मुजफ्फरपुर की शाही लीची: देश के 19 राज्यों में लहलहाएंगे पौधे, बिहार वाला स्वाद के लिए नहीं करना होगा इंतजार!
मुजफ्फरपुर की पहचान लीची के विस्तार की कवायद चल रही है। इसे लेकर राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र की ओर से देश के कई राज्यों में शोध किए गए हैं। जिसमें देश के 19 राज्यों की जलवायु और मिट्टी लीची उत्पादन के लिए बेहतर पाई गई है। शोध का प्रकाशन द इजिप्टियन जर्नल ऑफ रिमोट सेंसिंग एंड स्पेस साइंसेज में हुआ है।
By Jagran NewsEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Sat, 05 Aug 2023 11:38 AM (IST)
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर की पहचान लीची के विस्तार की कवायद चल रही है। इसे लेकर राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र की ओर से देश के कई राज्यों में शोध किए गए हैं। जिसमें देश के 19 राज्यों की जलवायु और मिट्टी लीची उत्पादन के लिए बेहतर पाई गई है। शोध का प्रकाशन द इजिप्टियन जर्नल ऑफ रिमोट सेंसिंग एंड स्पेस साइंसेज में हुआ है।
लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ.विकास दास ने इस बारे में बताया कि मुजफ्फरपुर की जलवायु और मिट्टी में लीची का बेहतर उत्पादन होता है। इसी तर्ज पर देशभर में शोध कराया गया। इस शोध में लीची के लिए सबसे बेहतर जलवायु और मिट्टी पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड और असम में पाया गया है। यह शोध पांच साल पहले हुआ। उसके बाद देश स्तर पर इसके विस्तार की संभावना बनी है।
ऐसे करें खेती तो होंगे फायदे
निदेशक डॉ.विकास दास ने कहा कि लीची एक उपोष्ण कटिबंधीय फल है और नम उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में सबसे अच्छा पनपता है। यह आमतौर पर कम ऊंचाई पसंद करता है और इसे 800 मीटर की ऊंचाई तक उगाया जा सकता है।गहरी, अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी, कार्बनिक पदार्थों से भरपूर और जिसका पीएच 5.0 से 7.0 के बीच हो, इस फसल के लिए आदर्श है। सर्दियों के दौरान पाला और गर्मियों में शुष्क गर्मी इसकी सफल खेती के लिए सीमित कारक हैं।
भारी बारिश से लीची को हो सकता नुकसान
युवा पेड़ों को कई वर्षों तक ठंड और गर्म हवाओं से सुरक्षा की आवश्यकता होती है। पेड़ों के उचित फलन के लिए तापमान में कुछ बदलाव आवश्यक है। गर्मियों में तापमान 40.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक और सर्दियों में हिमांक से नीचे नहीं जाना चाहिए।लंबे समय तक बारिश लीची के लिए हानिकारक हो सकती है। खासकर फूल आने के समय,यह परागण में बाधा डालती है।
उन्होंने कहा कि लीची की प्रमुख प्रजाति शाही, चाइना के साथ अनुसंधान केन्द्र की ओर से गंडकी लालिमा, गंडकी संपदा और गंडकी योगिता को किसान की मांग पर उपलब्ध कराया जा रहा है। एक एकड़ में लीची के 50 पौधे लगाए जाते हैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।