बिहार का मुजफ्फरपुर जिला आजादी के बाद रहा कांग्रेस का गढ़, अब भाजपा व राजद का प्रभाव; बदले राजनीतिक समीकरण का दिख रहा प्रभाव
बिहार का मुजफ्फरपुर जिला आजादी के बाद कांग्रेस का गढ़ रहा। हालांकि इसके बाद भाजपा व राजद का प्रभाव दिखने लगा। आजादी के बाद यहां के राजनीतिक समीकरण में बदलाव देखने को मिला। जिले की दो संसदीय सीट मुजफ्फरपुर और वैशाली में से मुजफ्फरपुर सीट परंपरागत तौर पर कांग्रेस का गढ़ मानी जाती रही है लेकिन पिछले दो दशक से लोकसभा में भाजपा का जलवा कायम रहा।
अमरेन्द्र तिवारी, मुजफ्फरपुर। आजादी के बाद कभी कांग्रेस का गढ़ रहे इस जिले के राजनीति समीकरण में भी बदलाव आया। भाजपा व राजद का प्रभाव बना हुआ है। लोकसभा व विधानसभा क्षेत्र में बदलाव के साथ विस्तार हुआ। जिले की दो संसदीय सीट मुजफ्फरपुर और वैशाली में से मुजफ्फरपुर सीट परंपरागत तौर पर कांग्रेस का गढ़ मानी जाती रही है। यहां समाजवादी और साम्यवादी विचारधारा भी बहती रही। पिछले दो दशक से लोकसभा में भाजपा का जलवा कायम रहा। वहीं विधानसभा चुनाव में यहां भाजपा और राजद में बराबरी का संघर्ष दिखा है। जदयू और कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा है।
16 लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा बार जीती कांग्रेस
अब तक के 16 लोकसभा चुनावों में यहां से सर्वाधिक बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की। जनता दल व जदयू दूसरे नंबर पर रहे। जनता पार्टी और भाजपा को दो-दो बार तो राजद को एक बार सफलता मिली। प्रमुख चर्चित राजनेताओं में पूर्व मंत्री ललितेश्वर प्रसाद शाही, दिग्विजय नारायण सिंह, श्यामनंदन मिश्रा, पूर्व मंत्री जार्ज फर्नांडिस, पूर्व मंत्री कैप्टन जयनारायण निषाद केंद्रीय राजनीति में बड़े नाम रहे।
राज्य की राजनीति में विधानसभा के स्पीकर विन्ध्येश्वरी प्रसाद वर्मा बड़ा चेहरा रहे। वह पहले विधानसभा अध्यक्ष बने। श्यामनंदन सहाय व रमई राम राज्य की राजनीति में चमके। शहर में गोपालगंज के तत्कालीन डीएम कृष्णैया की हत्या में कई नेताओं के नाम आए। इसमें आनंद मोहन सबसे ज्यादा चर्चित रहे। अभी भाजपा के टिकट पर दो बार से सांसद अजय निषाद चुनाव जीत रहे हैं।
वैशाली लोकसभा में मुजफ्फरपुर की हिस्सेदारी
वैशाली लोकसभा सीट का अस्तित्व 1971 में गठित परिसीमन समिति की रिपोर्ट के बाद 1977 में आया। वैशाली क्षेत्र का कुछ हिस्सा हाजीपुर संसदीय सीट में चला गया।
मुजफ्फरपुर जिले की पांच और वैशाली जिले की एक विधानसभा को मिलाकर इस संसदीय सीट का गठन किया गया। यहां हुए चुनावों में सबसे अधिक बार जनता दल और फिर राजद ने सात बार जीत दर्ज की। जनता पार्टी ने दो, कांग्रेस ने एक, बिहार पीपुल्स पार्टी ने एक व लोजपा ने दो बार जीत दर्ज की।
प्रमुख राजनेताओं में दिग्विजय नारायण सिंह, किशोरी सिन्हा, उषा सिन्हा, शिवशरण सिंह, डा.रघुवंश प्रसाद सिंह इस क्षेत्र से चर्चित नाम रहे। वर्ष 2014 के बाद यहां एनडीए मजबूत हुआ। लोजपा के रामाकिशोर सिंह ने डा.रघुवंश प्रसाद सिंह को हराया।
पिछले लोकसभा चुनाव में भी डा.सिंह लोजपा की ही वीणा देवी से चुनाव हार गए। इस हार के एक साल बाद ही उनका निधन हो गया। इस सीट पर लवली आनंद की राजद की किशोरी सिन्हा पर जीत सर्वाधिक चर्चित रही। लालू प्रसाद ने किशोरी को जीत दिलाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी। अभी इस सीट पर लोजपा का कब्जा है।
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