Bihar Judge Dismissal Case: नेपाली अखबार ने मौज मस्ती कर रहे जजों के कारनामों का किया था भंडाफोड़
Bihar Judge Dismissal Case इनमें से एक हरि निवास गुप्ता समस्तीपुर न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश बनने से पहले मुजफ्फरपुर में इसी पद पर थे। शहर में उनका निजी स्थाई निवास भी है। 2013 में गणतंत्र दिवस के झंडोत्तोलन के बाद नेपाल के विराटनगर गए थे मौज-मस्ती करने।
By Ajit KumarEdited By: Updated: Tue, 22 Dec 2020 01:36 PM (IST)
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। Bihar Judge Dismissal Case: नेपाल के एक होटल में मौत मस्ती करने के मामले में बर्खास्त जज हरिनिवास गुप्ता व अन्य दो जजों के कारनामे बहुत आसानी से लोगों के सामने नहीं आए। दरअसल, ये सभी नेपाल की पुलिस की छापेमारी में लड़कियों के साथ आपत्तिजनक हालत में पकड़ लिए गए थे। लेकिन, जैसे ही पता चला कि ये भारत से हैं और वहां जज हैं। इसके बाद उन्हें छोड़ भी दिया गया था। इस तरह से देखा जाए तो पूरे मामले पर पर्दा डाल ही दिया गया था। लेकिन, वहां के स्थानीय अखबार के किसी संवाददाता को इसकी भनक लग गई। इसके बाद जैसे ही यह खबर वहां प्रकाशित हुई, पूरी घटना इंटरनेट मीडिया पर आ गई।
नेपाली अखबार ने पूरे मामले से उठाया था पर्दा वर्ष 2013 के गणतंत्र दिवस के झंडोत्तोलन के बाद समस्तीपुर के परिवार न्यायालय के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश हरि निवास गुप्ता, तदर्थ अपर जिला एवं सत्र के तत्कालीन न्यायाधीश,अररिया जितेंद्र नाथ सिंह व तत्कालीन अवर न्यायाधीश सह मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, अररिया कोमल राम नेपाल के विराटनगर चले गए। वहां बस स्टैंड के निकट मेट्रो गेस्ट हाउस में मौज मस्ती करने लगे। नेपाली पुलिस की छापेमारी में लड़कियों के साथ आपत्तिजनक स्थिति में तीनों पकड़े गए थे। न्यायिक अधिकारी होने के कारण नेपाली पुलिस ने तीनों को छोड़ दिया था। नेपाल के एक अखबार ने इसका भंडाफोड़़ करते हुए खबर प्रकाशित की। इसके बाद यह मामला गरमाया। हाईकोर्ट ने पूर्णिया के तत्कालीन जिला जज संजय कुमार से मामले की जांच कराई। जांच रिपाेर्ट में मामला सत्य पाए जाने के बाद हाईकोर्ट की स्टैंडिंग कमेटी ने तीनों को बर्खास्त करने की सिफारिश की थी। हाईकोर्ट की सिफारिश के आधार पर राज्य सरकार की कैबिनेट ने तीनों की बर्खास्तगी पर मुहर लगा दी। बाद में हाईकोर्ट की भी इसको स्वीकृति मिल गई है।
गेट भी कई दिनों तक नहीं खुला थाहरि निवास गुप्ता का मुजफ्फरपुर से भी नाता रहा है। समस्तीपुर के परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश पद पर स्थानांतरित होने से पहले वे मुजफ्फरपुर सिविल कोर्ट में इसी पद पर थे। मुजफ्फरपुर शहर में उनका स्थाई आवास भी है। मामला सामने आने पर तब मुजफ्फरपुर के न्यायिक महकमें में भी हड़कंप मचा था। उनके निजी आवास का गेट भी कई दिनों तक नहीं खुला था।
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