लेकर कहा कि अधजल गगरी छलकत जाए। पहले वह रामायण को पढ़ें। फिर कोई टीका-टिप्पणी करें।

बता दें कि हरि सहनी अखिल भारतीय आदिवासी, कश्यप, कहार , निषाद भोई समन्वय समिति के राष्ट्रीय अधिवेशन के समापन कार्यक्रम में पहुंचे थे। इस दौरान आधा दर्जन एजेंट पर सहमति बनी। साथ ही सामाजिक एकजुट को लेकर निषाद समाज के लोगों के एक सरनेम रखने के लिए चयन कमेटी भी बनी। 

बच्चों को करें शिक्षित अधिकार खुद मिलेगा

हरि सहनी ने मछुआरा समाज से अपील की कि वह बच्चों को शिक्षित करें। एक दूसरे की मदद करें। समाज स्वतः आगे बढ़ जाएगा। उन्होंने वीआईपी सुप्रीमो पूर्व मंत्री मुकेश सहनी पर भी जुबानी हमला बोला।

सहनी ने कहा कि उनके कथनी और करनी में अंतर है। वह सरकार से आरक्षण की बात करते जबकि खुद उन्हें चुनाव में टिकट बांटने का मौका मिला तो उन्होंने कितने मछुआरे समाज के लोगों को टिकट दिया, जरा उनसे पूछिए?

एक सरनेम से होगी पहचान

सहनी ने आगे कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर पहचान की एकरूपता को एक सरनेम से पहचाना जाएंगा, केवट के वंशज। सरनेम तय करने के लिए अहमदाबाद में जुटान होगी।

गौरतलब है कि नाम चयन को लेकर 6 सदस्य की समिति बनी है। इसका प्रस्ताव समन्वय समिति के राजाराम कश्यप ने राजनीतिक प्रस्ताव रखा। अधिवेशन में 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि शामिल हुए। पांच एजेंडों पर प्रमुख चर्चा हुई।

इन एजेंडो पर बनी सहमति

  • राजनीतिक दलों से उनके दल में काम करने वाले निषाद समाज के लोगों को आगामी चुनावों में टिकट प्रदान किया जाए। अगर वे ऐसा करते हैं तो पूरा समुदाय उनकी जीत के लिए काम करेगा और समर्थन करेगा।
  • इस समुदाय को अनुच्छेद 341 और 342 के तहत अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति की आरक्षण सुविधा मिले।
  • राष्ट्रीय जनगणना 2021 समुदाय पर आधारित होनी चाहिए।
  • मछुआरा समुदाय को व्यवस्थित विकास के लिए अखिल भारतीय कश्यप कल्याण आयोग और राष्ट्रीय पारंपरिक मछुआरा विकास आयोग का गठन किया जाए। इससे शैक्षणिक उन्नयन और आर्थिक विकास को गति मिलेगी।
  • जल संबंधी परंपरागत कौशल ज्ञान को व्यवस्थित दिशा प्रदान करने के विशेष आपदा ट्रेनिंग प्रदान किया जाए।
  • समुदाय के व्यवस्थित सामग्र विकास के लिए शिक्षा और रोजगार का व्यापीकरण सरकार करे।

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कार्यक्रम में ये रहे शामिल

कार्यक्रम में पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. भगवान लाल साहनी, कैप्टन कमलेश सहनी, राजाराम कश्यप, गुरु शरण कश्यप, नरेंद्र कश्यप, निषाद संघर्ष मोर्चा के वीरेंद्र सहनी, राकेश कश्यप, पीएन जनार्दन शामिल रहे।

इसके अलावा नीलम कश्यप, नीलम साहनी, भाजपा नेता किशन चौधरी, अर्जुन राम देवांशु किशोर, आदर्श कुमार, प्रो हरि शंकर भारती, प्रेम सिंह, प्रवीण सिंह व अन्य लोग मौजूद रहे।

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