Move to Jagran APP

Muzaffarpur News: मुजफ्फरपुर में खुदीराम बोस के नाम पर बनेगा म्यूजियम, तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त ने की घोषणा

मुजफ्फरपुर में अमर बलिदानी खुदी राम बोस के नाम पर म्यूजियम बनाया जाएगा। इसकी घोषणा तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त गोपाल मीणा ने की। उन्होंने कहा कि खुदी राम बोस की कुर्बानी को कोई नहीं भुला सकता है। उन्होंने देश की आजादी के लिए महज 18 साल की उम्र में कुर्बानी दे दी। खुदी राम बोस को मुजफ्फरपुर जेल में ही फांसी दी गई थी।

By Jagran News Edited By: Sanjeev Kumar Updated: Sun, 11 Aug 2024 11:52 AM (IST)
Hero Image
अमर शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा में श्रद्धांजलि देते डीएम (जागरण)
अमरेन्द्र तिवारी, मुजफ्फरपुर। Muzaffarpur News: अमर बलिदानी खुदीराम बोस के बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। ‌अमर शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में फैंसी स्थल व विशेष सेल में हवन माल्यार्पण की गई इस अवसर पर उन्हें सलामी दी गई।

केंद्रीय कारा में खुदीराम बोस के नाम पर म्यूजियम बनाया जाएगा

श्रद्धांजलि के बाद तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त गोपाल मीणा ने कहा कि केंद्रीय कारा में अमर बलिदानी खुदीराम बोस के नाम पर म्यूजियम बनाया जाएगा और फांसी स्थल को विकसित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सबसे कम उम्र में बलिदान देने वाले खुदीराम बोस के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।

मीडिया कर्मियों के सवाल के जवाब में कहा कि जेल मैनुअल में फिलहाल आम आदमी के दर्शन पूजन की व्यवस्था नहीं है। लेकिन आने वाले दिनों में यह पहल होगी कि अमर शहीद खुदीराम बोस से जुड़े फांसी स्थल और सेल का दर्शन आम आदमी भी कर सके।

अमर बलिदानी के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता: सुब्रत कुमार सिंह

जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सिंह ने कहा कि युवा पीढ़ी को अमर बलिदानी खुदीराम बोस के जीवन से प्रेरणा मिलती है। अमर बलिदानी के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि बलिदान दिवस पर केंद्रीय कारा में हर साल श्रद्धांजलि दी जाती है। इस साल भी श्रद्धांजलि सभा में प्रशासन के वरीय अधिकारी के साथ सामाजिक संगठन के प्रतिनिधि शामिल हुए।

उन्होंने अमर बलिदानी खुदीराम बोस के गांव से आए लोगों का अभिनंदन किया। उनकी ओर से दिए गए मांग पत्र को पर उचित कार्रवाई करने का भरोसा दिया। इसके साथ ही अमर शहीद खुदीराम से जुड़े स्मारक स्थल चिता भूमि पर भी लोगों ने जाकर श्रद्धांजलि दी।

11 अगस्त को ही खुदीराम बोस को फांसी हुई थी: जिलाधिकारी

जिलाधिकारी ने कहा कि मुजफ्फरपुर के अमर शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा में 11 अगस्त आज ही के दिन खुदीराम बोस हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ गए थे। शहीद खुदीराम बोस मूल रूप से ‌पश्चिम बंगाल के मिदनापुर गांव के रहने वाले थे। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर मुजफ्फरपुर जेल में फांसी दे दी थी। उस वक्त बिहार बंगाल प्रेसीडेंसी में ही आता था।

इस मौके पर तिरहुत प्रमंडल के आईजी पुलिस शिवदीप लांडे, एसएसपी राकेश कुमार, नगर आयुक्त ‌नवीन कुमार, सिटी एसपी अवधेश दीक्षित, एसडीओ पूर्वी अमित कुमार जेल अधीक्षक बृजेश सिंह मेहता, निगम पार्षद केपी पप्पू सहित खुदीराम बोस कि जन्मभूमि से आए लोगों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किया। यहां 110 लोग अलग-अलग संगठन के शामिल हुए।

गांव वालों ने रखी माटी, अर्पित की प्रसाद

अमर बलिदानी खुदीराम बोस की अंतिम इच्छा को पूरा करने को लेकर मिदनापुर से उनके गांव से टोली आई।मेदिनापुर से आई टोली का नेतृत्व कर रहे अमर शहीद खुदीराम बोस स्मृति विद्यालय के संस्थापक प्रकाश हलधर ने कहा कि अमर बलिदानी खुदीराम बोस की यादें उनके पैतृक गांव के लोग दिल में संजोए हुए है।‌

वह अमर बलिदानी के गांव की मिट्टी व सिद्धेश्वरी काली माता मंदिर का प्रसाद लेकर आए हैं। इसके साथ एक पौधा भी लाए जिसको कारा प्रशासन को दिया। उनके साथ उषा हलधर, प्रीति लता हलधर, अनिरूद्ध हलधर, देवेश हलधर, मामूनी दत्ता घोष, एंजल घोष व संतोष गताइत शामिल रहे। हलधर ने बताया कि वह 1995 से यहां पर लगातार आकर श्रद्धांजलि‌ दे रहे हैं।

सिद्धेश्वरी काली माता का प्रसाद, गांव की माटी उनके फांसी स्थल और चंदवारा सोडा गोदाम स्थित चिता भूमि पर अर्पित किया। खुदीराम बोस कि आखरी इच्छा को पूरा कर वह खुद को ‌वह धन्य मानते है।

बंदियों ने तैयार किया माला, दी श्रद्धांजलि

अमर शहीद खुदीराम बोस केनद्रीय कारा के अधीक्षक बृजेश सिंह मेहता ने कहा कि कारा परिसर में फांसी स्थल व विशेष सेल है। दोनों स्थल का रंग रोगन कराया गया। अमर बलिदानी को सलामी दी गई।‌ कहां की केंद्रीय कारा में अमर बलिदानी से जुड़ी कागजात, तस्वीर को सुरक्षित रखा गया है। इधर बिहार बंगाली समाज के सचिव देवाशीष गुहा ने बताया कि समिति अध्यक्ष प्रो.दुर्गापत दास, जोनल सचिवि अमरनाथ चटर्जी, संयुक्त सचिव अर्पणा, चंदन राय आदि के साथ जाकर श्रद्धांजलि दी।

Khudiram Bose: सबसे कम उम्र में शहीद होने वाले भारतीय क्रांतिकारी, बेबाक शब्दों से ब्रिटिश जज के उड़ा दिए थे होश

80 साल पहले 'राष्ट्रपिता' कहलाए थे Mahatma Gandhi, जानिए कब और किसने दी थी उन्हें ये उपाधि

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।