मनरेगा में काम नहीं करना चाहते मजदूर
नियमित रूप से मजदूरी न मिलने से मनरेगा में अब मजदूर काम नहीं करना चाहते। उनमें अविश्वास पैदा हो गया है। इसलिए मानव दिवस का सृजन काफी कम हो रहा। शनिवार को मधुबनी, दरभंगा व मुजफ्फरपुर जिले की मनरेगा व इंदिरा आवास योजना की समीक्षा में ये बातें सामने आईं।
By Amit AlokEdited By: Updated: Sun, 31 May 2015 01:08 PM (IST)
मुजफ्फरपुर। नियमित रूप से मजदूरी न मिलने से मनरेगा में अब मजदूर काम नहीं करना चाहते। उनमें अविश्वास पैदा हो गया है। इसलिए मानव दिवस का सृजन काफी कम हो रहा। शनिवार को मधुबनी, दरभंगा व मुजफ्फरपुर जिले की मनरेगा व इंदिरा आवास योजना की समीक्षा में ये बातें सामने आईं। ग्रामीण विकास विभाग के संयुक्त सचिव आर सुब्रह्मण्यम ने कहा कि राशि की कमी नहीं है। अभियान चलाकर बकाया भुगतान किया जाए।
क्रियाशील जॉब कार्ड की कम संख्या चिंताजनक : जिलों में क्रियाशील जॉब कार्ड की संख्या काफी कम पाए जाने पर संयुक्त सचिव ने चिंता जताई। मुजफ्फरपुर में 25 हजार में 3300 जॉब कार्ड ही क्रियाशील पाए गए। कार्यक्रम पदाधिकारियों व बीडीओ को कहा गया कि एक गांव का चयन कर निष्क्रिय जॉब कार्ड वाले मजदूर से बात करें। बढ़ाई जाए मजदूरी : कार्यक्रम पदाधिकारियों ने बिहार में कम मजदूरी को लेकर सवाल उठाए। कहा गया 80 सीएफटी मिट्टी काटने पर 177 रुपये दिया जाता है। वहीं राजस्थान में इतनी राशि 60 सीएफटी मिट्टी काटने पर ही दी जाती है, जबकि वहां की तुलना में बिहार की मिट्टी कड़ी है। संयुक्त सचिव ने डीएम को जमीन का वर्गीकरण करने का निर्देश दिया।
जॉब कार्ड रखने वालों पर कार्रवाई : समीक्षा में यह बात भी सामने आई कि सभी लाभुकों को जॉब कार्ड नहीं दिया गया। निर्देश दिया गया कि इसकी जांच की जाए कि किसी मजदूर का जॉब कार्ड दूसरे के पास तो नहीं। दलित टोला के सभी बीपीएल परिवारों को जॉब कार्ड है या नहीं इसकी भी जांच की जाए।मुजफ्फरपुर में पंचायत रोजगार सेवकों के काम से लगातार अनुपस्थित रहने को देखते हुए जॉब कार्ड पंचायत सचिवों को देने को कहा गया। प्रभारी डीएम व डीडीसी कंवल तनुज ने कहा कि जॉब कार्ड सरकारी अभिलेख है। इसे अनधिकृत रूप से रखने वालों पर कार्रवाई होगी।
समीक्षा में इस बात की जानकारी ली गई कि मंगलवार व गुरुवार को पंचायतों में रोजगार दिवस आयोजित होता है। कार्यक्रम पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि 2011-12, 12-13 व 13-14 की इंट्री छूट जाने से यह एमआइएस पर नहीं दिखता। इस कारण बकाया का भुगतान नहीं हो रहा। संयुक्त सचिव ने दो दिनों में मस्टर रॉल भरने व आठ दिनों में कंप्यूटर पर इसकी प्रविष्टि कराने का निर्देश दिया। बैठक में इन जिलों के कार्यक्रम पदाधिकारी, बीडीओ व अन्य अधिकारी मौजूद थे।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।