मुजफ्फरपुर में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है। इस रैकेट का मास्टरमाइंड सचेंद्र शर्मा उर्फ दादा को गिरफ्तार किया गया है। उसके पास से रेलवे सेल के अधिकारियों के हस्ताक्षर वाले कागजात मुहर रेलवे की नौकरी वाला फर्जी लिफाफा जब्त किया गया है। इस रैकेट में कम से कम 200 लोग शामिल हैं।
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। रेलवे, एफसीआइ, स्टील अथारिटी आफ इंडिया लिमिटेड (सेल), पुलिस व अन्य विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले एक बड़े रैकेट का बेला औद्योगिक क्षेत्र थाना पुलिस ने भंडाफोड़ किया है।
इस रैकेट के मास्टर माइंड औराई थाना के भरथुआ गांव के मूल निवासी व वर्तमान में ब्रह्मपुरा थाना के मेहंदी हसन रोड, किला बांध चौक के शर्मा हाउस में रहने वाले सचेंद्र शर्मा उर्फ दादा (82) को गिरफ्तार किया है।
इसके पास से रेलवे, सेल के अधिकारियों के हस्ताक्षर वाले कागजात, मुहर, रेलवे की नौकरी वाला फर्जी लिफाफा जब्त किया गया है।
दादा से मिलने के लिए एक लाख रुपये फीस के रूप में देना होता था। रैकेट पूरी तरह संगठित तौर पर काम करता था। यह राज्य व उसके बाहर तक फैला है। इसमें कम से कम 200 लोग शामिल हैं। इस रैकेट को के उद्भेदन के लिए जिला आसूचना इकाई (डीआइयू) व पुलिस की टीम छापेमारी कर रही है।
शहर की चर्चित गायिका सोनू मुस्कान सहित छह आरोपितों के विरुद्ध बेला औद्योगिक क्षेत्र थाना में प्राथमिकी कराई गई है। रैकेट का इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह पूरी तरह असली लगता है। इसके जाल में आसानी से बेरोजगार फंस जाते थे।
अब तक 30 युवकों को नौकरी का झांसा देकर ठगी का मामला सामने आया है। इसकी जानकारी नगर एएसपी भानुप्रताप सिंह ने मंगलवार को अपने कार्यालय कक्ष में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में दी।
दो युवकों की प्राथमिकी से रैकेट का भंडाफोड़
बेला थाना के बड़ चौक निवासी सौरभ कुमार व उसके दोस्त अहियापुर थाना के बाजार समिति गेट के सामने रहने वाले मोहन कुमार की प्राथमिकी से इस रैकेट का भंडाफोड़ हुआ। दोनों ने नौ सितंबर को बेला औद्योगिक क्षेत्र थाना में प्राथमिकी कराई थी।इसमें ब्रह्मपुरा थाना के सचेंद्र शर्मा उर्फ दादा, चर्चित गायिका आखाड़ाघाट रोड कृष्णा टाकीज के पीछे रहने वाली सोनू मुस्कान, बाजार समिति के आलू-प्याज व्यवसायी श्यामबाबू सिंह, रेलवे डिवीजन दानापुर के कथित कर्मी कबीर, अहियापुर थाना के नेवालाल चौक के पीछे रहने वाले बिंदा बिहारी वर्मा उर्फ वर्मा जी व सासाराम के ट्रेनर राजीव मिश्रा उर्फ मिश्रा जी को आरोपित बनाया है।
प्राथमिकी में कहा गया कि बाजार समिति के आलू-प्याज व्यवसायी श्यामबाबू प्रसाद उन दोनों को सोनू मुस्कान के पास ले गए। सोनू ने उसे बताया कि ब्रह्मपुरा के सचेंद्र शर्मा उर्फ दादा अलग-अलग विभागों में रुपये लेकर नौकरी लगवाते हैं। उससे मिलने के लिए भी रुपये देना होता है। उससे मिलने के लिए मोहन 50 हजार लेकर गया।इस पर सोनू मुस्कान ने कहा कि 50 हजार रुपये से नहीं होगा। कम से कम एक लाख रुपये लगेगा। पिछले साल दो जुलाई को एक लाख रुपये लेकर गए तो श्यामबाबू सिंह वहां से सचेंद्र शर्मा के घर पर ले गया। वहां एक लाख रुपये सचेंद्र शर्मा को मोहन ने दिया। उस समय मोहन से कुछ फार्म भरवाया।
इसके बाद पिछले साल चार जुलाई को सौरभ भी अपने दोस्त मोहन व उसके पिता संतोष के साथ सचेंद्र शर्मा को घर पर जाकर एक लाख रुपये दिए। उससे भी फार्म भरवाया गया। सचेंद्र शर्मा ने स्पोर्ट्स कोटा से रेलवे में टीसी की नौकरी लगवाने की बात बताकर सात लाख रुपये की मांग की।
सासाराम रेलवे स्टेशन के पीछे प्राइवेट कमरे में कराया ट्रेनिंग
सौरभ ने पुलिस को बताया कि सचेंद्र शर्मा को एक लाख रुपये देने के 20-25 दिनों के बाद उसका व मोहन का ज्वाइनिंग लेटर पोस्ट आफिस के माध्यम से दोनों के पते पर पहुंचा। इसके बाद वह ट्रेनिंग की तैयारी करने लगा।
ट्रेनिंग पर जाने से पहले बकाया छह लाख रुपये सचेंद्र शर्मा को देने के लिए मोहन के पिता संतोष कुमार को दिया। ट्रेनिंग पर जाने से पहले सड़क दुर्घटना में सौरभ का पैर टूट गया। इससे वह ट्रेनिंग पर नहीं जा सका। आठ सितंबर 2023 को उसे रेलवे का ट्रांसफर लेटर दिया गया। मोहन कुमार ब्रह्मपुरा जाकर सचेंद्र शर्मा से मिला।उससे कहा गया कि 29 सितंबर 2023 को सासाराम में रिपोर्टिंग करने से पहले पूर्व मध्य रेलवे दानापुर डिवीजन के कर्मी कबीर को मेडिकल मेंटेनेंस के बदले सौरभ को एक लाख रुपये देने होंगे। इस पर सौरभ पटना के बिस्कोमान भवन के निकट जाकर एक लाख रुपये कबीर को दिया।
इसके बाद सौरभ व मोहन सासाराम ट्रेनिंग करने चला गया। सासाराम रेलवे स्टेशन के पीछे उसे एक प्राइवेट कमरे में रखा गया। वहां उन दोनों के अलावा आठ और युवक थे। एक प्राइवेट कमरे में सभी युवकों के साथ ट्रेनिंग शुरू हुई। यह ट्रेनिंग चार महीने चली। वहां राजीव मिश्रा ने उनलोगों को ट्रेनिंग दी।उनलोगों का सारा पेपर वर्क ओरिजनल की तरह हुआ। उन लोगों की ट्रेनिंग इस साल 30 जनवरी को पूरी हो गई। इसके बाद वे सभी अपने-अपने घर आ गए। वह व उसका दोस्त मोहन एवं अन्य सातों युवक सचेंद्र शर्मा के कहने के अनुसार दानापुर रेलवे डिवीजन के कर्मी कबीर से मिले। वहां उससे कई फार्म भरवाए गए।
इसके बदले सभी से दस-दस हजार रुपये लिए गए। इसके बाद कबीर ने कहा कि तीन-चार महीने के अंदर सभी को नियुक्ति पत्र मिल जाएगा। सौरभ ने बताया कि कबीर की ओर से दिया गया नियुक्ति पत्र मोहन के माध्यम से इस साल छह अगस्त को मिला।यह नियुक्ति पत्र लेकर वह पिछले सात सितंबर को गया के वजीरगंज रेलवे स्टेशन पर गया। वहां स्टेशन मास्टर ने बताया कि उसकी नियुक्ति पत्र व अन्य कागजात फर्जी हैं। यहां इस तरह की कोई भर्ती नहीं निकली है।
मोहन को धनबाद का मिला नियुक्ति पत्र तो जाने से किया इनकार
मोहन कुमार को धनबाद रेलवे स्टेशन के लिए नियुक्ति पत्र दिया गया। सात लाख रुपये खर्च करने के बाद इतनी दूर नियुक्ति होने पर मोहन वहां जाने से इन्कार कर दिया। इसके बाद मोहन व अन्य युवकों को ट्रेनिंग के लिए पश्चिम बंगाल के वर्द्धमान ले जाया गया। वहां एक प्राइवेट कमरे में रखा गया।वहां छह-सात दिनों तक ट्रेनर उपलब्ध नहीं होने की बात बताकर सभी को घर वापस भेज दिया गया। सभी से कहा गया कि ट्रांसफर लेटर मिलने के बाद बुलाया जाएगा। आरोप लगाया बिंदा बिहारी वर्मा उर्फ वर्मा सभी को वर्द्धमान स्टेशन से ट्रेनिंग सेंटर से प्राइवेट रूम तक ले गया था।
सचेंद्र बिस्कोमान का सेवानिवृत अधिकारी
इस रैकेट का मास्टर माइंड ब्रह्मपुरा का सचेंद्र शर्मा बिस्कोमान का सेवानिवृत अधिकारी बताया गया है। उसका ईंट-भठ्ठा का भी व्यवसाय है। नौकरी के इच्छुक बेरोजगारों को फंसाने के लिए इसने काफी तामझाम कर रखे थे। नौकरी के लिए उससे मिलने वालों से वह सीधे नहीं मिलता था।आरोप लगाया गया है कि ऐसे लोगों को सोनू मुस्कान, श्यामबाबू व बिंदा बिहारी उससे मिलाते थे। उसने ऐसे लोगों से मिलने के लिए एक लाख रुपये फीस रखा था।ये लोग भी तभी उसके पास किसी को ले जाते थे जब संबंधित व्यक्ति एक लाख रुपये का इंतजाम कर लेता था। आइटी एसपी व अन्य पदों पर भी नियुक्ति पत्र देने का मामला भी सामने आ रहा है।
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