Muzaffarpur Helicopter Crash: वायुसेना ने शुरू की हेलीकॉप्टर गिरने की जांच, ब्लैक बॉक्स किया गया सुरक्षित
Muzaffarpur Helicopter Crash बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में बाढ़ राहत सामग्री गिराते समय हेलीकॉप्टर की आपात लैंडिंग की जांच भारतीय वायु सेना ने शुरू कर दी है। जांच टीम ने हेलीकॉप्टर के ब्लैक बॉक्स को भी सुरक्षित रख लिया है। इसकी जांच में तकनीकी खराबी का पता लगाया जा रहा है। बता दें कि पायलट सहित चारों जवान सुरक्षित हैं।
जागरण संवाददाता, दरभंगा/मुजफ्फरपुर। मुजफ्फरपुर जिले के औराई प्रखंड की भरथुआ पंचायत के मधुबन बेशी चौर में बुधवार को बाढ़ राहत सामग्री गिराने दौरान हेलीकॉप्टर की पानी में आपात लैंडिंग कराने की दरभंगा एयरफोर्स स्टेशन के अधिकारियों ने जांच शुरू कर दी है।
ग्रुप कंमाडर रवीश राकेश ने बताया कि किन तकनीकी खराबी के कारण हेलीकॉप्टर की आपात लैंडिंग करानी पड़ी, यह अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। इसकी जांच चल रही है। जांच के लिए हेलीकॉप्टर के ब्लैक बॉक्स को सुरक्षित कर लिया गया है।
जांच टीम में इंजीनियरिंग, फ्लाइंग, चेन आदि विभाग के अधिकारी शामिल हैं। ग्रुप कमांडर ने बताया कि हेलीकॉप्टर की सुरक्षा में उनके अधिकारी व जवान मौके पर तैनात हैं। पानी कम होने का इंतजार किया जा रहा है। इसके बाद हेलीकॉप्टर को सुरक्षित निकालने का प्रयास किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि आपात लैंडिंग होने वाला एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) ध्रुव है। उधर, डीएम राजीव रौशन ने कहा कि दरभंगा एयरफोर्स स्टेशन से दरभंगा और सीतामढ़ी जिले के बाढ़ राहत आपरेशन चलाया जा रहा था।
इस दौरान सीतामढ़ी के लिए राहत सामग्री लेकर रवाना हुए हेलीकॉप्टर के इंजन में गड़बड़ी होने से पानी में आपात लैंडिंग कराई गई। इसमें पायलट सहित चारों जवान सुरक्षित हैं। जांच में किसी को गंभीर चोट लगने की बात सामने नहीं आई है।
श्रीकृष्ण मेडिकल कालेज व अस्पताल (एसकेएमसीएच) से गोरखपुर एयरबेस भेजे गए जवान भी वापस लौट गए हैं। क्या होता है ब्लैक बॉक्स :प्लेन अथवा हेलीकॉप्टर का ब्लैक बॉक्स सबसे अहम हिस्सा होता है। यह उड़ान की गतिविधियों को रिकार्ड करता है।
इस कारण इसे फ्लाइट डाटा रिकार्डर भी कहते हैं। यह विमान के पीछे लगा होता है। इंजन की आवाज, इमरजेंसी अलार्म की आवाज, केबिन के तापमान, काकपिट, दिशा, ऊंचाई, ईंधन का स्तर, गति आदि सहित कुल 88 डेटा को रिकार्ड करता है।काफी ऊंचाई से जमीन पर या समुद्री पानी में गिरने की स्थिति में भी इसे बहुत कम नुकसान पहुंचता है। बिना बिजली के 30 दिन तक काम करता है। दुर्घटना के बाद इससे 30 दिनों तक विशेष आवाज और तरंग निकलती है, जिससे इसे खोजने में मदद मिल जाती है।
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