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बिना टेंडर प्रक्रिया अपनाए सफाई व सुरक्षा प्रहरी का काम आवंटित करने का मामला, सिविल सर्जन और कुढ़नी पीएचसी प्रभारी निलंबित

मुजफ्फरपुर में अनियमितता के आरोप में सिविल सर्जन और कुढ़नी पीएचसी प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि उन्होंने बिना टेंडर प्रक्रिया अपनाए साफ-सफाई और सुरक्षा प्रहरी का काम आवंटित कर दिया था। इस मामले में जिलाधिकारी ने जांच कराई तो गड़बड़ी सामने आई। इसके बाद दोनों को सस्पेंड कर दिया गया।

By Jagran NewsEdited By: Mukul KumarUpdated: Thu, 19 Oct 2023 10:58 AM (IST)
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प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। बिना टेंडर प्रक्रिया अपनाए साफ-सफाई व सुरक्षा प्रहरी का काम आवंटित करने के मामले में सिविल सर्जन डा.यूसी शर्मा व कुढ़नी पीएचसी प्रभारी डा.धर्मेन्द्र कुमार को निलंबित कर दिया गया है।

राज्य मुख्यालय से देर शाम इसकी सूचना आधिकारिक वेबसाइट पर जारी होने के बाद विभाग में खलबली मच गई। निलंबन अवधि में दोनों पदाधिकारियों का मुख्यालय पटना होगा। अधिवक्ता पंकज कुमार ने आरोप लगाया था कि बिना टेंडर की प्रक्रिया अपनाए मनमाने तरीके से एक एजेंसी को सफाई व सुरक्षा की जवाबदेही दे दी गई।

पुरानी एजेंसी के टेंडर की अवधि खत्म होने के बाद जब तक नई एजेंसी के लिए टेंडर नहीं होता, तब तक पुरानी एजेंसी से काम लेना चाहिए था।

इनकी शिकायत के बाद जिलाधिकारी ने अपने स्तर से जांच कराई। उसके बाद विभागीय कार्रवाई के लिए राज्य मुख्यालय को पत्र लिखा गया था। बुधवार को विभाग के संयुक्त सचिव सुधीर कुमार ने निलंबन का आदेश जारी किया।

विभाग ने निलंबन का यह बताया कारण 

संयुक्त सचिव ने अपने पत्र में कहा है कि सिविल सर्जन डा.यूसी शर्मा ने जिले के विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में बिना टेंडर की प्रक्रिया अपनाए साफ-सफाई का कार्य अवैध एवं फर्जी एजेंसी को आवंटित कर दिया था। इसी तरह से बिना सक्षम प्राधिकार का अनुमोदन प्राप्त किए स्वास्थ्य संस्थानों में सुरक्षा प्रहरी का कार्य आवंटित किया गया।

इसके साथ ही एजेंसी को पूर्व में ही कार्य आवंटित कर दिए जाने से संबंधित तथ्यों को छिपा कर नए सिरे से कार्यादेश आवंटित करने के प्रस्ताव पर अनुमति व स्वीकृति प्राप्त करने के लिए जिलाधिकारी से अनुरोध किया था। यह नियम के विरुद्ध है।

संयुक्त सचिव ने पत्र में कहा कि डा.शर्मा को अपने कार्य के प्रति लापरवाही बरतने एवं कर्तव्यहीनता के कारण निलंबित किया गया है।

वहीं, डा.धर्मेंद्र पर आरोप है कि उन्होंने बिना एकरारमाना किए तथा पूर्व की चयनित एजेंसी को बिना कारण बताए हटा दिया और नई एजेंसी को काम सौंप दिया। निलंबन अवधि में दोनों पदाधिकारी का मुख्यालय पटना होगा।

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