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Muzaffarpur Litchi Delayed: अत्यधिक ठंड का असर, लीची के लिए करना होगा अधिक इंतजार; समय से नहीं लगे मंजर

Muzaffarpur Litchi Delayed मई के दूसरे पखवाड़े से मिलने वाली लीची ठंड के कारण इस साल 10-15 दिन की देरी से आएगी। आमतौर पर 14 जनवरी से पेड़ों में मंजर लग जाते हैं लेकिन इस बार अत्यधिक ठंड तापमान में उतार-चढ़ाव और पछुआ से मंजर समय से नहीं लगे हैं।

By Amrendra TiwariEdited By: Ashish PandeyUpdated: Fri, 20 Jan 2023 04:46 PM (IST)
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मुशहरी में लीची बाग का निरीक्षण करते अनुमंडल कृषि पदाधिकारी डा. विकास कुमारl फोटो- जागरण
अमरेंद्र तिवारी, मुजफ्फरपुर: लीची के प्रेमियों को इस बार उसकी मिठास का आनंद देर से मिलने की आशंका जताई जा रही है। मई के दूसरे पखवाड़े से मिलने वाली लीची ठंड के कारण इस साल सीजन में 10-15 दिन की देरी से आ पाएगी। आमतौर पर 14 जनवरी से पेड़ों में मंजर (लीची के फूल) आने लगते हैं, लेकिन इस बार अत्यधिक ठंड, तापमान में उतार-चढ़ाव और लगातार पछुआ हवा ने मंजर को समय से निकलने नहीं दिया है। इससे लीची की पैदावार के प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है।

बाग खरीदने नहीं पहुंचे बाहर के व्यापारी

बच्चा प्रसाद के अनुसार, उत्तर बिहार में मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी और समस्तीपुर में लीची की व्यापक पैदावार होती है। मुजफ्फरपुर में 12 हजार, पूर्वी चंपारण में पांच हजार और समस्तीपुर-सीतामढ़ी में करीब दो हजार हेक्टेयर बाग में लीची होती है। मुजफ्फरपुर में एक लाख टन, मोतिहारी में 40 हजार टन और समस्तीपुर-सीतामढ़ी में करीब 1500 टन लीची की पैदावार होती है। इन जिलों में करीब 30 हजार छोटे-बड़े किसान हैं। लीची का प्रति सीजन औसत कारोबार करीब 700 करोड़ का है। यहां से बिहार के अलावा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और नेपाल की मंडियों में लीची भेजी जाती है। उद्यान रत्न किसान भोलानाथ झा का कहना है कि हर साल खरमास तक बाहर के व्यापारी लीची का बाग खरीदने आ जाते थे। इस साल मंजर ही नहीं आए तो व्यापारियों का आना भी नहीं हो रहा है।

  • जनवरी में मंजर निकलने के समय 15 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम और अधिकतम 25 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए तापमान
  • 2019 में भी मंजर आने में 10 से 15 दिन हुआ था विलंब, उस साल भी दिखा था ठंड का असर
  • 7 डिग्री सेल्सियस रहा औसत न्यूनतम तापमान, अधिकतम भी 20 डिग्री सेल्सियस से ऊपर नहीं गया
  • दिसंबर और जनवरी में तापमान मानक से नीचे रहने के कारण नहीं निकले मंजर
  • 10-15 दिन बाद बाजार में देर से आएगी लीची, मंजर निकलने में हो रहा विलंब

मध्य दिसंबर व जनवरी का तापमान महत्वपूर्ण

मुजफ्फरपुर कृषि विभाग के सहायक निदेशक (पौधा संरक्षण) विज्ञानी राधेश्याम कुमार का कहना है कि लीची में सही समय पर मंजर आने के लिए दिसंबर और जनवरी का तापमान महत्वपूर्ण होता है। मध्य दिसंबर में न्यूनतम तापमान 15 और अधिकतम तापमान 25 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। इस बार न्यूनतम तापमान पांच और अधिकतम तापमान 20 से 23 डिग्री सेल्सियस रहा। जनवरी में मंजर निकलने के समय न्यूनतम तापमान 15 और अधिकतम 25 डिग्री होना चाहिए। मगर न्यूनतम तापमान औसतन सात रहा और अधिकतम 20 डिग्री सेल्सियस से ऊपर नहीं गया। अनुमंडल कृषि पदाधिकारी डा. विकास कुमार का कहना है कि एक दशक में यह दूसरा वर्ष है, जब लीची के मंजर ठंड की वजह से प्रभावित हुए हैं।

25 तक मंजर की उम्मीद नहीं

पौधा विज्ञानी के अनुसार, तापमान में उतार-चढ़ाव से लीची में उपापचयन (जैव कोशिका के भीतर होनेवाली प्रक्रिया) प्रभावित होता है। मंजर आने में विलंब होता है। बिहार लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष व किसान बच्चा प्रसाद सिंह का कहना है कि लीची के शाही प्रभेद में जनवरी के मध्य और चाइना प्रभेद में फरवरी के पहले सप्ताह से मंजर आने लगते हैं। इस मौसम में शाही लीची में 25 जनवरी तक मंजर निकलने की उम्मीद नहीं है। जिला कृषि पदाधिकारी शिलाजीत सिंह का कहना है कि उत्पादन पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।

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