Muzaffarpur: डेंगू का हाई रिस्क जोन बना मुशहरी व कांटी; तैयारियों को लेकर भी लापरवाही, मरीज की संख्या अब 98
बिहार के मुजफ्फरपुर में डेंगू के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। मुशहरी व कांटी डेंगू का हाई रिस्क जोन बन गए हैं। इसी बीच प्रशासन की तरफ से तैयारियां भी अधूरी हैं। दस पीएचसी में बिना मच्छरदानी के बेड उपलब्ध हैं। बताया जा रहा है कि दवा के लिए मिली राशि खर्च हो गई है। अब विभाग पर निगाहें टिकी हुईं हैं।
By Jagran NewsEdited By: Mukul KumarUpdated: Wed, 27 Sep 2023 09:31 AM (IST)
अमरेन्द्र तिवारी , मुजफ्फरपुर : डेंगू का कहर जारी है। इसके बचाव के लिए कागज पर विभाग पूरी तरह से दुरुस्त दिख रहा है। जमीनी हकीकत यह है कि केवल जांच की सुविधा पीएचसी से लेकर सदर अस्पताल तक है। रोकथाम को लेकर छिड़काव, फॉगिंग व बेड की सुविधा अधूरी है।
सभी 16 प्रखंड में दो-दो बेड तथा सदर अस्पताल में दस बेड का डेंगू वार्ड तैयार रखना है। सदर अस्पताल ने तो जिला वेक्टरजनित कार्यालय से दस मच्छरदानी का उठाव कर लिया। डेंगू के हाई रिस्क जोन में शामिल मुशहरी, कांटी समेत दस प्रखंड अब तक जिला मुख्यालय से मच्छरदानी का उठाव नहीं कर पाए हैं।
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, डेंगू के लिए बने बेड मच्छरदानीयुक्त होने चाहिए। बरसात शुरू होने के साथ बेड को तैयार रखना है। अब तक मुशहरी, कांटी, बोचहां, बंदरा, गायघाट, कटरा, मडवन, मोतीपुूर, सरैया तथा साहेबगंज पीएचसी के प्रबंधक मच्छरदानी का उठाव नहीं कर पाए हैं।
जिला वेक्टरजनित रोग पदाधिकारी डा.सतीश कुमार ने कहा कि दस पीएचसी प्रभारी को दोबारा नोटिस दिया गया है। अगर दो दिन के अंदर उठाव नहीं होगा तो सिविल सर्जन के साथ राज्य मुख्यालय तक रिपोर्ट जाएगी।
टेमीफोस के छिड़काव में भी पिछड़े प्रखंड
जानकारी के अनुसार, बरसात में मच्छर जनित बीमारियों मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया और जापानी बुखार फैलाने वाले मच्छरों के लारवा को नष्ट करने को लेकर एंटी लारवा एक्टिविटी अभियान चलना चाहिए। अस्पताल परिसर में पानी की नालियों, टेमीफोस दवा का छिड़काव से लर्वा नष्ट होते हैं।हालत यह है कि टेमीफोस का छिड़काव केवल शहरी इलाके में चल रहा है। पीएचसी स्तर पर अब तक कहीं के प्रबंधक दवा का उठाव जिला मुख्यालय से नहीं किए हैं। दवा क्रय के लिए तीस हजार की राशि मिली थी। उसके बाद बजट नहीं आया है। किसी-किसी तरह से जुगाड कर दवा का इंतजाम किया जा रहा है।
अभी स्टॉक में दस लीटर दवा उपलब्ध है। इससे छिड़काव हो रहा है। विभाग के पास छह कर्मी है। उसमें से तीन दल ही लगातार कम कर रहा है। जिला वेक्टरजनित रोग पदाधिकारी डा.सतीश कुमार ने बताया कि कोराना के समय सभी पीएचसी में छिड़काव के लिए मशीन दिया गया था।यह भी पढ़ें- राजधानी पटना में मिले डेंगू के चारों स्ट्रेन, राज्य में बढ़ती जा रही मरीजों की संख्या
वहां पर टेमीफोस का छिड़काव होना चाहिए। उनके पास किसी पीएचसी से टेमीफाास के छिडकाव की सूचना नहीं है।
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फॉगिंग की हालत भी डवांडोल चल रही है। सरकारी गाइड लाइन के अनुसार जहां पर मरीज मिल रहे उसके घर के पांच सौ मीटर के दायरे में फॉगिंग होनी चाहिए। जिले में अब तक 98 मरीज मिले हैं। लेकिन केवल 48 मरीज के घर के आसपास फॉगिंग कराई गई है। पचास जगह बाकी है। एक टीम के सहारे यह अभियान चल रहा है। राज्य स्तर से अब मानव बल बढाने या फागिंग के लिए पीएचसी स्तर पर मशीनक व टीम के प्रशिक्षण की रणनीति नहीं बनी है।इस संबंध में जिला वेक्टरजनित रोग पदाधिकारी की माने तो मानव संसाधन की कमी के कारण एक दल से काम चल रहा है। प्रतिदिन रोटेशन के आधार पर छिडकाव किया जा रहा है।मच्छरदानी व दवा का उठाव नहीं करना गंभीर मामला है। जिला स्तर पर इसकी समीक्षा होगी। वैसे फागिंग, जांच व इलाज की सुविधा पीएचसी से लेकर सदर अस्पताल तक है। एसकेएमसीएच में विशेष वार्ड काम कर रहा है।
डा.यूसी शर्मा, सिविल सर्जन