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बिहार में आशा बहाली में बड़ी गड़बड़ी, मुजफ्फरपुर DM के आदेश पर हुई जांच; अधिकारियों में हड़कंप

मुजफ्फरपुर में आशा बहाली में अनियमितता का मामला सामने आया है। गायघाट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) की बाधाखाल पंचायत में तीन आशा के चयन को रद कर दिया गया है। जांच में पाया गया कि आमसभा में पीएचसी प्रभारी उपस्थित नहीं थे जो कि नियमों के विरुद्ध है। इसके अलावा एक साथ तीन वार्डों में एक जगह चयन कर लिया गया जो कि नियमों के अनुसार नहीं है।

By Amrendra Tiwari Edited By: Rajat Mourya Updated: Sat, 09 Nov 2024 02:29 PM (IST)
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मुजफ्फरपुर के जिला अधिकारी सुब्रत कुमार सेन। फाइल फोटो
अमरेन्द्र तिवारी, मुजफ्फरपुर। नियम को ताक पर रखकर जिले में आशा बहाली का 'खेल' चल रहा है। जिलास्तर पर जांच के बाद 10 पीएचसी से 125 आशा के चयन के बाद अनुमोदन के लिए आईं फाइलें लौटा दी गईं। वहीं, गायघाट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) की बाधाखाल पंचायत में तीन आशा के चयन को रद करते हुए वहां नए सिरे से चयन किया जााएगा। इसके लिए गायघाट पीएचसी प्रभारी को 21 दिन के अंदर चयन कर लेना है।

बिना पीएचसी प्रभारी कर ली आमसभा

जिला स्वास्थ्य समिति से मिली जानकारी अनुसार, अनियमितता के मामले में गायघाट की बाधाखाल पंचायत में बहाल तीन अलग-अलग वार्ड की आशा निरमा कुमारी, रीना कुमारी व मधु कुमारी का चयन निरस्त कर दिया गया है। इसके साथ ही पीएचसी प्रभारी व प्रबंधक से जवाब-तलब किया गया है। जिला सामुदायिक उत्प्रेरक के प्रभार में रहे राजकिरण व लेखापाल उपेन्द्र दास को हटा दिया गया है। उनसे संचिका वापस ली गई है।

उनकी जगह पर राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के जिला समन्वयवक डॉ. प्रशांत को प्रभार दिया गया है। उनको भी सिविल सर्जन ने हिदायत है कि पीएचसी से आने वाली आशा बहाली की संचिका का अध्ययन पांच दिनों के अंदर वरीय अधिकारी से विमर्श कर उनके चयन के लिए पीएचसी को वापस कर देना है ताकि समय पर आशा का चयन हो और सरकारी योजनओं के संचालन में बाधा नहीं आए।

10 पीएचसी में नियमों का नहीं हो रहा पालन

2020 से अक्टूबर 2024 तक जिला स्वास्थ्य समिति में सरैया, कांटी, गायघाट, पारू बोचहां, सकरा, मडवन, मोतीपुर, कुढ़नी व कटरा पीएचसी प्रभारी की ओर से आशा चयन करके अनुमोदन के लिए भेजी गईं संचिका को वापस कर दिया गया। जांच में सामने आया कि आमसभा में पीएचसी प्रभारी उपस्थित नहीं थे।

आमसभा में मुखिया व पीएचसी प्रभारी का रहना अनिवार्य है, इसलिए अनुमोदन से पहले 125 फाइलों को वापस कर दिया गया। इसके बाद जिले में खलबली है।

ऐसे सामने आया मामला, की गई जांच:

बाधाखाल के वार्ड सदस्य मनोज सहनी ने जिलाधिकारी से शिकायत की कि आशा बहाली में अनियमितता हुई है। इस पर सिविल सर्जन डॉ. अजय कुमार को जांच का आदेश दिया गया। जांच आगे बढ़ी तो मुखिया ने भी अपने स्तर से नियोजन निरस्त करने के लिए सिविल सर्जन को पत्र दिया। कहा कि चयन में कुछ त्रुटि रह गई है। सिविल सर्जन ने दो स्तर पर जांच कराई। पहली जांच दो सदस्यी टीम में जिला कार्यक्रम प्रबंधक व जिला प्रतिररक्षण पदाधिकारी शामिल थे। वहीं, दूसरी में जिला वेक्टर जनित पदाधिकारी व जिला यक्ष्मा रोग पदाधिकारी और प्रभारी एसीएमओ शामिल रहे। दोनों टीमों ने चयन प्रक्रिया को निरस्त करने की अनुशंसा की।

टीम ने पाया कि पीएचसी प्रभारी किसी आमसभा में नहीं रहे और एक साथ तीन वार्डों में एक जगह चयन कर लिया गया। दूसरा यह कि जिस वार्ड में आशा अभ्यर्थी का घर नहीं था वहीं चयन कर लिया गया। इस आधार पर चयन निरस्त कर दिया गया। जिला कार्यक्रम प्रबंधक रेहान अशरफ ने कहा कि तीन आशा का चयन रद किया गया है। नौ प्रखंडों के पीएचसी प्रभारी को दोबारा नियमानुसार आशा चयन कर अनुमोदन के लिए फाइल भेजने को कहा है।

बहाली का ये है नियम

जिला स्वास्थ्य समिति से मिली जानकारी के अनुसार, आशा के चयन में मूलरूप से इसका ध्यान करना है कि पंचायत में आशा बहाली से 21 दिन पहले सूचना जारी होगी। उसका प्रचार-प्रसार आशा उत्प्रेरक व एएनएम द्वारा किया जाना है। आमसभा की बैठक में मुखिया व पीएचसी प्रभारी को रहना चाहिए। एक हजार की आबादी पर एक आशा होती है। इसलिए यह आमसभा उतनी आबादी पर होगी। उम्मीदवार के लिए एक आदमी का नाम होगा तो निस्तर करना है। दोबारा आमसभा होगी। दो या दो से ज्यादा अभ्यर्थी होने पर चयन होगा।

उम्मीदवार के चयन में जिसकी सबसे ज्यादा शैक्षिणिक योग्यता होगी चयन किया जाएगा। अभ्यर्थी इसी वार्ड का निवासी होना चाहिए। आमसभा में चयनित नाम के अनुमोदन के लिए जिला स्वास्थ्य समिति को भेजना है। जिला स्वास्थ्य समिति एक सप्ताह के अंदर नाम चयन पर अनुमति देकर फाइल वापस करेगी। इसके बाद पीएचसी प्रभारी आशा को चयन पत्र देंगे। एक साथ एक ही वार्ड की आमसभा होगी।

पीएचसी प्रभारी को मिला टास्क

नए चयन में पीएचसी प्रभारी संयोजक के रूप में आमसभा शामिल रहें। नियमावली का किस तरह से हुआ पालन उसकी कंडिकावार सम्रग रिपोर्ट चयनित नाम के साथ भेजना अनिवार्य है।

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