कोरोना के बाद पहली बार ऐसा हुआ... नेपाल-भारत बॉर्डर की रौनक गायब, इन कारणों ने भारतीय कारोबार को 70 प्रतिशत गिराया
Nepal India Border त्योहारी मौसम चल रहा है लेकिन नेपाल के सीमावर्ती भारतीय बाजार की रौनक गायब है। पहले ऐसा नहीं हुआ करता था। हालांकि अब सीमा पर बढ़ी सख्ती ने कारोबारी को सीधे प्रभावित किया है। बीते वर्ष नवरात्र में जयनगर बाजार में करीब 10 करोड़ का व्यवसाय हुआ था इसबार 70 प्रतिशत तक की गिरावट की आशंका है।
By Jagran NewsEdited By: Aysha SheikhUpdated: Sun, 22 Oct 2023 03:53 PM (IST)
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। त्योहारी मौसम में आमतौर पर गुलजार रहने वाले नेपाल के सीमावर्ती भारतीय बाजार में इस बार रौनक नहीं है। कोरोना संक्रमण के कारण जब सीमा बंद थी, उसके बाद ऐसा पहली बार हुआ है।
किसी भी पर्व-त्योहार या लगन में सीमावर्ती बाजार के व्यवसाय में नेपाल की 45 से 50 प्रतिशत तक की भागीदारी होती है। मधुबनी का जयनगर और पूर्वी चंपारण का रक्सौल नेपाल के लिए बड़े व्यावसायिक केंद्र हैं। इसबार दोनों ही जगहों पर परिस्थितियां प्रतिकूल हैं।
हाल के दिनों में सीमा पर बढ़ी सख्ती, पहचान पत्र दिखाने की अनिवार्यता, त्रिस्तरीय जांच और नेपाल की आंतरिक आर्थिकी से यहां का औसतन 50 प्रतिशत बाजार प्रभावित हुआ है। इससे व्यवसायियों की चिंता बढ़ी है, क्योंकि नवरात्र से शुरू कारोबारी मौसम होली और मई-जून के लगन तक चलता है।
खुदरा बाजार सर्वाधिक प्रभावित
जयनगर में दैनिक जरूरत के अलावा कपड़ा, राशन, पूजा सामग्री आदि की खरीदारी करने नेपाल से लोग पहुंचते हैं। कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के अध्यक्ष प्रीतम बैरोलिया बताते हैं कि बीते वर्ष की तुलना में इस बार नवरात्र में व्यवसाय दो से तीन करोड़ रुपये के आसपास सिमट जाएगा।
जयनगर चैंबर ऑफ कॉमर्स के महासचिव अनिल बैरोलिया का कहना है कि नेपाली ट्रेन का कुर्था तक विस्तार होने से बेहतर व्यवसाय की उम्मीद थी, लेकिन तात्कालिक कारण व्यवसाय पर भारी पड़ रहे हैं।
बीते वर्ष नवरात्र में जयनगर बाजार में करीब 10 करोड़ का व्यवसाय हुआ था, इसबार 70 प्रतिशत तक की गिरावट की आशंका है। इधर, पश्चिम चंपारण से सटे नेपाल के नवलपरासी के खरीदार वाल्मीकिनगर और यूपी के महाराजगंज जाते थे, वहां के बाजार में भी कारोबारी रौनक नहीं है।
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