Bihar School Timing: स्कूल की टाइमिंग पर बिहार में 'महाभारत', KK Pathak को बदलना पड़ेगा फैसला?
Bihar School Timing शिक्षक संघ ने स्कूल के समय में बदलाव की मांग की है। संघ ने इसे तुगलकी फरमान बताया है। जिला प्राथमिक संघ के संयुक्त प्रधान सचिव रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि यह आदेश शिक्षकों को प्रताड़ित करने वाला है। अबतक की प्रातःकालीन व्यवस्था में विद्यालय कार्य अवधि पांच घंटे सुबह 6.30 बजे से 11.30 बजे तक होती थी।
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। Bihar School Timing Controversy स्कूल टाइमिंग को लेकर शिक्षक काफी आक्रोशित हैं। शिक्षा विभाग के फैसले से शिक्षक व बच्चे दोनों परेशान हैं। स्कूल टाइमिंग के कारण गुरुवार को सड़क हादसे में तीन शिक्षक घायल हो गए। जिला प्राथमिक शिक्षक संघ ने विभागीय आदेश का पूरजोर विरोध किया है।
शिक्षक संघ ने स्कूल के समय में बदलाव की मांग की है। संघ ने इसे तुगलकी फरमान बताया है। जिला प्राथमिक संघ के संयुक्त प्रधान सचिव रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि यह आदेश शिक्षकों को प्रताड़ित करने वाला है। अबतक की प्रातःकालीन व्यवस्था में विद्यालय कार्य अवधि पांच घंटे सुबह 6.30 बजे से 11.30 बजे तक होती थी।
गुरुवार को नगर क्षेत्र के शिक्षक मनोज पासवान और मीनापुर व पारू के एक-एक शिक्षक मोटरसाइकिल से दुर्घटनाग्रस्त हो गए। उनका इलाज कराया जा रहा है। शिक्षकों को प्रताड़ित कर शिक्षा व्यवस्था में सुधार नहीं लाया जा सकता।
संघ के वरीय उपाध्यक्ष उपेंद्र ठाकुर, उमेश प्रसाद ठाकुर, संगठन सचिव पवन कुमार प्रतापी, सचिव संजय तिवारी, राजीव रंजन, अंचल सचिव रामनरेश ठाकुर, राजकिशोर सिंह, योगेंद्र बैठा, अंचल अध्यक्ष रेणु श्रीवास्तव, सचिव राजेश मिश्र, रामाशंकर कुमार, मीडिया प्रभारी इंद्र भूषण आदि ने कहा कि आदेश में संशोधन नहीं होने पर लोक सभा चुनाव के बाद आंदोलन किया जाएगा।
गर्मी छुट्टी के बाद विद्यालयों में पहले दिन महज 50 प्रतिशत रही उपस्थिति
गर्मी छुट्टी के बाद गरुवार से सभी सरकारी स्कूल खुल गए हैं। शिक्षा विभाग ने गर्मी को देखते हुए सभी सरकारी स्कूलों के समय में बदलाव किया है। पहले दिन बच्चों की उपस्थिति काफी कम रही। शिक्षा विभाग के आदेश के अनुसार, सुबह छह बजे से 12 बजे तक कक्षाएं चलेंगी। इसके बाद कमजोर बच्चों के लिए डेढ़ बजे तक कक्षाएं चलेंगी।निरीक्षी पदाधिकारियों की मानें तो किसी भी स्कूलों में 90 फीसद उपस्थिति नहीं थी। अधिकांश स्कूलों में लगभग 50 फीसद बच्चे पहुंचे थे।
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