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Muzaffarpur: आश्वासन की ऑक्सीजन पर सुनीता की जिंदगी! एक साल से काट रही अस्पतालों के चक्कर, नहीं हुआ इलाज

मुजफ्फरपुर की सुनीता सरकारी कुव्यवस्था की शिकार है। अपनी दोनों किडनी गंवा चुकी सुनीता पिछले चार सितम्बर 2022 से अस्पताल में भर्ती है। सरकारी इलाज और आश्ववासन के ऑक्सीजन के सहारे उसकी जिंदगी कट रही है। अस्पताल वालों ने बच्चेदानी के ऑपरेशन के नाम पर उसकी दोनों किडनी निकाल दी। अब उसकी जिंदगी भगवान के सहारे है और किडनी ट्रांसप्लांट के लिए भटक रही है।

By Jagran NewsEdited By: Shashank ShekharUpdated: Sun, 03 Sep 2023 10:39 AM (IST)
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आश्वासन की ऑक्सीजन पर सुनीता की जिंदगी, एक साल से काट रही अस्पतालों के चक्कर
अमरेन्द्र तिवारी, मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर की सुनीता सरकारी कुव्यवस्था की शिकार होकर अपनी दोनों किडनी गंवा चुकी है और पिछले चार सितम्बर 2022 से भर्ती है।

सरकारी इलाज और आश्ववासन के ऑक्सीजन पर उसकी जिंदगी कट रही है। बच्चेदानी के ऑपरेशन के नाम पर उसकी दोनों किडनी निकाल दिया गया। अब उसकी जिंदगी भगवान के सहारे है।

सकरा बाजी बजुर्ग के बाजी राउत गांव निवासी सुनीता की जिंदगी डायलिसिस पर जिंदा है। सुनीता से जब स्वास्थ्य का हाल-चाल पूछा जाता तो भावुक हो जाती है।

आइसीयू में भर्ती सुनीता की हालत स्थिर है। वहीं, किडनी बदलने की दिशा में ठोस पहल अब तक नहीं दिखी।

सुनीता ने कहा- आंख बंद हो जाएगी तो किडनी लेकर क्या करेंगे

सुनीता को इस बात का भय है कि जब उसकी हालत गंभीर हो जाएगी तो किडनी मिलने का भी फायदा नहीं होगा। सुनीता कहती है कि गरीब और अनुसूचित परिवार का होने से उसे भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। अगर ऐसा नहीं होता तो उसे कब की किडनी लग जाती।

वहीं, अधीक्षक डॉ. दीपक कुमार ने बताया कि विभाग को किडनी ट्रांसप्लांट के लिए पत्र लिखा गया है। वहां से जो मार्गदर्शन आएगा उसका पालन होगा।

एसकेएमसीएच नेफ्रोलाजी विभागाध्यक्ष विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ.धर्मेन्द्र प्रसाद ने बताया कि किडनी डैमेज होने के बाद डायलिसिस ही आर्टिफिशियल किडनी का काम करता है।

सप्ताह में चार बार डायलिसिस हो रहा है। उन्होंने बताया कि निजी अस्पताल वाले चार से पांच हजार डायलिसिस की फीस लेते हैं। यहां पर हर चीज निशुल्क है।

डॉ.धर्मेन्द्र प्रसाद ने बताया कि मरीज के शाारीरिक क्षमता के मुताबिक, पांच से सात तरह की दवा नियमित मिल रही। रोस्टर के हिसाब से चिकित्सक देख रहे। अगर किडनी ट्रास्पलांट हो जाए तो 20 से 25 साल तक उसकी जिंदगी को बचाई जा सकती है। उसको हाई प्रोटीन व लो पोटेशियम डायट मिल रहा है।

चार्जशीट बना मदद में सरकारी रोड़ा

जिला कल्याण पदाधिकारी श्याम प्रसाद ने कहा कि सुनीता को अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार अधिनियम के तहत चार लाख 12 हजार पांच सौ की राशि दी गई है।

पुलिस-प्रशासन की ओर से चार्जशीट दायर हो जाए हैं। उसका कागजात मिल जाने के बाद दूसरी किस्त चार लाख 12 हजार पांच सौ उसके खाते में चला जाएगा।

जिला कल्याण पदाधिकारी ने कहा कि उसके दो बच्चों की पढाई का इंतजाम कस्तुरबा स्कूल व अंबेडकर विद्यालय में करने की कवायद चल रही है।

सदन से सड़क तक चल रहा आंदोलन जारी

सांसद अजय निषाद सुनीता से मिले। उन्होंने अपने निजी कोष से आर्थिक मदद की। मुख्यमंत्री को बेहतर इलाज के लिए पत्र लिखा और लोकसभा में भी सवाल उठाया।

बिहार विधान परिषद में पूर्व सांसद विधान पार्षद जनक राम ने भी सवाल उठाया है। उन्होंने मुख्यमंत्री के सामने सारे हालत से अवगत कराया।

समाजिक कार्यकर्ता प्रवीण कुमार सकरा रेफरल अस्पताल में 200 दिन से लगातार धरना देकर बेहतर इलाज व न्याय की मांग कर रहे है। इस दौरान बताया कि मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई। चार नामजद में एक आत्मसर्मपण किया। अभी तीन फरार चल रहे है।

इस तरह चला सुनीता कांड घटनाक्रम

सुनीता का इलाज बरियारपुर के निजी क्लीनिक में 11 जुलाई 2022 से शुरू हुआ। यूटेरस निकालने के लिए इलाज के नाम पर 20 हजार रुपये जमा कराए गए। तीन सितंबर को दिव्या अल्ट्रासाउंड में कराया गया।

इसी दिन क्लीनिक में भर्ती हुई थी। चार सितंबर को चिकित्सकों ने आपरेशन के दौरान यूटेरस व किडनी निकाल ली।

वहीं, पांच सितंबर 2022 को ऑपरेशन के बाद तबीयत खराब होने पर सुनीता एसकेएमसीएच पहुंची। सात सितंबर को एसकेएमसीएच में जांच के दौरान पता चला कि उसकी दोनों किडनियां निकाल ली गई है।

इसके बाद उसे पटना पीएमसीएच रेफर किया गया। पटना पीएमसीएच में इलाज के दौरान किडनी नहीं रहने की बात सामने आई।

फिर उसे पीएमसीएच से वापस कर दिया गया। उसके बाद फिर से वह एसकेएमसीएच आई। इसे लेकर परिवार ने प्राथमिक दर्ज कराई गई।

वहीं, 10 सितंबर को सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण कुमार एवं सुनीता के परिजन ने जब एसकेएमसीएच में हंगामा किया तो सुनीता को अस्पताल में भर्ती लिया गया। 27 दिसंबर 2022 से अब तक सुनीता का इलाज एसकेएमसीएच में चल रहा है।

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