बेटी को गुमसुम देख फटा मां का कलेजा, हमर दुलरी बेटी कतअ चैल गैले यो
केवटी प्रखंड के माधोपट्टी निवासी युवती रविवार की शाम को घर से निकली तो नहीं लौटी। इस बीच उसके बारे में जानने को लेकर उसके स्वजन परेशान होते रहे लेकिन कहीं से कोई जानकारी नहीं मिली। शुक्रवार को जब उसकी लाश मिली।
By Ajit KumarEdited By: Updated: Fri, 11 Feb 2022 06:48 PM (IST)
केवटी (दरभंगा), संस। माधोपट्टी निवासी युवती रविवार की सुबह अपनी बहन के साथ शौच करने के लिए घर से निकली। कुछ देर के बाद उसकी बहन तो लौट कर आ गई, लेकिन वह नहीं लौटी। अनहोनी की आशंका से घरवालों का दिल बैठा जा रहा था। उनके मन में तरह-तरह के ख्याल आ रहे थे। जैसे-जैसे वक्त गुजरता गया, उसके वापस लौटने की उम्मीद खत्म होती चली गई। घरवालों से लेकर स्थानीय लोगों ने भी खूब प्रयास किए, लेकिन सफलता नहीं मिली।
प्रखंड की माधोपट्टी निवासी महादेव साह की 18 वर्षीया पुत्री निशा कुमारी की शव 120 घंटे बाद शुक्रवार की सुबह करीब सात बजे घटना स्थल से करीब तीन किमी दूर लाधा गांव के पास बागमती नदी के पानी में स्थानीय मछुआरों के लगा जाल में फंसकर उपलाते मिला। यह सूचना लाधा व माधोपट्टी गांव समेत आसपास के इलाके में आग की तरह फैल गई। स्वजनों में कोहराम मच गया। बता दें कि रविवार की सुबह करीब छह बजे वह बागमती किनारे अपनी छोटी बहन के साथ शौच के लिए गई थी। इसी क्रम में पांव फिसल जाने के कारण वह नदी के गहरे पानी में चली गई। बहन को डूबता देख छोटी बहन ने शोर मचाया। लेकिन, जबतक लोग जुटे निशा डूब चुकी थी।
इस संबंध में सीओ गंगेश झा व कमतौल थानाध्यक्ष वरुण कुमार गोस्वामी की सूचना पर पहुंची एनडीआरएफ की टीम व स्थानीय गोताखोरों ने शाम के छह बजे तक नदी में शव की तलाश की। दूसरे दिन एनडीआरएफ की टीम तो नहीं पहुंची। लेकिन स्थानीय गोताखोर निशा की तलाश में लगे रहे। तीसरे दिन एसडीआरएफ की टीम व स्थानीय ग्रामीण नाव के सहारे शाम करीब छह बजे तक निशा के शव की तलाश किया। चौथे व पांचवें दिन एनडीआरएफ या एसडीआरएफ की टीम तो नहीं पहुंची लेकिन गोताखोर के अलावे स्थानीय ग्रामीण नाव के सहारे निशा के शव की तलाश हुई, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली । इधर शव मिलने की सूचना मिलने पर पुलिस बल के साथ लाधा पहुंचे कमतौल थानाध्यक्ष वरुण कुमार गोस्वामी ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए उसे डीएमसीएच भेजा।
बेटी का शव मिलने के बाद मां बबिता देवी का रो - रोकर बुरा हाल था। बार - बार बेहोश हो रही थी । होश आने पर अपने चीत्कार में बस एक ही बात कह रही थी कि हमर दुलरी बेटी कतअ चैल गैले यो बाबू सब । हम केकरा कि बिगाड़ले छलिए हो । गांव की महिलाएं उन्हें ढांढस बंधा रही थी । पिता महादेव साह व स्वजनों के आंखों की आंसू रूकने का नाम नहीं ले रहा था । गांव में मातम पसरा हुआ है।
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