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Know Your District: शाही लीची और लहठी ने मुजफ्फरपुर को दिलाई विशिष्ट पहचान, समृद्ध रहा है जिले का इतिहास

Know Your District मुजफ्फरपुर तिरहुत प्रमंडल का प्रमुख जिला है। इसकी पहचान उत्तर बिहार की व्यावसायिक राजधानी के रूप में भी है। शाही लीची ने इसे अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई। राजनीतिक रूप से भी यह जिला काफी जागरूक है।

By Ajit KumarEdited By: Updated: Sat, 06 Aug 2022 11:52 AM (IST)
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स्मार्ट सिटी में मुजफ्फरपुर के चयन के बाद शहर की सूरत बदलने लगी है। सोशल मीडिया

मुजफ्फरपुर, आनलाइन डेस्क। Know Your District: हर कालखंड में मुजफ्फरपुर जिले की विशेष पहचान रही है। यहां के लोगाें ने अपनी प्रतिभा के दम पर कई क्षेत्रों में जिले काे खास मुकाम तक पहुंचाया है। किसानों ने यहां की शाही लीची का अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुसार उत्पादन किया। यही वजह है कि न केवल देश वरन विदेश में इसकी मांग होती है। उसी तरह से यहां के कारीगरों ने अपने खास कौशल के दम पर लाह की चूड़ियां यानी लहठी को यहां की पहचान से जोड़ दिया। बूढ़ी गंडक नदी के तट पर अवस्थित इस जिले ने श्रीकृष्ण मेडिकल कालेज एवं अस्पताल यानी एसकेएमसीएच, इंजीनियरिंग कालेज यानी एमआइटी, बीआरए बिहार यूनिवर्सिटी, एलएस कालेज, आरबीटीएस होम्योपैथिक कालेज के दम पर शिक्षा के क्षेत्र में भी खास मुकाम हासिल किया है।

मुजफ्फर खान के नाम पर नामाकरण

मुजफ्फरपुर बिहार के पुराने जिलों में से एक है। यह आजादी से पहले ही अस्तित्व में आ गया था। 1875 में तिरहुत जिले से अलग कर मुजफ्फरपुर बनाया गया था। जहां तक इसके नामाकरण की बात है तो कहा जाता है कि ब्रिटिश शासनकाल में उसके एक राजस्व अधिकारी मुजफ्फर खान के नाम पर इसका नामाकरण किया गया। यहां वज्जिका व मैथिली दोनों ही भाषओं का साफ प्रभाव दिखता है। इसके उत्तर में पूर्वी चंपारण और सीतामढ़ी, दक्षिण में वैशाली और सारण, पूर्व में दरभंगा और समस्तीपुर तथा पश्चिम में सारण और गोपालगंज जिला है।

मुजफ्फरपुर का इतिहास

यदि हम इसके शुरुआती इतिहास की बात करें तो उसका पता कर पाना संभव नहीं है, लेकिन टुकड़ों में इसकी जानकारी मिलती है। हम प्राचीन भारतीय महाकाव्य रामायण की बात करें तो उस समय इसे राजर्षि जनक विदेह से जोड़ा जाता है। बाद में राजनीतिक सत्ता मिथिला से वैशाली में स्थानांतरित हो गया। ह्वेनसांग की यात्रा से पाल वंश के उदय तक, मुजफ्फरपुर उत्तर भारत के एक शक्तिशाली शासक महाराजा हर्षवर्धन के नियंत्रण में था। 647 ईस्वी के बाद जिला स्थानीय प्रमुखों के पास चला गया। 8 वीं शताब्दी ईस्वी में पाल राजाओं ने 1019 ईस्वी तक तिरहुत पर अपना कब्जा जारी रखा। मध्य भारत के चेदी राजाओं ने भी तिरहुत पर अपने प्रभाव का प्रयोग किया। मुगलकाल में 1323 में गयासुद्दीन तुगलक ने जिले पर अपना नियंत्रण स्थापित किया।

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आजादी के संघर्ष में प्रमुख भूमिका

14वीं शताब्दी और बाद के वर्षों में इसके शासक बदलते रहे। 1764 में बक्सर की लड़ाई में जीत हासिल कर ईस्ट इंडिया कंपनी ने इसे अपने अधीन कर लिया। आजादी की लड़ाई में भी यह जिला काफी सक्रिय रहा। मुजफ्फरपुर में ही 1908 में युवा बंगाली क्रांतिकारी खुदीराम बोस ने बम फेंका था। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद देश में राजनीतिक जागृति ने मुजफ्फरपुर में भी राष्ट्रवादी आंदोलन को प्रेरित किया। दिसंबर 1920 में महात्मा गांधी ने मुजफ्फरपुर जिले की यात्रा की। इस जिले ने देश की आजादी के संघर्ष में प्रमुख भूमिका निभाया।

गरीबस्थान उत्तर बिहार का देवघर

मुजफ्फरपुर में औराई, बंदरा, बोचहां, गायघाट, कांटी, कटरा, कुढ़नी, मड़वन, मीनापुर, मोतीपुर, मुरौल, मुशहरी, साहेबगंज, सकरा, पारू और सरैया यानी कुल 16 प्रखंड हैं। जिले की पहचान धार्मिक रूप से भी है। बाबा गरीबस्थान को उत्तर बिहार का देवघर कहा जाता है। इसी तरह से दाता कंबल शाह मजार से भी बहुत से लोगों का जुड़ाव है।

पर्यटक स्थल कोल्हुआ

कोल्हुआ मुजफ्फरपुर जिले में है। यह पटना के उत्तर-पश्चिम में लगभग 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां मौर्य सम्राट अशोक का बलुआ पत्थर का स्तंभ है। इसमें उत्तर दिशा की ओर मुख कर रहे सिंह की आकृति है। कोल्हुआ के आसपास कई अन्य पुरातात्विक स्थल हैं। इनमें राजा बीसल का गढ़ (प्राचीन वैशाली), अवशेष स्तूप, खरौना पोखर (अभिषेक पुष्करणी), चक्रमदास और लालपुरा आदि शामिल हैं। यह स्थान भगवान बुद्ध के एक चमत्कार से भी जुड़ा है!

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