Raghuvansh Prasad Singh: नेपाल में लोकतंत्र बहाली के लिए मधेश आंदोलन को दी धार
Raghuvansh Prasad Singh in Memory सीमावर्ती इलाके मेंं भारत-नेपाल मैत्री यात्रा निकाली बॉर्डर पर 54 जनसभाएं की। नेपाल में मधेश आंदोलन को धार दी।
By Murari KumarEdited By: Updated: Mon, 14 Sep 2020 03:24 PM (IST)
मुजफ्फरपुर [अमरेंद्र तिवारी]। समाजवादी नेता डॉ.रघुवंश प्रसाद सिंह की नेपाल में राजतंत्र के खात्मे के बाद लोकतंत्र बहाली में महत्वपूर्ण भूमिका रही। नेपाल में मधेश आंदोलन को धार दी। इसके लिए सीमावर्ती इलाके में भारत-नेपाल मैत्री यात्रा निकाली और बॉर्डर पर 54 जनसभाएं की। मधेश आंदोलन से जुड़े तमाम नेताओं के साथ मुजफ्फरपुर व पटना में बातचीत की पहल की। नेपाल में लोकतंत्र की बहाली हुई। पुरानी यादें ताजा करते हुए नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री उपेंद्र यादव, सांसद प्रदीप यादव कहते हैं कि नेपाल में आज जो लोकतंत्र दिख रहा है, उसमें डॉ.रघुवंश प्रसाद सिंह का बड़ा योगदान रहा। नेपाल में जहां केवल एक प्रधानमंत्री होते थे आज सात-सात मुख्यमंत्री हैं।
नेपाल में गैर बराबरी के खात्मे और लोकतंत्र की बहाली में डॉ.रघुवंश प्रसाद सिंह के साथ सांसद अजय निषाद का सहयोग मिला। नेपाल ने एक सच्चे हितैषी को खो दिया है। नेपाल के मधेश आंदोलन से जुड़े तमाम नेता भारत-नेपाल मैत्री संवाद व इंडो नेपाल समिट में आते रहे। रघुवंश बाबू ने भी नेपाल के वीरगंज, लुंबनी में जाकर जनसभा कर शांति बहाली की पहल की। नेपाल रौतहट के सांसद पूर्व मंत्री अनिल झा कहते हैं कि रघुवंश बाबू नेपाल के समाजवादी नेता गजेंद्र प्रसाद सिंह के करीबी तथा मधेश आंदोलन के प्रबल हिमायती रहे। उनकी कमी को नेपाल व भारत की राजनीति में पूरा नहीं किया जा सकता है।
अखबार में छपा नौकरी जाने का इश्तेहार
बीआरएबीयू के पूर्व छात्र नेता डॉ.हरेंद्र कुमार पुरानी दिन की याद को ताजा करते हुए कहते हैं कि आंदोलन में लगातार रहने के कारण गोयनका कॉलेज के प्राचार्य और सोशलिस्ट नेता दरबारी बाबू निलंबित हो चुके थे। उन्होंने ही रघुवंश बाबू का नौकरी पर रखी थी। उनके बाद रघुवंश बाबू के नौकरी पर खतरा था। उस समय के प्रमुख हिन्दी और अंग्रेजी अखबार में कॉलेज प्रबंधन ने विज्ञापन छापा। रघुवंश प्रसाद सिंह, आप इतनी तारीख तक अपनी अनुपस्थिति का कारण नहीं बताते हैं या योगदान नहीं करते हैं तो आपको बर्खास्त कर दिया जाएगा। एक ही दिन का समय दिया गया था।
पूर्व सांसद महंत श्याम सुंदर दास के साथ मझौलिया में एक बैठक में शामिल हो रहे थे। डॉ. कुमार ने बताया कि बैठक में महंतजी ने कहा रघुवंश तुम्हारी नौकरी खतरे में है। किसी तरह आवेदन पहुंचाओ। रघुवंश बाबू ने साफ मना कर दिया। कहा, कर दे बर्खास्त मगर रहेंगे आंदोलन में ही। किसी तरह उन्हें मनाया गया। योगदान व छुट्टी का आवेदन लेकर जाने की जवाबदेही मुझे मिली। किसी तरह से पुलिस से बचते-बचाते सीतामढ़ी पहुंचे।
वहां उस समय बीएस चौहान प्राचार्य थे। उन्होंने सलाह दिया कि आप पत्र को अविलंब रजिस्टरी कर दें आज ही पत्र मिल जाएगा। अगर यहां ठहरेंगे तो पुलिस गिरफ्तार कर लेगी। इतना सुनकर तुरंत पोस्ट ऑफिस गए तथा पत्र को रजिस्ट्री कर वहां से निकल लिए।
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