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मधुबनी: नेपाल के कचुरीधाम से शुरू हुई मिथिलाधाम मध्यमा परिक्रमा यात्रा, जान‍िए पूरी तैयारी

Madhubuni News कचुरीधाम में प्रभु श्रीराम के डोला दर्शन के लिए जुटे हजारो श्रद्धालु पहले दिन नेपाल के कचुरीधाम से आठ किमी दूर हनुमानगढ़ी में रात्रि विश्रामदूसरे दिन भारतीय क्षेत्र में कल्याणेश्वर महादेव स्थान पहुंचेगा प्रभु श्रीराम व माता जानकी का डोला।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Updated: Thu, 03 Mar 2022 04:01 PM (IST)
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प्रभु श्रीराम का डोला लेकर यात्रा करते श्रद्धालु। फोटो-जागरण
मधुबनी, हरलाखी {मनोज झा}। मिथिलाधाम की प्रसिद्ध 84 कोस की मध्यमा परिक्रमा यात्रा की विधिवत शुरुआत हो चुकी है। परिक्रमा यात्रा के लिए नेपाल के कचुरीधाम से मिथिला बिहारी प्रभु श्रीराम का डोला निकल चुका है। कचुरीधाम में प्रभु श्रीराम के डोला दर्शन के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। श्रद्धालुओं की उपस्थिति में डोला की विधिवत पूजा-अर्चना कर मध्यमा परिक्रमा का शुभारंभ।

कचुरीधाम से निकलने के उपरांत जनकपुरधाम पहुंचकर स्थित जनकनन्दिनी के महल की परिक्रमा की गई। इसके बाद माता सीता के डोला को साथ लेकर जनक दरबार के मुख्य द्वार पर पहरेदार के रूप में अवस्थित बजरंगबली के मंदिर हनुमानगढ़ी की ओर यात्रा विदा हो गई। पहले दिन हनुमानगढ़ी में रात्रि विश्राम होगा। शुक्रवार को यात्रा भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करेगा। सीमा पर अवस्थित हरिणे गांव में दिन का विश्राम कर प्रभु श्रीराम व माता सीता को बाल भोग कराते हुए ऐतिहासिक कल्याणेश्वर महादेव स्थान में दूसरे दिन का रात्रि विश्राम होगा। कल्याणेश्वर स्थान में गुरुवार से ही यात्रा में शामिल होने के लिए साधु-संत जुटने लगे हैं। इस मध्यमा परिक्रमा यात्रा में हजारों की संख्या में श्रद्धालु भजन-कीर्तन करते हुए भारत व नेपाल के 15 ऐतिहासिक देव स्थलों की परिक्रमा करते हैं।

18 मार्च को जनकपुर में संपन्न होगी परिक्रमा यात्रा

तीसरे दिन पांच मार्च को कल्याणेश्वर स्थान से विदा होकर डोला गिरजा स्थान फुलहर पहुंचेगा। छह मार्च को नेपाल के मटिहानी स्थान, सात मार्च को जलेश्वर, आठ मार्च को मड़ै स्थान, नौ मार्च को ध्रुवकुंड, 10 मार्च को कंचनवन, 11 मार्च को पर्वता स्थान, 12 मार्च को धनुषा, 13 मार्च को सतोषर स्थान, 14 मार्च को औरही स्थान, 15 मार्च को पुनः भारतीय क्षेत्र में प्रवेश कर हरलाखी के करुणा स्थान, 16 मार्च को पुनः कल्याणेश्वर स्थान की परिक्रमा कर विश्वामित्र आश्रम विशौल में रात्रि विश्राम होगा। 17 मार्च को डोला जनकपुरधाम पहुंचकर गंगासागर पर क्षेत्र विकास परिषद् के द्वारा बनवाए मंडप में रात्रि विश्राम करेगा। 18 मार्च को विधिवार अंतरगृह व पांच कोसी परिक्रमा कर यह यात्रा समाप्त होगी। पौराणिक परंपरा के अनुसार उसी दिन होलिका दहन के उपरांत नेपाल के जनकपुरधाम से होली की शुरुआत होती है।

पैदल तय होगी 84 कोस की परिक्रमा

मध्यमा परिक्रमा के संदर्भ में विश्वामित्र स्थान के महंथ ब्रजमोहन दास ने बताया कि इसी समय व दिन से भारत में चार जगहों से परिक्रमा की शुरुआत होती है। जिसमें नैनीसारण, चित्रकूट, वृंदावन व जनकपुर धाम की परिक्रमा मुख्य है। मान्यताओं के अनुसार प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों की परिक्रमा करने से सभी दुखों का निवारण होता है। मिथिलाधाम के मध्यमा परिक्रमा की शुरुआत आदिकाल से हुई है। यह परंपरा पूर्ण आस्था व विश्वास के साथ अब तक जारी है। यह परिक्रमा 84 कोस की है जिसे गाजे-बाजे के साथ कीर्तन-भजन करते हुए पैदल तय किया जाता है।

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