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मधुबनी: पृथक मिथिला राज्य से ही मिथिलांचल का विकास संभव

Madhubani News सामाजिक आर्थिक राजनीतिक सांस्कृतिक साहित्यिक एवं भाषाई रूप से समृद्ध है मिथिलांचल डॉ. महेंद्र नारायण राम ने कहा कि 20 वें सम्मेलन के लिए पुन उन्हें अध्यक्ष और बैद्यनाथ चौधरी बैजू को महासचिव चुना गया है।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Updated: Sat, 08 Jan 2022 05:35 PM (IST)
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मिथिलांचल के सर्वांगीण विकास के लिए पृथक मिथिला राज्य का गठन जरूरी है।
मधुबनी (खुटौना),जासं। मिथिलांचल के सर्वांगीण विकास के लिए पृथक मिथिला राज्य का गठन जरूरी है। इसके लिए चल रहे आंदोलन को और तेज किया जाएगा। उक्त बातें अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन के अध्यक्ष एवं बिहार मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नारायण राम ने शनिवार को स्थानीय पीडब्ल्यूडी आइबी में विद्यापति सेवा संस्थान की ओर से आयोजित प्रेस वार्ता में कही । उन्होंने कहा कि मिथिला सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक एवं भाषाई रूप से पूर्ण इकाई है और राज्य के रूप में गठन की सारी शर्तें पूरी करता है।

विगत 22 एवं 23 दिसंबर को अयोध्या में आयोजित 19 वें अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन की सफलता का जिक्र करते हुए डॉ. महेंद्र नारायण राम ने कहा कि 20 वें सम्मेलन के लिए पुन: उन्हें अध्यक्ष और बैद्यनाथ चौधरी बैजू को महासचिव चुना गया है । उन्होंने अयोध्या में निर्मित हो रहे राम मंदिर की तर्ज पर सीतामढ़ी के पुनौराधाम में भी मां सीता की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बनाए जाने की मांग का समर्थन किया। खेमयू नेता उमेश घोष ने कहा कि अपार संभावनाओं के बावजूद मिथिलांचल हर एक मामले में पिछड़ा हुआ है।

बिहार समेत कई राज्यों के लिए खाद्यान्न उत्पादन में सक्षम इसकी जमीन कभी भयंकर बाढ़ तो कभी भयंकर सुखाड़ झेलता आ रहा है । सकरी, लोहट, रैयाम व समस्तीपुर की चीनी मिलों, हायाघाट का अशोक पेपर मिल और पंडौल का सूत मिल काफी वर्षो से बंद रहने के कारण इस क्षेत्र के लोग रोजगार की खोज में लगातार पलायन कर रहे है । प्रो. श्रवण कुमार मंडल ने प्राथमिक से लेकर माध्यमिक स्तर तक मैथिली को शिक्षा का माध्यम बनाने पर बल दिया । कहा कि मिथिलांचल में समृद्ध भाषा के रूप में मैथिली के स्थापित रहने के बावजूद इसकी यहां घोर उपेक्षा हो रही है। सारी समस्याओं का हल मिथिला राज्य के गठन से संभव हो सकेगा।

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