बिहार के कारसेवक प्रभु साह राम मंदिर के निर्माण को अपना कोई सपना पूरा होने जैसा बताते हैं। उन्होंने बाबरी विध्वंस को लेकर अपनी कहानी सुनाई है। उन्होंने एक किस्से को साझा करते हुए कहा कि गुम्बद पर चढ़ने में गिरे तो गाल में धंस गया तार पांव में आया चोट। अयोध्या पहुंचने के रास्ते उनकी बहन ने रोटी-भुजिया खाने के लिए दी थी।
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। विवादित ढांचा को तोड़ने के लिए कारसेवा में शामिल रहे पुराने बातों को साझा करते हुए भावुक हो जाते हैं। कहते हैं कि राम की कृपा से उनकी जान बची। अयोध्या में तीन दिसम्बर 1992 को पहुंचे। वहां पर विश्व हिन्दू परिषद की ओर से निबंधन के साथ रहने का इंतजाम था। हनुमत निवासी कोतवाली नम्बर के पास ठहरे। दो दिन सभी मंदिर का दर्शन किए।
गाल में धंसर तार, पांव में लगी चोट फिर भी डटे रहे कारसेवक
पांच दिसम्बर को खबर आया कि छह दिसम्बर को सुबह तैयार होकर निकल जाना है। सुबह दो बजे जगे। उसके बाद सरयुग नदी में स्नान कर तीन बजे भोर में तैयार हो गए। उसके बाद वहां से उनके साथ रोहुआ के दिनेश कुमार व अन्य कारसेवक निकले। छह बजे निकले व विवादित ढ़ाचा के पास पहुंचे।
देखते ही देखते वहां जनसैलाब उमड़ा। ढांचा के पास एक वाॅच टावर था। पहले उस पर चढ़े। फिर देखा कि नीम के पेड़ से उछलकर कारसेवक गुंबद पर चढ़ रहे हैं। वाॅच टावर से नीचे आकर नीम के पेड़ पर चढ़े।
पेड़ पर चढ़ने की होड़ थी। इस बीच वह पेड़ से गुंबद पर चढ़ने के लिए दो बार कोशिश किए। गुंबद पर काई होने के कारण फिसल गए। नीचे गिरे तो गाल में एक तार धंस गया। उसके बाद दाहिने पांव में चोट लगी। खून गिरने लगा।
हाजीपुर में हो रही थी कारसेवक की गिरफ्तारी
वह कुछ देर तक डटे रहे। उसके बाद पहला गुम्बद गिरा। तब तक ज्यादा खून गिरने लगा।
एम्बुलेंस पर रख दिया गया। एम्बुलेंस में मोटरी की तरह घायल को फेंका जाता था। अस्पताल पहुंचे। प्रारंभिक इलाज के बाद शिविर वापस आए।
आठ को दोबार जाकर विवादित ढांचा परिसर में एक दो जगह पर टाइल्स बच गया था। उसको उखाडने में शामिल हुए। वहां से वापस हुए। लौटने के दौरान ट्रेन पर पथराव के साथ हाजीपुर में कारसेवक की गिरफ़्तारी हो रही थी। झोला फेंककर नीचे घूमने लगे। जान बची। ट्रेन खुली तो दौड़कर चढ़ गए।
मऊ में हुई थी गिरफ्तारी
यहां आने पर भी भय था कि पुलिस पकड़ न ले। धीरे-धीरे हालत समान्य आ। अब मंदिर बना सपना सकार हुआ। 22 जनवरी को सत्यनारायण भगवान की पूजा व प्रसाद वितरण होगा।
अभी वह पूजित अक्षत हर घर वितरण कर रहे हैं।
बहन ने दी थी रोटी-भूजिया
एक दिसम्बर को निकले तो बहन मीरा ने रोटी-भूजिया दी। उसको खाते हुए ट्रेन से अयोध्या पहुंचे। 1989 में कारसेवा में गए तो मऊ में गिरफ्तार हुए थे।
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